ऋषि के उपदेश का असर – Short Story In Hindi
इस कहानी (ऋषि के उपदेश का असर – Short Story In Hindi) में एक राजपुत्र जो कि बहुत ज्यादा उदंड था उसके ऊपर ऋषि के उपदेश का गहरा असर पड़ता है और उसके जीवन की दिशा बदल जाती है। ये सब कैसे होते है ये जानने के लिए आपको पढ़नी पड़ेगी ये कहानी।
राजा भद्रसिंह प्रजापालक एवं न्यायप्रिय थे। नैतिक और जीवन मूल्यों के प्रति बहुत जागरूक थे किन्तु उनका पुत्र महा उत्पाती, विद्रोही, उदंड एवं निर्दयी था।
वह प्रतिदिन नये – नये उपद्रवों से लोगो को पीड़ित किए रखता था। राजा ने उसे सुधारने के अनेक उपाय किए, किन्तु कोई फायदा नहीं हुआ।
सौभाग्य से कुछ दिन बाद औषधाचार्य नामक एक ऋषि वहा आ गए। राजा की समस्या को सुनकर राजपुत्र को रास्ते पर लाने का उन्होंने भरसक प्रयास किया किन्तु परिणाम कुछ नहीं निकला।
एक दिन औषधाचार्य ऋषि उस उदंड राजपुत्र के साथ उद्यान में भ्रमण कर रहे थे, तभी उस बालक ने एक नन्हे पौधे से पत्तिया तोड़कर मुँह में डालकर चबानी शुरू कर दी। पत्तिया बहुत ज्यादा कड़वी थी।
क्रोध में आकर उसने पौधे को जड़ से उखाड़कर फेक दिया। इस हरकत से ऋषि बहुत नाराज हुए और उसे डांटने लगे। उदंड बालक बोला कि इसकी पत्तिया ने मेरा सारा मुख कड़वा कर दिया है। इसलिए मैंने इसे जड़ से उखाड़कर फेक दिया।
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गंभीर भाव से ऋषि बोले बेटा ध्यान रखो, यह तो औषधि का एक पौधा है और यह लोगो को निरोग रखने में काम आता है। ऐसी अमूल्य औषधि का तुम अपनी नासमझ बुद्धि से नाश करने में लगे हो, तुम्हे लज्जा आनी चाहिए।
इसकी कड़वाहट तुम्हे पसंद नहीं आई, लेकिन तुमने अपने कड़वे स्वभाव के बारे में कभी सोचा? तुम्हारे अनैतिक एवं उदंड स्वभाव कि कड़वाहट से लोगो का कितना अहित हो रहा है, इसका तुम्हे पता भी है? तुम्हारे पिता कि प्रजा में निंदा हो रही है।
ऋषि के वचन उस उदंड बालक के ह्यदय को छू गए। उसी क्षण से उसके जीवन कि दिशा बदल गयी। बाद में वह अपने नीतिवान पिता का वास्तविक उत्तराधिकारी बन गया।
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