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जैसे विचार वैसा कर्म – Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

जैसे विचार वैसा कर्म – Moral Story In Hindi

जैसे हमारे विचार होते है वैसा ही हमारा कर्म होता है । अगर दुसरो के बारे में हमारे विचार अच्छे होते है तो हमारे लिए भी लोग अच्छा ही सोचते है ।

पुराने समय की बात है । एक दिन राजा अपने हाथी पर बैठकर अपने मंत्री के साथ राज्य का भ्रमण कर रहे थे । राजा घूमते – घूमते एक दुकान के आगे आकर रुक जाते है ।

राजा रुकने के बाद अपने मंत्री से कहते है की पता नहीं पर क्यों मुझे ऐसा विचार आ रहा है की में इस दूकानदार को फांसी की सजा दे दू । मंत्री सोचने लगा की राजा ऐसा क्यों बोल रहे है । लेकिन मंत्री राजा से पूछे की आपने ऐसा क्यों कहा उससे पहले ही वे थोड़ा आगे बढ़ चुके थे ।

मंत्री ने उस दिन राजा से कुछ भी नहीं पूछा लेकिन अगले दिन भी मंत्री के दिमाग में बार – बार वो बात आ रही थी की राजा ने उस दूकानदार के बारे में ऐसा क्यों कहा । मंत्री से अब रहा नहीं गया ।

मंत्री ने भेष बदल लिया और वो आम जनता के भेष मे उस दुकान पर पहुंच गया । उस दुकान पर पहुंचने के बाद मंत्री ने देखा की दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता है ।

मंत्री ने उस दुकानदार से पूछा की तुम्हारा धंधा कैसा चल रहा है ? दुकानदार ने कहा की क्या बताऊ में आपको , आजकल तो बहुत बुरे हाल है । लोग आते है चंदन को देखते है और चले जाते है , लेकिन कोई भी खरीदता नहीं है ।

में तो सिर्फ इस इंतजार में बैठा हु की कब हमारे राज्य के राजा का मृत्यु हो । मंत्री ने पूछा की तुम क्यों राजा के मृत्यु का इन्तजार कर रहे हो ? दुकानदार ने कहा की राजा की जब मृत्यु होगी तब उनके अंतिम संस्कार मे चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल होगा और इससे मेरा अच्छा धंधा भी होगा ।

मंत्री को अब सब कुछ समज में आ गया । मंत्री ने सोचा की ये दुकानदार के विचार ही नकारात्मक है और उसलिए ही राजा जब इस रास्ते से गुजर रहे थे तब उनके दिमाग में ये नकारात्मक विचार आया ।

मंत्री का स्वभाव काफी अच्छा था और वो बुद्धिमान भी था । उसने तुंरत दुकानदार से कहा की में आपके दुकान से थोड़ी चंदन की लकड़ी खरीदना चाहता हु । दुकानदार मंत्री की बात सुनकर खुश हो गया की चलो मुझे कोई ग्राहक तो मिल गया ।

दुकानदार ने मुस्कुराते हुए चंदन की लकड़ी को कागज मे लपेट लिया और मंत्री को दे दिया । मंत्री अब ये चंदन की लकड़ी को लेकर राजा के पास पहुंचे और उसने राजा को बताया की वो जो दुकानदार है ना उसने आपके लिए तोहफा भेजा है ।

राजा चंदन की लकड़ी देखकर बहुत खुश हो जाते है । वो सोचने लगते है की मै तो फालतू मे ही उसे फांसी की सजा देने की सोच रहा था, उसने तो मेरे लिए तोहफा भेजा ।

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राजा ने तुरंत मंत्री को बुलाकर उस दुकानदार के लिए सोने के सिक्के भिजवाए । मंत्री अगले दिन सोने के सिक्के लेकर उस दुकानदार के पास जाता है और दुकानदार से कहता है की ये लीजिये आपक तोहफा , राजा ने आपके लिए भेजा है ।

वो दुकानदार तोहफा देखने के बाद बहुत खुश हो जाता है और मंत्री को बोलता है की मै फालतू में ही ऐसा सोच रहा था कि राजा को दुनिया से चले जाना चाहिए , हमारे राज्य के राजा तो बहुत अच्छे और दयालु है ।

Moral : अच्छा सोचने पर ही हमारे साथ अच्छा होता है । हम वही पा सकते है जो हम दुसरो को दे सकते है । जैसे हमारे विचार होते है वैसा ही हमारा कर्म होता है ।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

1 Comment

  • बहुत सुन्दर कहानी यह। जब अच्छा सोचोगे तभी तो अच्छा भोगोगे। ….

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