Hindi Short Motivational Story – ज्ञान हमेशा झुककर प्राप्त होता है
हम चाहे कितने भी बुद्धिमान क्यों न हो लेकिन अगर हमें किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो हमें उसके आगे झुकना ही चाहिए । ये कहानी ( Hindi Short Motivational Story – ज्ञान हमेशा झुककर प्राप्त होता है ) उसी के बारे में है ।
एक शिष्य गुरू के पास जाता है । शिष्य बहुत ही बुद्धिमान और मशहूर पंडित था , वो गुरू से भी ज्यादा मशहूर था । उसे सारे शास्त्र कंठस्थ थे ।
शिष्य को बस एक ही समस्या थी की वो सभी शास्त्र कंठस्थ होने के बाद भी सत्य की खोज नहीं कर पाया था । ऐसे में उसने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में गुरु की तलाश शुरू की । उसके नसीब अच्छे थे की उसे गुरू मिल गए ।
वो गुरु के शरण में पहुँचा । गुरू ने उस मशहूर पंडित की तरफ देखा और कहा, ‘तुम लिख लाओ कि तुम क्या-क्या जानते हो’ । क्योकि तुम जो जानते हो उन सब चीज़ो की बात हमें करने की जरुरत नहीं है और जो तुम नहीं जानते है वो सब में तुम्हे सीखा दूंगा ।
शिष्य को वो जो भी जानता है वो सब लिख के वापिस आने में करीब एक साल जितना लग गया । शिष्य को बहुत सारे शास्त्र याद थे, इसलिए वो सब लिखता ही रहा, लिखता ही रहा, लिखते लिखते कई सारे पृष्ठ भर गए ।
उसने जो भी लिखा था उसकी वो एक पोथी लेकर अपने गुरु के पास करीब एक साल बाद आया । गुरु ने कहा ये बहुत ज्यादा है में इतना सब नहीं पढ़ पाउँगा क्योकि में अब बूढ़ा हो गया हु , मेरी मृत्यु करीब है । तुम इसे संक्षिप्त कर लाओ, सार लिख लाओ ।
शिष्य फिर से चला जाता है , इसबार उसे दो महीने लगते है , इसबार उसने केवल सौ पृष्ठ भर के लिखा और वो वह सौ पृष्ठ लेके गुरु के पास गया । गुरु ने कहा यह भी ज्यादा है इसे और संक्षिप्त कर के लाओ ।
कुछ समय के बाद शिष्य अपने गुरु के पास एक ही पन्ने पर सार-सूत्र लिख के लाया । लेकिन गुरू बिल्कुल मरने के करीब थे, उन्होंने कहा की में सिर्फ तुम्हारे लिए ही रूका हूँ। तुम्हें समझ कब आएगी ? इसे और संक्षिप्त कर लाओ ।
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अब शिष्य को होश आता है । वो भागता हुआ जाता है और एक कमरे में से एक खाली कागज ले आता है । उसने गुरु के हाथ में वो खाली कागज दिया ।
गुरू ने कहा, अब तुम शिष्य हुए । मुझसे अब तुम्हारा संबंध बना रहेगा । कोरा कागज लाने का अर्थ हुआ, मुझे कुछ भी पता नहीं, मैं अज्ञानी हूँ । जो ऐसे भाव रख सके गुरू के पास, वही शिष्य होता है ।
अगर हमें गुरु से ज्ञान-प्राप्त करना हो तो वो हमें अज्ञानी बनकर ही प्राप्त हो सकता है । पंडित बनने से गुरू नहीं मिलते है ।
अगर आप किसी के भी पास ज्ञान-प्राप्त करने के लिए , कुछ भी सीखने के लिए जाए तो ये बात हमेशा याद रखना की आपको जो आता है उसके बारे में आपको सामने वाले से बात नहीं करनी है , आप जो उनसे सिखने के लिए आये हो उसके बारे में बात करनी है ।
अगर आप किसी के पास कुछ सिखने के लिए गए हो और आप उसे ये बताने लगे की मुझे तुमसे दूसरा किसी बात में ज्ञान ज्यादा है तो फिर आप ये नहीं सिख पाएंगे जो वो जानता हो । इसलिए ये बात याद रखना की हमेशा अज्ञानी बनकर ही ज्ञान प्राप्त हो सकता है ।
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