परिवार का महत्व – Short Moral Story In Hindi
कभी कभी हम अपने पास जो है उसमे संतुष्ट नहीं होते है और अधिक पाने की चाह में लगे रहते है। अधिक पैसे कमाने की चाह में हम अपने परिवार को ही भूल जाते है, ये कहानी (परिवार का महत्व – Short Moral Story In Hindi) उसी के बारे में है।
सेठ धनीराम एक धनी व्यापारी थे, जो हमेशा पैसे कमाने में लगे रहते थे, लेकिन अक्सर अपने परिवार पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते थे। उनकी पत्नी, जिनका नाम सुषीला था, उन्हें यह समस्या बार-बार दिखाती थी। वह कभी-कभी अपनी हवेली के सामने रहने वाले मजदूर, मोहन, और उसके परिवार की खुशी देखकर उलाहना देती – “तुम हमेशा काम में लगे रहते हो, तुम्हें न अपनी फ़िक्र है और न ही परिवारवालों की। मोहन के परिवार को देखो, कितना खुशहाल है।”
इस पर सेठ धनीराम ने ठंडे दिल से जवाब दिया – “मोहन कभी निन्यानवे के फेर में नहीं पड़ा, वरना इसकी सारी हंसी और मस्ती चली जाती।”
सेठानी ने पूछा, “निन्यानवे के फेर का क्या मतलब है?” सेठ जी ने कहा में तुम्हे अभी नहीं बल्कि सभी समय आने पर यह सब समझाऊंगा।
फिर एक रात, सेठ धनीराम ने रुपयों की एक पोटली को चुपचाप मोहन के आँगन में फेंक दिया। सुबह होते ही मोहन का ध्यान उस पोटली पर पड़ा, और जब उसने वह पोटली खोली, तो वो देखकर वह बेहद खुश हुआ। पोटली में निन्यानवे रुपए थे।
सभी परिवार के सदस्य बच्चों से लेकर बड़ों तक ने उस पोटली के रुपयों को गिनने लगे। सभी विचार करने लगे कि इसमें जो एक रुपया कम है, उसे भी कमाकर सौ रुपए पूरे कर लिए जाएं।
इस प्रक्रिया में सबने मिलकर मेहनत करने का निश्चय किया और पैसे बचाने के लिए संकल्प लिया। कुछ ही समय में, सौ रुपए भी पुरे हो गए, लेकिन इच्छाएं और अपेक्षाएं बढ़ गई।
अब मोहन, उसकी पत्नी और उनके बच्चे रुपयों को और भी बचाने के लिए व्यस्त रहने लगे। वे रात को सबसे देर से आते और थके-मांदे सो जाते, फिर सुबह को फिर से काम पर निकल पड़ते। इस नियमित और मेहनती जीवन ने उन्हें अपने मालिकाना विचारों से दूर कर दिया। अब वे न अपने परिवार से वक्त बिता पा रहे थे और न ही हंसी-मस्ती का आनंद ले पा रहे थे।
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एक दिन, जब सेठ जी ने उनके इस परिवार के परिवर्तन को देखा, तो उन्होंने सेठानी से कहा, “इसे ही कहते हैं निन्यानवे का फेर।”
सेठ धनीराम के अनुसार, अधिक पैसे पाने की तमन्ना से हम अक्सर अपनी खुशियों को भूल जाते हैं। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हमें अपने परिवार और अपने खुद के साथ बिताए गए समय का मूल्य जानना चाहिए, और हमें उसका सही उपयोग करना चाहिए। अधिक पाने की चाह से बचकर हम अपने जीवन को सरल, सुखमय, और संतुष्टिपूर्ण बना सकते हैं।
Moral : इस कहानी से हमें एक महत्वपूर्ण सिख मिलती है – व्यक्ति को अधिक पाने की चाह बिलकुल नहीं रखनी चाहिए। वास्तविक सुख और चैन उसी में है, जो हमारे पास है।
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