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हाथी में भगवान् – Short Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

हाथी में भगवान् – Short Story In Hindi

चाहे हम कितने भी प्रवचन क्यों न सुन ले, लेकिन जब तक हम उन प्रवचनों का अर्थ सही तरीके से नहीं समझेगे तब तक हमारा कुछ नहीं होने वाला। इसलिए बेहतर यही होगा कि हम प्रवचन का अर्थ अच्छे तरीके से समजे। इस कहानी (हाथी में भगवान् – Short Story In Hindi) में यही बताया गया है।

एक बार एक महात्मा ने अपने प्रवचन में कहा कि जीव निर्जीव दोनों में ईश्वर का वास होता है। इसलिए संसार कि हर वस्तु में ईश्वर का दर्शन किया जा सकता है।

इस प्रवचन का एक शिष्य पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसे संसार कि हर वस्तु में ईश्वर दिखाई देने लगे। पेड़ – पौधे, पशुओ, पक्षियों, पत्थरो और जंगली जीवो को ईश्वर का अंश समझकर वह उन्हें नमन करने लगा।

कुछ दिनों बाद जंगल के रास्ते से वह उसी महात्मा का प्रवचन सुनने जा रहा था। सामने से एक हाथी आता हुआ दिखाई दिया। महावत चिल्लाकर कह रहा था कि हाथी पागल है, सामने से हट जाओ। लेकिन भक्त पर महात्मा के प्रवचन का भूत सवार था।

वह हाथी से सामने नतमस्तक हुआ और महावत के चिल्लाने पर भी नहीं हटा। नजदीक आकर हाथी ने उसे अपने सूंढ़ में लपेटा और पटक दिया। भक्त वही बेहोश हो गया।

प्रवचन स्थल वहा से अधिक दूर न था। सुचना पाकर लोग आए और घायल पड़े भक्त को उपचार के लिए ले गए। उपचार के बाद उसे होश आया तो महात्मा अपने एक प्रिय शिष्य से साथ उसे देखने आए।

कुशल क्षेम के बाद उन्होंने पूछा, आप पागल हाथी के रास्ते से क्यों नहीं हटे? भक्त बोला, आपने ही तो कहा था कि हर चीज़ में ईश्वर है। मैंने हाथी में भी ईश्वर को देखा। उसके जवाब से महात्मा निशब्द हो गए लेकिन पास खड़े उनके प्रिय शिष्य ने कहा, आपके सामने हाथी भगवान् और महावत भगवान् दोनों आए थे।

आपने हाथी में भगवान् को देखा लेकिन महावत में भगवान् को नहीं देखा। महावत रूपी ईश्वर ने ही आपकी रक्षा के लिए आवाज दी थी। आपने उसे मानने से इनकार कर दिया। परिणाम आपके सामने है।

शिष्य कि बात से महात्मा और भक्त दोनों स्तब्ध रह गए। यह महात्मा थे रामकृष्ण परमहंस और शिष्य थे स्वामी विवेकानंद, जिनके पास हिन्दू धर्म और संस्कृति कि व्याख्या करने कि अद्रुत क्षमता थी।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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