नैतिकता – Short Moral Story In Hindi
जीवन में महानता प्राप्त करने के लिए किसी भी स्तान की जरुरत नहीं है हम अपनी नैतिकता से भी महानता प्राप्त कर सकते है। ये कहानी (नैतिकता – Short Moral Story In Hindi) उसी के बारे में है।
शाह अशरु अली, उनके समय के मशहूर संतों में से एक थे। उन्होंने नैतिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझते हुए जीवन गुजारा और लोगों को उनके पालन की सलाह देते थे। वे न सिर्फ अपने आचरण में ईमानदार और सत्यवादी रहे, बल्कि अपने शिष्यों को भी यही मार्ग प्रदान करते थे।
एक बार शाह अशरु अली सहारनपुर से लखनऊ जाने के लिए रेलगाड़ी में सफर कर रहे थे। उनके साथ काफी सामान था, इसलिए सहारनपुर रेलवे स्टेशन पर जाते समय उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि सामान की तुलना करें और जो सामान अधिक वजन में हो, उसके किराये का भुगतान कर दें।
रेलगाड़ी के गार्ड ने इस बात को सुन लिया था। उन्हें पता था कि शाह अशरु अली एक महान संत हैं और उनका सम्मान करना चाहिए। गार्ड ने उनके सामने खड़े होकर कहा, “सामान की तुलना करने की कोई आवश्यकता नहीं है, मैं आपके साथ चलता हूँ।”
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शाह अशरु अली ने आवश्यकता की बात पर चिंतित नहीं होते हुए पूछा, “तुम कितने दूर तक जाओगे?” गार्ड ने उत्तर दिया, “मैं बरेली तक जा रहा हूँ, लेकिन आपको सामान की चिंता नहीं करनी चाहिए।”
शाह ने अपनी यात्रा के आगे के हिस्से की बात की, “मगर मैं तो लखनऊ तक जा रहा हूँ।” गार्ड ने विचार किया और कहा, “मैं आपके लिए दूसरे गार्ड को बुलाऊंगा, जो लखनऊ तक आपके साथ चलेगा।”
फिर शाह ने पूछा, “तो आगे क्या होगा? मेरा सफर बहुत लंबा है।” गार्ड ने जिज्ञासा दिखाई, “क्या आप लखनऊ से भी आगे जा रहे हैं?” शाह ने स्पष्ट शब्दों में उत्तर दिया, “अभी तो मैं सिर्फ लखनऊ तक ही जा रहा हूँ, किन्तु जीवन का सफर बहुत लंबा है। मैं खुदा के पास जाने का सफर कर रहा हूँ। वहां पर मुझे कोई बचाने वाला नहीं है।”
गार्ड ने इस बात को सुनकर विचार किया और अपनी त्रुटि के लिए माफी मांगते हुए शाह के शिष्यों से उनका सामान तुलवाया और अधिक सामान का किराया भरवाया ।
यह किस्सा हमें एक महत्वपूर्ण सिख देता है कि एक व्यक्ति की महानता उसके पद या स्थान से नहीं आती, बल्कि उसके आचरण और नैतिकता से होती है। शाह अशरु अली ने अपने समय के विख्यात व्यक्तिगतता की परिपूर्णता को दिखाया, जो उन्हें महान बनाती है।
इस किस्से से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपने पदों या स्थानों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, और न किसी को अनुचित लाभ पहुंचाना चाहिए। नैतिक मूल्यों का पालन करके हम अपने जीवन में महानता प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कि शाह अशरु अली ने किया।
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