योगदान – Short Motivational Story In Hindi
कई बार हम अपना योगदान ऐसी जगह पर दे देते है जहा उसकी कोई आवश्यकयता ही नहीं होती है। हमें बिनजरूरी चीज़ो में अपना योगदान देनी की कोई जरुरत ही नहीं है क्योकि ऐसा करने से कुछ नहीं होता है। ये कहानी (योगदान – Short Motivational Story In Hindi) भी उसी के बारे में है।
एक गांव में एक गरीब व्यक्ति रहता था। वह सरसो के तेल का दीपक जलाकर हररोज गली में रख देता था। गली अँधेरी थी और इसी के कारण वहा से गुजरने वाले राहगीरों को इस सरसो के तेल के दीपक के प्रकाश से बहुत लाभ मिलता था।
उसी गांव में रहने वाला एक धनवान व्यक्ति प्रतिदिन भगवान के मंदिर में एक घी का दीपक जलाया करता था।
मृत्यु होने के बाद जब दोनों यमलोक पहोचे तो धनवान को नीची श्रेणी और गरीब को ऊँची श्रेणी की सुविधा दी गयी। धनवान व्यक्ति को यमराज का यह न्याय ठीक नहीं लगा और उन्होंने तुरंत यमराज को इसके बारे में पूछा।
धनवान ने यमराज से कहा की मेने पूरी जिंदगी मंदिर में घी का दीपक जलाया और इसने सरसो के तेल का दीपक जलाया तो फिर मुझे आपने इसके बदले में नीची श्रेणी क्यों दी? मुझे आपने मेरे कर्मो के हिसाब से फल क्यों नहीं दिया? आपने मेरे साथ ये अन्याय क्यों किया?
यमराज बोले की पुण्य का मोल – भाव धन से नहीं होता है। पुण्य का मोल – भाव तो कार्य के उपयोगिता और भावना के आधार पर होता है।
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यमराज ने धनवान व्यक्ति से ये भी कहा की मंदिर तो पहले से ही प्रकाशित था वहा पर घी का दिया जलाने की कोई जरुरत ही नहीं थी। उस गरीब व्यक्ति ने ऐसे स्थान पर प्रकाश फैलाया जिससे हजारो जरूरतमंद तक प्रकाश पंहुचा। इसी के कारन वह तुमसे ज्यादा पुण्य का अधिकारी बन गया।
हम दान क्या करते है उससे ज्यादा महत्व इस बात का है की हम दान कैसी जगह पर करते है। जहा पर हमारे दान की कोई आवश्यकयता ही नहीं है वैसी जगह पर दान करने का कोई महत्व ही नहीं है। हमें अगर सच में मन से किसी को कुछ देने की इच्छा है तो हमें ऐसी जगह पर दान करना चाहिए जहा पर सच में उसकी आवश्यकयता हो। क्योकि पुण्य का मोल – भाव धन से नहीं होता है। पुण्य का मोल – भाव तो कार्य के उपयोगिता और भावना के आधार पर ही होता है।
Moral : अपना योगदान वही दे जहा उसकी सबसे ज्यादा जरुरत हो, अन्यथा ऐसे दान का कोई महत्व ही नहीं है।
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