Emotional Kahani In Hindi – एक बूढ़ा भिखारी
इंसान को अपने कर्म के हिसाब से फल मिलता है। भगवान् के खाते में सब का हिसाब पक्का होता है, जिसने जैसे कर्म किये होंगे उसे उसके हिसाब से ही फल प्राप्त होगा। ये कहानी (Emotional Kahani In Hindi – एक बूढ़ा भिखारी) उसी के बारे में है।
एक बूढ़ा भिखारी हररोज एक सेठ के दरवाजे के पास आकर भीख मांगता था और सेठ हमेशा घर के बाहर उसे आते देखकर वापस घर मे चला जाता था और कई बार उसे गालिया भी देता था।
सेठ हररोज इस भिखारी को देखकर चीड़ जाता है और उसे कहता था की तू अब तक जिन्दा ही क्यों है? क्या तुजे अपनी पूरी जिंदगी भीख ही मांगनी है? तू तो धरती पर बोझ है! कभी कभी तो सेठ उस भिखारी को धक्का मार कर भी निकालता था।
ये सेठ इस भिखारी का इतना अपमान करता था फिर भी वह बूढ़ा भिखारी हर बार सिर्फ यही कहता की भगवान तुम्हारे पापों को माफ करे!
एक बार सेठ को धंधे में बड़ा नुकसान हुआ। सेठ बहुत परेशान था कि तभी उसके दरवाजे पर वही भिखारी आया! गुस्से में अपना आपा खोते हुए सेठ ने उस भिखारी को पत्थर मार दिया। पत्थर लगने की वजह से भिखारी का सर फूट गया और उसके सर से खून बहने लगा। फिर भी दर्द से कराहते हुए भिखारी ने इतना ही कहा भगवान तुम्हारे पापों को माफ करे!
भिखारी वहां से चला गया। सेठ सोच में पड़ गए की मैने भिखारी को पत्थर मारा फिर भी उसने सिर्फ मेरे लिए अच्छा ही बोला। सेठ का गुस्सा शांत हुआ और अब उन्हें इस भिखारी का रहस्य जानने का मन किया। सेठ ने भिखारी का पीछा करना शुरू कर दिया।
भिखारी जहां जहां जाता सेठ उसके पीछे जाता। सेठ ने देखा कि कोई उसको खाना देता तो कोई उसको मारता तो कोई अपमानित करता तो कोई गाली देता। लोग भिखारी के साथ चाहे कितना भी गलत व्यवहार क्यों ना कर ले ये भिखारी तो सबके लिए एक ही प्रार्थना करता, “भगवान तुम्हारे पाप माफ करें!”
अब रात होने वाली थी। भिखारी अपने घर जाने के लिए लौटा, वो अपने घर पहुंच गया। लेकिन सेठ अब भी उसका पीछा ही कर रहा था।
एक पुरानी टूटी हुई झोपड़ी मे एक बूढ़ी औरत लेटी हुई थी, वह काफी कमजोर और बीमार लग रही थी। वह और कोई नहीं बल्कि इस भिखारी की पत्नी थी। अपने पति को वापस आता देख वह खाट से खड़ी हुई।
पत्नी ने अपने पति के भीख वाले कटोरे में देखा उसमें सिर्फ एक बासी रोटी थी! उसे देखकर वह बोली आज बस इतना ही मिला? और हां आपके सिर से खून निकल रहा है ये चोट कैसे लगी?
बूढ़ा भिखारी बोला आज बस इतना ही मिला किसी ने कुछ दिया ही नहीं। सब ने गालियां दी और एक ने तो पत्थर मारा इसीलिए ही मेरा सर फट गया।
एक गहरी ठंडी सांस लेकर बूढ़ा भिखारी फिर से बोला – यह मेरे ही पापों का फल है। तुम्हें याद है न कुछ सालों पहले हम कितने अमीर थे! क्या कुछ नहीं था हमारे पास? हमारे पास हर चीज जरूरत से ज्यादा थी लेकिन हमने कभी दान नहीं किया!
आगे भिखारी ने कहा की हमने उस दिन एक अंधे भिखारी के साथ कितना कुछ बुरा किया था जो हमारे द्वार पर भीख मांगने आया करता था। पत्नी की आंखों में आंसू आ गए। वह बोली – हां,हम उस बेचारे अंधे के साथ बहुत बुरा करते थे। उसका अपमान करते थे। उसे खाने के लिए रोटी की जगह कागज दिया करते थे और उसका मजाक उड़ाया करते थे।
भिखारी की पत्नी बोली मैंने कभी भी उसको रास्ता नहीं दिखाया था, एक बार मैंने उसके मुंह पर मिट्टी भी फेंकी थी और वह हमेशा दुखी होकर यही कहता कि भगवान तुम्हें तुम्हारे किए की सजा देगा। भगवान तुम्हारे पापों की सजा जरूर देगा। उसका श्राप सच हुआ और हम इस दुख भरी जिंदगी में आ गए!
भिखारी बोला – हां उसका श्राप सच हुआ और इसलिए ही मैं किसी को बददुआ नहीं देता हु। चाहे कोई मेरे साथ कैसा भी बर्ताव क्यों न करें, मैं हमेशा उसके लिए प्रार्थना करता हूं! मैं नहीं चाहता कि कोई भी हमारे जैसे जिंदगी का अनुभव करें।
मै नहीं चाहता की किसी को भी हमारे जैसे दुखों का सामना करना पड़े। वो नहीं जानते कि वह कितना बड़ा पाप कर रहे है इसलिए अनजाने में हुए पाप की ऐसी सजा किसी को भी मिले ऐसा मैं नहीं चाहता हु।
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सेठ वहीं पर छुपकर भिखारी की सारी बातें सुन रहा था। अब उसे सब कुछ समझ में आ गया था। भिखारी और उसकी पत्नी ने वह रोटी मिल बांट कर आधी – आधी खा ली और भगवान को धन्यवाद बोल कर सो गए।
अगले दिन वही बूढ़ा भिखारी फिर से सेठ के घर पर भीख मांगने गया तो सेठ ने पहले से गरमा गरम रोटीया उसके लिए निकाल कर रखी थी। सेठ विनम्रता से बोला माफ कर दीजिए बाबा मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। बूढ़ा भिखारी बोला भगवान तेरा भला करे इतना कहकर वह आगे निकल गया।
Moral : इंसान को अपने कर्म के हिसाब से फल मिलता है। भगवान् के खाते में सब का हिसाब पक्का होता है, जिसने जैसे कर्म किये होंगे उसे उसके हिसाब से ही फल प्राप्त होगा। गरीबो की दुआ ना ले सको तो कोई बात नहीं पर कम से कम बद्दुआ मत लीजिये।
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