Moral

अभिमान – Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

अभिमान – Moral Story In Hindi

कुछ लोगो को ऐसा अभिमान होता है की उनके बिना कोई काम पूरा नहीं हो सकता है । अगर में ये काम न करू तो कोई दूसरा उसे ख़तम नहीं कर पायेगा । मेरे बिना काम पूरा हो ही नहीं सकता है । वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं होता है । किसी के बिना किसी का भी काम नहीं रुकता है । ये Story अभिमान के बारे में ही है ।

किसी गाँव में एक परिवार रहता था । उस परिवार के जो मुखिया थे उन्हें यह अभिमान था की मेरे बिना मेरे परिवार का गुजरा नहीं हो सकता है क्योकि घर में वो अकेला ही इंसान था जो कमाता था ।

एक दिन उसके गाँव में एक महात्मा आये थे । गाँव के काफी लोग उस महात्मा की बाते सुनने के लिए जा रहे थे । ये आदमी भी उस महात्मा की बाते सुनने के लिए चले गए ।

महात्मा सभी को बता रहे थे की इस दुनिया में किसी के बिना किसी का भी काम नहीं रुकता है । फिर भी कुछ लोग अभिमान करते है की मेरे बिना किसी दूसरे का काम हो ही नहीं सकता है । भगवन सभी को उनके भाग्य के अनुसार देते ही है ।

महात्मा की बात ख़तम होने के बाद गाँव के सभी लोग चले जाते है लेकिन ये आदमी महात्मा के पास जाकर बोला की में अपने घर पर कमाने वाला अकेला ही हु । में जो कमाता हु उसी में से मेरे पुरे घर का गुजारा होता है । अगर में नहीं होता तो फिर मेरे घर से बाकि लोगो का गुजारा ही नहीं हो पाता।

उसकी बाते सुनकर महात्मा ने कहा की ऐसा कुछ भी नहीं होता है । तुम गलत सोच रहे हो । इस दुनिया में हर इंसान को उसके भाग्य के अनुसार ही मिलता है । ये सुनकर वो आदमी ने महात्मा से कहा की में ऐसा नहीं मानता हु ।

महात्मा ने उसको कहा की तुम एक काम करो कुछ दिनों के लिए किसी को भी बताये बिना गायब हो जाओ और फिर कुछ समय के बाद तुम खुद देख लेना की तुम्हारे बिना तुम्हारे परिवार का काम रुकता है की नहीं ।

उस आदमी ने बिलकुल ऐसा ही किया और वो कुछ समय के लिए किसी को भी बताये बिना शहर चला गया । उसके जाने के बाद महात्मा ने पुरे गाँव में ये बात फैला दी की उस आदमी को शेर ने अपना शिकार बना लिया और उसकी मौत हो गयी ।

धीरे – धीरे ये बात पुरे गाँव में फैल गयी और गाँव के लोग उसके परिवार की मदद करने के लिए आगे बढे । उस आदमी को एक बेटी और एक बेटा था । गाँव के लोगो ने उसकी बेटी की शादी करवा दी । उसके बेटे को किसी सेठ ने अपने यहाँ काम पर भी रख लिया ।

कुछ दिनों के बाद सब कुछ पहले जैसा ही हो गया जैसा की पहले था । काफी समय हो चूका था उस आदमी हो शहर गए । एक दिन उसने सोचा में अपने घर पर वापिस जाकर देखता हु की वहा क्या चल रहा है ।

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एक रात वो आदमी छिपकर अपने घर पर जाकर देखता है । उसके परिवार के सभी लोग बहुत खुश थे और अच्छे से जी रहे थे । ये सब देखकर उस आदमी का सारा घमंड चूर चूर हो गया ।

उस आदमी ने अपने परिवार से माफ़ी मांग ली और कहा की में गलत था । मुझे अभिमान था की मेरे बिना तुम लोगो का गुजरा नहीं हो पायेगा पर में गलत था ।

Moral : आपको इस बात का अभिमान है की आपके बिना किसी का कोई काम नहीं हो सकता है तो आप गलत है क्योकि अगर एक रास्ता बंद हो जाता है तो हजारो रास्ते खुलते है ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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