जौहरी की मूर्खता – Moral Story In Hindi
मूर्खता और लालच के कारन हमेंशा अंत में नुकसान ही होता है । किसी भी चीज़ में लालच नहीं रखनी चाहिए क्योकि लालच की वजह से हमें हर बार नुकसान ही होता है । ये Story भी लालच और मूर्खता के बारे में ही है ।
किसी गाँव में मेला (Fair) लगा हुआ था । गाँव के सभी लोग उस मेले का आनंद उठा रहे थे । मेले में बच्चो के लिए मनोरंजन के कई सारे साधन थे , साथ ही साथ दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुओं की भी बहुत सारी दुकानें थी ।
एक दिन हररोज की तरह मेला लगा हुआ था । सब लोग मेले का आनंद उठा रहे थे । दुकानों में अच्छी भीड़ उमड़ी हुई थी । उन सब दुकानों में से एक दुकान महिलाओं के नकली गहने की भी थी । इस दुकान में काफी लोगो की भीड़ जमा हुई थी ।
एक जौहरी अपनी पत्नी और बच्चो के साथ उस दिन मेले में घूम रहा था । घूमते – घूमते उसकी पत्नी की नजर इस नकली गहनों की दुकान की ओर गयी । जौहरी की पत्नी को अब नकली गहने ख़रीदने की इच्छा हुई ओर वो सब उस दुकान में गए । जौहरी की नजर तभी उसी दुकान में एक हिरे ही अंगूठी पर पड़ी ।
जौहरी ने चमकता हुआ हिरा देखते ही पहचान लिया की ये कोई मामूली हिरा नहीं है बल्कि कीमती हिरा है । जौहरी ये भी समज गया था की इस बात से ये दुकानदार अनजान है की ये हिरा असली है । उसने दुकानदार से इस अंगूठी की कीमत पूछी । दुकानदार ने कहा ये मात्र 100 रूपये की है ।
जौहरी बेहद लालची था । वो अब इस अंगूठी के मोल -भाव करने लगा । जौहरी ने कहा तुम मुझे क्या इस अंगूठी को 80 रूपये में दे सकते हो ? दुकानदार ने कहा जी नहीं में आपको 90 में दे सकता हु उससे ज्यादा कम भाव में नहीं कर सकता । जौहरी ने सोचा में मेला घूमने के बाद फिर से इस दुकान में आऊंगा क्या पता इसका मन बदल जाए ओर ये मुझे 80 रूपये में दे दे ।
जौहरी वहा से निकला जाता है । थोड़ी देर के बाद जब जौहरी फिर से उसी दुकान में आता है तब वो देखता है की यहाँ पर जो अंगूठी पहले थी अब नहीं रही । वो तुरंत दुकानदार से पूछने लगता है की कहा गयी वो अंगूठी ? दुकानदार ने कहा वो अंगूठी तो मेने बेच दी ।
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दुकानदार की बात सुनकर जौहरी हक्का – बक्का रह जाता है । वो दुकानदार से पूछता है की तुमने उस अंगूठी को कितने में बेचा ? दुकानदार बताता है की मेने उस अंगूठी को 90 रूपये में बेच दिया । तभी जौहरी उस दुकानदार को बोलता है की तुम मुर्ख हो , वो कोई मामूली अंगूठी नहीं थी । वो अंगूठी में जो हिरा था बहुत कीमती था । तुमने इतने कीमती हिरे को केवल 90 रूपये में बेच दिया !
तभी वो दुकानदार जौहरी को बोलता है की मूर्ख मैं नहीं तुम हो । में तो नहीं जानता था की अंगूठी में जो हिरा था वो असली है ओर कीमती है , लेकिन तुम तो जानते थे ना फिर भी मुझसे मोल-भाव कर 10 रुपया बचाने में लगे रहे थे ओर वो अंगूठी बिना ख़रीदे ही दुकान से चले गए ।
दूकानदार की बाते सुनने के बाद जौहरी अपनी मूर्खता पर पछताने लगा ।
Moral : मूर्खता और लालच से हमेंशा नुकसान ही होता है ।
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