अवसर मत चूको – Short Moral Story In Hindi
कभी कभी हमे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत अच्छे अवसर मिलते है , तभी हमें उस अवसर को चूकना नहीं चाहिए और सही समय पर उस अवसर को पहचान लेना चाहिए। ये कहानी (अवसर मत चूको – Short Moral Story In Hindi) उसी के बारे में हैं।
एक राज्य की राजधानी में एक रात को मूसलाधार वर्षा का प्रकोप हो रहा था। बिजली की चमक और गरज के साथ बारिश बरस रही थी।
रात्रि की अंधकार में पूरा नगर आराम से सो रहा था, लेकिन राजमहल के द्वारपाल मातृगुप्त ने आदर्शों के साथ अपने दुर्भाग्य के विचार में खोये रहते हुए अचानक विशेष परिस्थितियों का सामना किया।
मातृगुप्त कवि के रूप में बहुत ही प्रतिष्ठित थे, और वे राजा विक्रमराज की सख्ती और न्यायपरायण आदतों के बारे में जानते थे। राजा विक्रमराज गुणीजनो को समुचित सम्मान देते हैं और उनकी प्रशंसा करते थे , लिन्तु अभी तक मातृगुप्त का उनसे मिलना और उनके सामने आना संभव नहीं हो सका था।
मातृगुप्त की इच्छा थी कि वह राजा से मिलकर उन्हें अपनी कविताओं के माध्यम से प्रभावित कर सकें। लेकिन राजा के पास आने की कोई संभावना नहीं थी, इसलिए उन्होंने द्वारपाल की नौकरी का फैसला किया। उन्होंने सोचा कि इस तरीके से उन्हें आदर्श मौका मिलेगा और राजा के सामने आने का आवसर प्राप्त हो सकेगा।
राजमहल में बरसती बारिश के बीच, मातृगुप्त ने द्वारपाल की नौकरी कर रहा था। इस तूफानी रात में राजा विक्रमराज सोए नहीं थे। टहलते-टहलते वह राजमहल की खिड़की क॑ पास आकर खड़े हो गए।
उनकी दृष्टि द्वारपाल पर पड़ी और उन्होंने पूछा, “अभी कितनी घंटे की रात्रि शेष है?” मातृगुप्त ने प्रतिशोधी भावना के साथ कहा, “महाराज! अभी डेढ़ पहर बाकी है।”
राजमहल के अद्भुत सुंदरता और वातावरण में मग्न होकर, महाराज ने प्रश्न किया, “यह तुम्हें कैसे पता है?” मातृगुप्त ने उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए उनसे एक कविता के रूप में उत्तर दिया। उन्होंने बरसती बारिश और अंधकार का वर्णन करते हुए उनके प्रश्न का उत्तर दिया।
अगले दिन, राजा ने मातृगुप्त को दरबार में बुलाया और उन्हें अपनी कविताओं को प्रस्तुत करने का आदर्श दिया। मातृगुप्त ने विशेष भावपूर्णता के साथ कविताएं सुनाई, जिनसे सभी उपस्थित लोग प्रभावित हुए। राजा ने मातृगुप्त की प्रतिभा को महत्वपूर्ण माना और उन्हें उचित सम्मान प्रदान किया।
प्रतिभावान व्यक्ति को उचित अवसर की पहचान करनी चाहिए और संभावितता के साथ उसका उपयोग करना चाहिए। मातृगुप्त ने अपनी प्रतिभा को सही समय पर प्रकट किया और उसने अपने संवाद कौशल से राजा की प्रतिष्ठा प्राप्त की।
Moral : सही समय पर सही कदम उठाने से ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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