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Teachers Day Story In Hindi – गुरु का स्थान

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Written by Abhishri vithalani

Teachers Day Story In Hindi – गुरु का स्थान

चाहे हम रिश्तों, पदों, या धन में अपने गुरु से कितने भी आगे क्यों न हों फिर भी हमें अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए और उनके मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए ये कहानी (Teachers Day Story In Hindi – गुरु का स्थान) उसी के बारे में है।

एक समय की बात है, एक राजा थे जिन्हें पढ़ाई और लिखाई का बहुत शौक था। एक दिन उन्होंने अपने मंत्री-परिषद् के माध्यम से एक शिक्षक को अपने लिए बुलवाया। शिक्षक राजा के आदेश पर आने लगे और राजा को पढ़ाई कराने लगे।

कई महीने बीत गए, लेकिन राजा को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। उन्होंने शिक्षक से पढ़ाई करवाना जारी रखा, परंतु कुछ भी बेहतर नहीं हुआ। राजा बहुत परेशान थे और उनका आत्मविश्वास गिर गया।

एक दिन रानी ने राजा से कहा, “प्रिय पति, आपको इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए गुरु जी से परामर्श लेना चाहिए।”

राजा ने इस सुझाव को मान लिया और अगले दिन गुरु जी के पास गए। उन्होंने गुरु जी से पूछा, “गुरुजी, मैंने कई महीनों से शिक्षा ली है, पर मुझे कोई फायदा नहीं हो रहा। क्या कारण हो सकता है?”

गुरु जी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “राजन, यह समस्या बहुत ही सीधी है।” राजा ने उत्सुकता से कहा, “कृपया मुझे जवाब दें, गुरुजी।”

गुरु जी ने व्याकुल राजा को समझाया, “राजन, समस्या का कारण यह है कि आप अपने ‘बड़े’ होने के अहंकार में डूबे हुए हैं। हां, आप एक महान राजा हैं, लेकिन हमारा रिश्ता यहाँ गुरु और शिष्य का है।

गुरु होने के नाते, मेरा स्थान आपसे उच्च होना चाहिए, परंतु आप स्वयं को ऊँचे सिंहासन पर बैठाते हैं और मुझे नीचे के आसन पर बैठाते हैं। इसलिए, आपको शिक्षा का कोई लाभ नहीं हो रहा है। आपके राजा होने के कारण, मैं यह बात आपको स्पष्ट रूप से नहीं कह पा रहा था।

कल से आप मुझे ऊँचे आसन पर बैठाएं और स्वयं नीचे के आसन पर बैठें, तो कोई कारण नहीं है कि आप शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकें।”

राजा ने गुरु जी की सलाह मान ली और उनके दिशा निर्देशों का पालन किया। इसके परिणामस्वरूप, वे अच्छे तरीके से शिक्षा प्राप्त करने लगे और उनका आत्मविश्वास फिर से बढ़ गया।

यहाँ स्थान का मतलब सिर्फ ऊँचा या नीचे बैठने से नहीं है , इसका सही अर्थ है कि हम अपने मन में गुरु को क्या स्थान दे रहे हैं।

चाहे हम रिश्तों, पदों, या धन में कितने भी महत्वपूर्ण क्यों न हों, हमें अपने गुरु को उनके उचित स्थान का महत्व देना चाहिए। इसका अर्थ है कि हमें उनका सम्मान करना चाहिए, उनके दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए, और अपने आत्मविश्वास को कभी अहंकार में नहीं डूबने देना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि हमारे गुरु और शिक्षक हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और हमें उनके साथ सहयोग करके ही सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

अगर आपको हमारी Story (Teachers Day Story In Hindi – गुरु का स्थान) अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी Share कीजिये और Comment में जरूर बताइये की कैसी लगी हमारी Story ।

About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

2 Comments

  • Thanks a lot Madam 🙏 आप बहुत अच्छी Hindi Story लिखतीं है। भगवान भोले नाथ आपकी सफलता के शिखर को हमेशा आगे बढ़ाते
    रहें। यही हमारी दिल से कामनाये है।…. बहुत बहुत धन्यवाद आपकों।…

    • धन्यवाद अंगद जी! मुझे खुशी है कि आपको मेरी हिंदी कहानियाँ पसंद आईं। आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। 🙏

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