भूतिया अस्पताल – Horror Story In Hindi with Moral
कभी कभी हमारे लिए सामने वाले की चेतावनी को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। हमेशा सतर्क रहना चाहिए। ये कहानी (भूतिया अस्पताल – Horror Story In Hindi with Moral) उसी के बारे में है।
विरान नगर में, एक मेंटल हॉस्पिटल के बाहर सुबह एक ऑटो आकर थमा। गाड़ी से एक लड़का उतरा, जिसका नाम कवि था, और वह अस्पताल के गेट की ओर बढ़ने लगा। जब कोई गार्ड नहीं आया, तो कवि ने खुद ही गेट खोलकर अंदर जाने का प्रयास किया।
जैसे ही गेट खुला, एक आदमी ने कवि से पूछा, “क्या आप टीवी ठीक करते हैं?” कवि ने उत्तर दिया, “नहीं।” इसके बाद उस आदमी ने खुद ही कवि को जोरदार थप्पड़ मारा और पूछा, “तो तुम यहां क्यों हो?”
कवि थोड़ी हैरानी में था। थप्पड़ खाने के बाद, उसका सिर चकराया, लेकिन वह खुद को संयमित रखकर कहा कि वह नौकरी के लिए आया है। तब एक डॉक्टर और चार कंपाउंडर गेट के पास पहुंचे। उन्होंने थप्पड़ खाने वाले आदमी को पकड़ लिया। डॉक्टर ने कहा, “कंपाउंडर, इसे ले जाकर तैयारी करो, मैं जल्दी आता हूं।”
जब कंपाउंडर चला गया, तो कवि डॉक्टर के पास गया और पूछा, “क्या आप बता सकते हैं कि डॉक्टर पाटिल कहां मिलेंगे?”
डॉक्टर ने कहा, “मैं ही पाटिल हूं। तुम जाओ, अपना नौकरी का पत्र दफ्तर में जमा करो, और फिर वहां से ड्रेस लेकर बगल के कैबिन में आओ।”
कवि थोड़ी देर में कंपाउंडर की वर्दी पहनकर डॉक्टर के कैबिन में पहुंचा। डॉक्टर ने बताया कि वह आदमी, जिसे कवि गेट पर मिला था, वह पागल है। वह कुछ दिनों से यहां पर आने वाले लोगो को टीवी ठीक करने वाला समझ रहा है। और जब उसको पता चलता है कि वह वास्तव में टीवी ठीक करने वाला नहीं है, तो वह उसे थप्पड़ मार देता है।
उसके बाद डॉक्टर ने अपने अस्पताल के एक कंपाउंडर कांति को बुलाया और कवि का परिचय करवाने के लिए कहा।
कांति ने कुछ ही देर में कवि को सबके साथ मिलवा दिया और फिर उसे मरीजों के कमरे में ले गया। वहां हर कोई कुछ-न-कुछ अजीब हरकत कर रहा था। कोई दिल टूटने वाली शायरी सुना रहा था, तो कोई फिल्मी संगीत गाते हुए डायलॉग मार रहा था।
सभी मरीजों को देखते हुए कांति ने कवि से कहा कि आज के बाद से तुम्हें इन सारी चीजों को झेलना होगा। इतना कहकर कांति वहां से चला गया। तभी कवि को पता चला कि उसकी नाइट ड्यूटी थी। दिन के समय आराम करने के बाद कवि रात को मरीजों की देखभाल करने लगा।
जैसे ही रात के 12 बजे , सभी का चेहरा डर से पीला पड़ गया। हल्ला करने वाले मरीज भी चुपचाप से एक कोने में बैठ गए। यह सब देखकर कवि को बड़ा अजीब लगा। उसने डॉक्टर से पूछा, “आखिर ये सब क्या हो रहा है? सब लोग इतना डर क्यों रहे हैं?”
डॉक्टर ने उत्तर दिया, “इस अस्पताल में रात 12 बजे के बाद भूत घूमते हैं। वो सभी पुराने मरीज हैं, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। तुम संभलकर रहना।”
कवि को भूतों पर विश्वास नहीं था। उसने डॉक्टर की बात को हंसी में टाल दिया और अपना काम करने लगा।
उसी रात कवि अकेले बाथरूम जा रहा था, जब उसे लगा कि कोई उसके पीछे है। मुड़कर देखने पर कोई नहीं दिखा। कुछ देर बाद उसे फिर ऐसा ही महसूस हुआ। कवि ने सोचा कि यह भूत की बात उसके दिमाग में घूम रही होगी, इसलिए उसे वहम हो रहा है। बाथरूम करके जब कवि बाहर आ रहा था, तो उसे शीशे में लिखा हुआ दिखा, “आज तुम पागल हो जाओगे।” कवि को लगा कोई उसके साथ मजाक कर रहा है, इसलिए उसने इस बात पर गौर नहीं किया और अपने काम पर लग गया।
कुछ देर बाद कवि को एक तेज चीख सुनाई दी। वह दौड़ते हुए आवाज की ओर बढ़ा। जैसे ही कवि वहां पहुंचा, एक पागल ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। किसी तरह से कवि ने उस दरवाजे को खुलवाया। दरवाजा खुलते ही उस पागल ने कवि को हवा में उछालकर गिरा दिया। कवि को इतनी जोर से गिराया था की उसकी पीठ में गहरी चोट लग गई।
तभी एक जोर की हंसी कवि को सुनाई दी। वही पागल हंसते हुए बोला कि मैंने कहा था न कि आज तू पागल हो जाएगा।
कवि ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, “पागल आदमी तुने ये क्या किया? रुक तुझे अभी बिजली का झटका देता हूं।”
पागल ने जवाब दिया, “अस्पताल में मिलने वाले बिजली के झटके से ही तो मेरी मौत हुई थी। अब तू क्या मुझे कोई शॉक देगा। अब मुझे इनका डर नहीं।”
इतना कहते ही उस पागल भूत ने रवि को एक हाथ से पकड़ा और दूसरा हाथ स्विच बोर्ड में डाल दिया। इस तरह से कवि को बिजली का इतना तेज झटका दिया कि उसकी चीखों से पूरा अस्पताल गूंज उठा। कवि की आवाज सुनकर अस्पताल में मौजूद नाइट स्टाफ दौड़ते हुए उस कमरे की तरफ आए। सबको वहां कवि बेहोश हालत में मिला। तुरंत कवि को मरीजों के बेड पर लेटाया। उसी दिन से कवि की दिमागी हालत खराब है।
अब कवि अपने आप को उस अस्पताल का डॉक्टर समझने लगा है। अपनी पागल स्थिति और डॉक्टर बनने के वहम के चलते कवि ने ब्लेड से अबतक कई लोगों का पेट काट दिया हैं।
हर रात उस भूतिया अस्पताल से कवि की तरह ही चीखने की आवाज आती है और किसी-न-किसी को वो भूत कवि की तरह ही पटक देता है। ये चीखने की आवाज हमेशा उसी समय आती है जब कवि को बिजली के झटके दिए जाते हैं।
कभी कभी हमारे लिए सामने वाले की चेतावनी को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। हमेशा सतर्क रहना चाहिए। थोड़ी-सी भी सावधानी हटने पर भयानक दुर्घटना घट सकती है।
Note : (भूतिया अस्पताल – Horror Story In Hindi with Moral) ये कहानी केवल मनोरंजन के लिए है इसके पीछे हमारा उदेश्य किसी भी प्रकार की अंधश्रध्धा का प्रसार करने का नहीं है ।
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