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पुण्य की आशा – Short Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

पुण्य की आशा – Short Moral Story In Hindi

ये कहानी (पुण्य की आशा – Short Moral Story In Hindi) उन लोगो के लिए है जो कोई भी अच्छा काम पुण्य मिलने की आशा से करते है । अगर आप भी कोई काम ये सोच के कर रहे हो की मुझे इसे करने के बाद पुण्य मिलेगा तो आप गलत सोच रहे हो क्योकि केवल निस्वार्थ भाव से किये गए कार्य का ही हमें अच्छा फल मिलता है ।

एक शहर में एक सेठ रहते थे । सेठ ने एक दिन ऐसा संकल्प लिया की वो 10 साल तक प्रतिदिन कथा सुनेंगे । उनकी यह इच्छा थी की उनकी धन, संपदा बढ़ती रहे ।

ईश्वर के प्रति अपना भक्ति भाव प्रदर्शित करने के लिए उन्होंने ये मार्ग चुना था । सेठजी इस संकल्प को लेने के बाद कथा सुनाने के लिए ब्राह्मण की खोज करना शुरू कर देते है ।

सेठजी ने कही सारे ब्राह्मणों का साक्षात्कार लिया । अंत में उन्हें जैसा चाहिए था वैसा एक सदाचारी धर्मनिष्ठ ब्राह्मण मिला गया । इस ब्राह्मण ने 10 साल तक सेठ को कथा सुनाना स्वीकार कर लिया ।

ब्राह्मण तय समय पर प्रतिदिन आता और सेठजी को कथा सुना कर जाता । 10 साल पुरे होने ही वाले थे के एक दिन सेठजी को बहुत जरुरी व्यापारिक कार्य से तीन – चार दिनों के लिए बाहर जाना पड़ा, इसलिए उनके लिए इस कथा को सुनना मुश्किल हो गया ।

सेठजी ने ये बात अपने ब्राह्मण को बताई , ब्राह्मण ने सेठजी से कहा की आपके स्थान पर आपका पुत्र कथा सुन लेगा तो भी चलेगा क्योकि यह धर्मनुसार ही है ।

सेठजी को ब्राह्मण की बात पर शंका होने लगी , उन्होने ब्राह्मण से कहा की कई मेरा पुत्र कथा सुनकर वैरागी तो नहीं हो जायेगा ना ?

ब्राह्मण ने कहा की आप इतने सारे वर्षों से कथा सुनने के बाद संन्यासी नहीं बने, तो तीन -चार दिन में आपका पुत्र कैसे वैरागी बन जाएगा ?

सेठजी ने कहा की में तो सिर्फ इसलिए कथा सुनता था की मुझे धार्मिकता का पुण्य मिले , में कथा के प्रभाव से वैरागी न बनूं ।

सेठजी की बात सुनकर ब्राह्मण अचंभित हो जाते है , वो सेठजी से कहते है की मुझे माफ़ करना सेठजी किन्तु आप को कथा का कोई पुण्य नहीं मिलेगा, क्योकि आपकी धार्मिकता दिखावटी है और आप ने ये सब स्वार्थवश किया है ।

सेठजी ब्राह्मण की बात सुनकर निरुत्तर हो जाते है । वो मन ही मन सोचने लगते है की क्या मुझे अब मेरे इतने सालो तक कथा सुनने का कोई फल नहीं मिलेगा ।

Moral : आप जब ईश्वर की भक्ति निस्वार्थ हो कर करते हो तभी आपको उसका फल मिलता है । स्वार्थ के साथ किये हुए कार्यो का कोई फल नहीं मिलता है ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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