सजा का मापदंड – Inspiring Moral Story In Hindi
किसी भी अपराधी को सजा देने से पहले यह देख लेना चाहिए की उसकी गलती है भी या नहीं, क्योकि कई बार हम जल्दबाजी मे सच जाने बिना ही निर्दोष को सजा दे देते है। बाद मे हम अपने किए पर पछताते है पर बाद मे पछताने का कोई मतलब नहीं रहता है। ये कहानी (सजा का मापदंड – Inspiring Moral Story In Hindi) भी उसी के बारे मे है।
बहुत समय पहले की बात है। एक राजा था, जिसके तीन पुत्र थे। अपने तीन पुत्रो में से वह किसी एक को राजगद्दी सौपना चाहता था। पर इन तीनो में से किसे वह सौपे , इसके लिए राजा ने एक तरकीब निकाली और उसने तीनो पुत्रो को बुलाकर पूछा – अगर तुम्हारे सामने कोई अपराधी खड़ा हो तो तुम उसे क्या सजा दोंगे?
पहले राजकुमार ने कहा की अपराधी को मौत की सजा दी जाए तो दूसरे ने कहा की अपराधी को काल कोठरी में बंद कर दिया जाए। अब तीसरे राजकुमार की बारी थी। उसने कहा की पिताजी सबसे पहले तो ये देख लिया जाए की उसने गलती की भी है या नहीं।
इसके बाद उस राजकुमार ने एक कहानी सुनाई – किसी राज्य में राजा हुआ करता था, उसके पास एक सुंदर तोता था। वह तोता बड़ा बुद्धिमान था, उसकी मीठी वाणी और बुद्धिमता की वजह से राजा उससे बहुत खुश रहता था।
एक दिन की बात है। तोते ने राजा से कहा की में अपने माता – पिता के पास जाना चाहता हु। वह जाने के लिए राजा से विनती करने लगा। तब राजा ने उससे कहा की ठीक है, पर तुम्हे 5 दिनों में वापस आना होगा।
वह तोता जंगल की ओर उड़ चला, अपने माता – पिता से जंगल में मिला और खूब खुश हुआ। ठीक पांच दिनों बाद जब वह वापस राजा के पास जा रहा था तो उसने एक सुंदर उपहार राजा के लिए ले जाने का सोचा।
वह राजा के लिए अमृत फल ले जाना चाहता था। जब वह अमृत फल के लिए पर्वत पर पंहुचा, तब तक रात हो चुकी थी। उसने फल को तोड़ा और रात वही गुजारने की सोची। वह सो रहा था की तभी एक सांप आया और उस फल को खाना शुरू कर दिया।
सांप के जहर से वह फल भी विषाक्त हो चूका था। जब सुबह हुई तब तोता उड़कर राजा के पास पहुंच गया और कहा – राजन, मै आपके लिए अमृत फल लेकर आया हु। इस फल को खाने के बाद आप हमेशा के लिए जवान और अमर हो जाएंगे।
तभी मंत्री ने कहा की महाराज पहले देख लीजिये की फल सही भी है की नहीं? राजा ने बात मान ली और फल मे से एक टुकड़ा कुत्ते को खिलाया। कुत्ता तड़प – तड़प कर मर गया। राजा बहुत क्रोधित हुआ और अपनी तलवार से तोते का सिर धड़ से अलग कर दिया।
राजा ने वह फल बाहर फेंक दिया। कुछ समय बाद उसी जगह पर एक पेड़ उगा। राजा ने सख्त हिदायत दी की कोई भी इस पेड़ का फल न खाए क्योकि राजा को लगता था की यह अमृत फल विषाक्त होते है और तोते ने यही फल खिलाकर उसे मारने की कोशिश की थी।
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एक दिन एक बुढ्ढा आदमी उस पेड़ के निचे विश्राम कर रहा था। उसने एक फल खाया और वह जवान हो गया क्योकि उस वृक्ष पर उगे हुए फल विषाक्त नहीं थे। जब इस बात का पता राजा को चला तो उसे बहुत ही पछतावा हुआ। उसे अपनी करनी पर लज्जा हुई।
तीसरे राजकुमार के मुख से यह कहानी सुनकर राजा बहुत ही खुश हुआ और तीसरे राजकुमार को सही उत्तराधिकारी समझते हुए उसे ही अपने राज्य का राजा चुना।
Moral : किसी भी अपराधी को सजा देने से पहले यह देख लेना चाहिए की उसकी गलती है भी या नहीं, कही भूलवश आप किसी निर्दोष को तो सजा देने नहीं जा रहे हो? निरपराध को कतई सजा नहीं मिलनी चाहिए।
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