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न काले, न गोरे – Short Akbar Birbal Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

न काले, न गोरे – Short Akbar Birbal Story In Hindi

अकबर और बीरबल की इस कहानी(न काले, न गोरे – Short Akbar Birbal Story In Hindi) में बादशाह अकबर, बीरबल को न काले, न गोरे यानि की बिच वाला कह कर के मजाक उड़ाते है और बीरबल आख़िरकार अपने पक्ष में बोलकर बादशाह को निरुत्तर कर देता है। बीरबल अपना पक्ष कैसे रखता है ये जानने के लिए आपको पढ़नी पड़ेगी ये कहानी।

बादशाह सलामत एक बार दरबार में बीरबल के साथ बैठे हुए थे। बादशाह ने एक मजाक किया, ‘बीरबल, तुम्हारा रंग तो न तो गोरा है और न ही काला, तुम तो बीच में हो, अरे वो बीच वाला!’ बीरबल ने इस मजाकीय टिप्पणी पर एक मुस्कराहट दी और कह दिया, ‘हाँ, हुजूर।’

बादशाह ने और भी बढ़ाकर कहा, ‘तुम्हें पता है, बीच का दर्जा क्या होता है? वह जो न नर होता है और न ही नर मादा, वैसा ही बीच में होता है, जैसे कि खोजने पर मिला बीच वाला होता है।’ उनके इस मजाकीय उकेरे गए वक्तव्य के साथ ही बादशाह ने हँसी में झूम उठे।

बीरबल की आँखों में भी एक चमक थी, लेकिन वह बिना विचलित होकर यह वाक्य बोले, ‘हुजूर, आप तो आखिरकार कारण नहीं जानते। जानकारी का तो मुझे ही संरक्षण है।’

बादशाह ने अधिक उत्साहित होकर पूछा, ‘अच्छा, तो बताओ, वास्तविकता क्या है?’

बीरबल ने गंभीरता से कहा, ‘मैं न तो अधिक गोरा हूँ और न ही अधिक काला, बल्कि मेरा रंग निर्दिष्ट है। यदि आपको यह जानना है, तो कृपया सुनिए।

कहानी वही है कि भगवान या खुदा ने तीन रोटियाँ पकाई थीं। पहली रोटी जल गई, दूसरी कच्ची रह गई और तीसरी सही से पकी हुई थी, न जली, न कच्ची रही।

वे लोग, जिनका रंग बहुत काला होता है, वे उन जली हुई रोटियों के समान होते हैं।’

बादशाह इस अनूठे उत्तर से चुप हो गए, क्योंकि उन्हें यह सिखने का मौका मिल गया कि एक व्यक्ति की असलियत केवल उसके रंग से नहीं जानी जा सकती, बल्कि उसके कृतियों और गुणों से जानी जाती है।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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