संतुष्टि – Short Moral Hindi Story
अगर हमें किसी से ज्ञान लेना हो तो हमें पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ लेना चाहिए क्योकि अविश्वास के साथ ज्ञान लेने वाले हमेशा स्वयं को रिक्त ही महसूस करते है। इसलिए अगर आपको भी किसी से कुछ सीखना हो तो आपको उसके प्रति विश्वास रखना चाहिए तभी आप अच्छी तरह ज्ञान ले पाएंगे और आपको संतुष्टि मिलेगी। ये कहानी (संतुष्टि – Short Moral Hindi Story) उसी के बारे में है।
एक बार भगवान् बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा, भगवान् जब आप प्रवचन देते है तो सुनने वाले निचे बैठते है, ऐसा क्यों? भगवान् बुद्ध बोले, यह बताओ कि पानी झरने से ऊपर खड़े होकर पिया जाता है या नीचे जाकर?
आनंद ने उतर दिया – झरने का पानी ऊंचाई से गिरता है। अतः उसके नीचे जाकर ही पिया जा सकता है। भगवान् बुद्ध ने कहा कि तो फिर यदि प्यासे को संतुष्ट करना है तो झरने को ऊंचाई से ही बहना होगा। आनंद ने हां में उतर दिया।
यह सुनकर भगवान् बुद्ध बोले, आनंद! ठीक उसी तरह यदि तुम्हे किसी से कुछ पाना है तो स्वयं को नीचे लाकर ही प्राप्त कर सकते हो और तुम्हे देने के लिए दाता को भी ऊपर खड़े होना होगा।
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यदि तुम समर्पण के लिए तैयार हो तो तुम एक ऐसे सागर में बदल जाओंगे, जो ज्ञान कि सभी धाराओं को अपने में समेट लेता हो।
भगवान बुद्ध ने फिर कहा कि इतिहास गवाह है कि वही लेने वाला सबसे ज्यादा फायदे में रहता है जो पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ पाना चाहता है, जबकि अविश्वास के साथ पाने कि इच्छा रखने वाला हमेशा स्वयं को रिक्त ही महसूस करता है।
Moral : कुछ पाने के लिए विनम्रता और सहजता होना सबसे जरुरी है। यह गुण इंसान को श्रेष्ठ से सर्वश्रेष्ठ बनाता है।
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