Panchtantra Short Stories

भूखी चिड़िया – Short Panchtantra Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

भूखी चिड़िया – Short Panchtantra Story In Hindi

हमें कभी भी किसी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए। ये कहानी (भूखी चिड़िया – Short Panchtantra Story In Hindi) उसी के बारे में है।

सालों पहले की ये बात है एक घंटाघर में पीकू चिड़िया अपने माता-पिता और 5 भाइयों के साथ बसती थी। पीकू छोटी सी चिड़िया थी, जिनके पंख बहुत ही मुलायम और सुंदर थे। उसकी मां ने उसे घंटाघर की ताल पर चहकना सिखाया था, जिससे उसका गाना और भी मधुर हो गया था।

घंटाघर के पास ही एक औरत रहती थी, जो पक्षियों से प्यार करने वाली थी। वह पीकू चिड़िया और उसके परिवार के लिए हमेशा रोज़ाना के लिए रोटी का टुकड़ा रखती थी।

एक दिन, वह औरत बीमार हो गई और उसकी मौत हो गई। पीकू चिड़िया और उसका परिवार उस औरत पर निर्भर थे। लेकिन उसकी मौत के बाद, उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, और वे अपने लिए खाना जुटाने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे थे।

एक दिन भूख से बेहाल होने पर पीकू चिड़िया के पिता ने कीड़ों का शिकार करने का फैसला किया। वे मेहनत करके कीड़े ढूँढ़ने गए, लेकिन उन्हें केवल 3 कीड़े ही मिले, जो परिवार के लिए बहुत कम थे। वे 8 सदस्यों का परिवार था, इसलिए उन्होंने पीकू और उसके 2 छोटे भाइयों को उन कीड़ों को खिलाने के लिए बचा के रख दिया।

इस दौरान, पीकू चिड़िया और उसके छोटे भाइयों ने किसी के घर की खिड़की में देखा कि वहां कुछ फल लटके हैं, जिन्हें वे खा सकते थे। उन्होंने खिड़की में चोंच मारी, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। उनका प्रयास बेनतीहा रह गया और उन्होंने कहा, “माँ, हमें कुछ नहीं मिला।”

इसके बाद, उनके घर के मालिक ने खिड़की से उन पर राख फेंक दी, जिससे पीकू, उसके भाई और मां के पूरे शरीर पर राख लग गई।

परिवार ने राख उड़ाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुए। पीकू चिड़िया और उसके छोटे भाइयों का रंग बदल गया था, और उनकी पहचान में भी कठिनाइयाँ आ गई।

दूसरी तरफ, काफी तलाश करने के बाद पीकू के पिता को एक ऐसी जगह मिली, जहां काफी संख्या में कीड़े थे। उनके कई दिनों के खाने का इंतजाम हो चुका था। वह जब खुशी-खुशी घर पहुंचा, तो वहां कोई नहीं मिला। वह परेशान हो गया।

इसके बाद, पीकू और उसके भाई वो सब घर वापिस लोट आये लेकिन घर पर पीकू के पिताजी उन सभी को राख की वजह से पहचान नहीं पाए।

उसके पिता ने उसकी बातें सुनी, लेकिन वह समझ नहीं सका कि यह चिड़िया वाकई उनकी बेटी है।

तब पीकू ने एक तालाब के पास जाकर नहलाकर अपने पूरे शरीर की राख हटाई। इसके परिणामस्वरूप, उनका पुराना रंग वापस आ गया।

अब उनके पिता ने उन्हें पहचान लिया और माफी मांगी। उनका परिवार फिर से खुशी-खुशी एक साथ रहने लगा और उनके पास खाने की कोई कमी नहीं थी।

कहानी से सीख: कभी-कभी हमें अपने हालात बदलने के लिए मेहनत करने के लिए मजबूर होते हैं। हमारी मेहनत और आत्मविश्वास हमें सफलता दिलाने में मदद कर सकते हैं।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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