सच्ची सुंदरता – Short Moral Story In Hindi
शारीरिक सुंदरता नाशवान है। अगर आपको सुन्दर बनना ही है तो मन, कर्म और विचारो से सुन्दर बने। शरीर कभी भी सुन्दर नहीं होता है। सुन्दर तो होता है उसमे रहने वाला हमारा मन। इस कहानी (सच्ची सुंदरता – Short Moral Story In Hindi) में उसी के बारे में बात कि गयी है।
राजकुमार भद्रबाहु को अपने सौंदर्य पर बहुत ज्यादा गर्व था। वह खुद को दुनिया का सबसे सुन्दर आदमी मानता था। एक बार वह अपने मित्र के साथ कही घूमने जा रहा था। रास्ते में श्मशान आ गया। वहा जब भद्रबाहु ने आग कि लपटे देखी तो चौक गया।
उसने अपने मित्र से पूछा कि यह क्या हो रहा है? उसके मित्र ने कहा, युवराज एक मृत व्यक्ति को जलाया जा रहा है। इस पर भद्रबाहु ने कहा, जरूर वह बहुत ही कुरूप रहा होगा। मित्र बोला नहीं वह तो बहुत ही ज्यादा सुन्दर था।
इस पर भद्रबाहु ने आश्चर्य के साथ कहा, तो उसे जलाया क्यों जा रहा है? उसके मित्र ने जवाब दिया, मृत व्यक्ति कि देह को एक न एक दिन जलना ही होता है, चाहे वह कितना भी सुन्दर क्यों न हो। मरने के बाद शरीर नष्ट होने लगता है । इसलिए उसे जलाना जरुरी है।
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यह सुनकर भद्रबाहु को काफी दुःख हुआ। उसका अपने रूप को लेकर जो भी अहंकार था वो सारा चूर – चूर हो गया । उसके बाद से वह हरदम उदास रहने लगा। इससे उसके परिवार के लोग और मित्र चिंतित हो गए।
एक दिन भद्रबाहु को एक महात्मा के पास ले जाया गया। सारी स्थिति जानकार महात्मा ने उसे समझाया कि कुमार तुम भारी भूल कर रहे हो। शरीर थोड़ी ही सुन्दर होता है। सुन्दर तो होता है उसमे रहने वाला हमारा मन।
हमारे विचार और कर्म सुन्दर होते है। तुम शरीर को इतना महत्व न दो। इसे एक उपकरण या माध्यम भर समझो। अपने विचार और कर्म को सुन्दर बनाने का प्रयत्न करो। तभी तुम्हारा जीवन सार्थक होगा। भद्रबाहु को बात समझ में आ गयी और उस दिन से वह बदल गया।
Moral : शारीरिक सुंदरता नाशवान है। मन, कर्म और विचारो से सुन्दर बने।
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