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पागल राजा – Short Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

पागल राजा – Short Story In Hindi

जब हमें पता है की मरने के बाद हम यहाँ से कुछ भी हमारे साथ ले जाने वाले नहीं है, तो फिर क्यों हम अपनी पूरी जिंदगी सब कुछ इकट्ठा करने में पागल बन जाते है। हमें पागलो की तरह धन इकट्ठा करने की कोई जरुरत नहीं है। इस कहानी (पागल राजा – Short Story In Hindi) में भी उसी के बारे में बताया गया है।

राजा की सवारी श्मशान के पास से जा रही थी। तभी उन्होने देखा एक भिखारी सा आदमी श्मशान के बाहर बैठा है। राजा ने पूछा – तुम नगर में ना जाकर यहाँ क्यों बैठे हो? भिखारी बोला राजा! नगर के सभी लोगो को एक न एक दिन यही आना है, इसलिए मैं पहले से ही यहाँ आ गया हु।

राजा बोला तू तो बिलकुल पागल है। जब तेरी बारी आएगी लोग तुजे अपने आप ही यहाँ ले आएंगे। भिखारी बोला – तुमको भी यही आना है एक न एक दिन।

राजा बोले तुम तो वास्तव में घोर पागल हो। ये मेरी कीमती छड़ी है, इसमें हिरे, मोती, पन्ने आदि जेड हुए है। इसे रख लो अपने पास और अगर किसी को देनी हो तो ऐसे आदमी को देना जो तुमसे भी ज्यादा पागल हो।

कुछ वर्षो बाद राजा गंभीर रूप से बीमार हो गया। अब राजा के बचने की कोई भी आशा नहीं रही थी। अब राजा कुछ दिनों के ही मेहमान थे।

ये भिखारी राजा के पास मिलने पंहुचा और बोला – बहुत बीमार लग रहे हो राजन। राजा ने कहराते हुए कहा की अब तो बचने की आशा भी नहीं रही है, अब तो जाना ही होगा।

भिखारी बोला कहा जाना है? राजा बोला यह कैसे मालूम होगा? किसी को पता नहीं तू तो पागलो जैसी बाते करता है। भिखारी बोला आपने कोई सामान तो भेज दिया होगा? अपने मंत्री या सचिव को वहा भेज दिया होगा , प्रबंद के लिए? राजा बोले तुम वही पागल के पागल ही हो। ये सब कुछ कैसे संभव है?

भिखारी बोला – वहा चावल, आंटा, दाल आदि भेज देते। सवारी करने के लिए कोई मोटर, बग्गी, घोडा, भेज देते। राजा ने चिल्लाकर कहा – अरे पागल! मैं जहा जा रहा हु वहा कुछ भी नहीं भेज सकता। भिखारी बोला – राजन इस छड़ी को तो फिर तुम ही संभालो, क्योकि तुम सबसे ज्यादा पागल हो!

तुम्हे पता था की ये सब तुम्हारे साथ नहीं जाएगा, तो भी तुम यह सब कुछ इकट्ठा क्यों करते रहे? ये हाल राजा का ही नहीं ज्यादातर लोगो का भी यही हाल है।

लोग धन इकट्ठा करने के चक्कर में पागल बन जाते है और जो उनके पास होता है उसे भी सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते है, बाद में एक दिन मृत्यु हो जाती है। इसलिए धन को इतना भी इकट्ठा करने नहीं लग जाना चाहिए की हम पागल बन जाए और हमारी सेहत का ध्यान ही ना रख पाए।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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