जिम्मेदारियां – Motivational Story In Hindi
हम आज अपनी Life में जो कुछ भी है वो ओर किसी की भी वजह से नहीं बल्कि सिर्फ हमारी वजह से ही है । हम जो भी काम कर रहे है उसकी 100% जिम्मेदारी हमारी ही होती है , पर कुछ लोग हमेशा अपनी असफलता का दोष दुसरो को ही देते है । ये कहानी (जिम्मेदारियां – Motivational Story In Hindi) भी उसी लोगो के बारे में है ।
एक व्यापारी अपना व्यापर करने के लिए एक शहर से दूसरे शहर में जाता है । बिच रास्ते में रेगिस्तान का कुछ इलाका आता है । वो व्यापारी एक नकारात्मक सोच वाला था । वो हर बार शिकायत ही करता रहता था की मेरे पास ये नहीं है ओर मेरे पास वो नहीं है ।
एक दिन जब वो रेगिस्तान से गुजर रहा था तभी उसकी पानी की बोतल खाली हो जाती है और उसे बहुत प्यास लगती है । वो रेगिस्तान में पानी की तलाश करने लगता है किन्तु उसे कही पर भी पानी नहीं मिलता है ।
अब वो चलते चलते काफी थक गया था और ऊपर से उसे पानी भी नहीं मिला इसलिए उसे बहुत गुस्सा आ रहा था । वो गुस्से में बोलने लगा की ये कितनी बकवास जगह है , न तो यहाँ पर कोई पेड़ – पौधे है ना ही यहाँ पे पानी मिलता है ।
वो अब आसमान की तरफ देख कर कहने लगा , है भगवान् आपने ये कैसी जगह बनाई है ! अगर मेरे पास पर्याप्त पानी और संसाधन होते तो में इस जगह को काफी अच्छा बना देता और बहुत सारे पेड़ भी यहाँ पर लगा देता । वो व्यापारी ऊपर देख कर ये सब ऐसे बोल रहा था की जैसे वो भगवान् से जवाब की प्रतीक्षा कर रहा हो की भगवान उसे कुछ कह दे ।
जैसे ही उसने निचे देखा वैसे ही चमत्कार ये हुआ की उसने अपने आँखों के सामने एक कुआ दिखाई दिया, वो कुए को देखकर बहुत ज्यादा खुश हो जाता है । वो कुए के पास पंहुचा और उसने देखा की कुआ पूरी तरह पानी से भरा हुआ है ।
ये व्यापारी नकारात्मक सोच वाला था उसलिए उसने फिर से ऊपर आसमान में देखकर भगवान् को शिकायत करना शुरू कर दिया की है भगवान् आपने मुझे पानी से भरा हुआ कुआ तो दे दिया किन्तु पानी में कैसे निकलूंगा । जैसे ही उसने निचे देखा वैसे ही फिर से चमत्कार हुआ और उसे कुए के पास रस्सी और बाल्टी दिखाई दी ।
पर ये इंसान तो फिर से ऊपर देखकर भगवान् से शिकायत करने लगा की है भगवान अब आप ही बताइये मुझे की में इस पानी को ले जाऊंगा कैसे ?
तभी उसे ऐसा अहसास होता है की उसके पीछे कोई खड़ा है , वो पीछे मुड़कर देखता है तो उसे एक ऊंट खड़ा हुआ दिखाई देता है । अब वो घबरा जाता है और वो सोचने लगता है की मेने तो बातो बातो में भगवान् से कह दिया किन्तु अब मुझे सच में यहाँ पर हरियाली भी करनी पड़ेगी और पेड़ भी लगाने पड़ेगे ।
इस व्यापारी को पानी मिल गया , पानी को निकालने के लिए बाल्टी और रस्सी भी मिल गयी और पानी को ले जाने के लिए ऊंट भी मिल गया । अब वो सोचने लगा की मेने ये बातो बातो में क्या बोल दिया । ये तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी ।
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अब वो वहां से तेजी से भागने लगा । वो वहां से भागकर अपनी जिम्मेदारियां से बच रहा था । तभी एक कागज उड़ते हुए उसके पास आता है और जब वो उस कागज को पकड़ कर देखता है तो उस पर लिखा हुआ था की मेने तुम्हे पानी दिया , साथ ही साथ रस्सी और बाल्टी भी दी , पानी को ले जाने के लिए साधन भी दिया तो फिर क्यों तुम बचकर भाग रहे हो ?
ये कागज़ पे लिखा हुआ पढ़कर उस व्यापारी को पता नहीं चल रहा था की ये मेरे साथ क्या हो रहा है । वो वहा से भागता हुआ रेगिस्तान को पार कर देता है पर वहां पर उसने हरियाली नहीं बनाई ।
इस व्यापारी की तरह ही हम लोग हमेशा शिकायत ही करते रहते है की मेरे पास ये नहीं है , मेरे पास वो नहीं है । जब हमें सब कुछ मिल जाता है तभी भी हम कुछ नहीं करते है । जिसे सच में कुछ करना ही होता है वो शिकायत नहीं करते है ।
हम अपनी असफलता का दोष दूसरे लोगो को देते है । हम अपने आप की भी जिम्मेदारी नहीं लेते है और हर बार शिकायत ही करते रहते है । अगर आपको सच में सफल होना है तो फिर सबसे पहले आपको आप जो भी कर रहे है उसकी 100% जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी क्योकि सफल हमें होना है तो फिर जिम्मेदारियां भी हमें ही लेनी पड़ेगी ।
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