पारस का पत्थर – Inspirational Story In Hindi
एक दिन एक व्यक्ति पारस का पत्थर खोजने निकला था । उसको रास्ते में एक साधु मिलते है । वो व्यक्ति साधु से कहता है की में पारस का पत्थर खोजने के लिए निकला हु , आप कृपया मुझे ये बता सकते है की पारस का पत्थर होता कैसा है और मुझे वो कहा पर मिलेगा ?
साधु ने उस व्यक्ति को कहा की यहाँ से दक्षिण दिशा में चलने पर आपको एक तालाब मिलेगा , उस तालाब के किनारे कई पत्थरो के ढेर है , उसी ढेर में से आपको पारस का पत्थर मिल जायेगा ।
उस व्यक्ति ने साधु से पूछा की में कैसे पहचानूँगा की इतने सारे पत्थरो के ढेर में से पारस का पत्थर कोनसा है ?
साधु ने उस व्यक्ति से कहा की पारस के पत्थर की पहचान ये है की वह और पत्थरो की अपेक्षा कुछ ज्यादा गर्म होता है । उस व्यक्ति ने कहा अच्छा ठीक में ढूंढ लूंगा और वो आगे चला गया ।
अब वो व्यक्ति हररोज तालाब के किनारे जाता है और वहा पड़े पत्थरों की ढेर पर बैठता है । वहा पर बैठकर वो एक पत्थर उठाता है और उसे अपने गाल से छुआता है और यह जानने का प्रयास करता की यह पत्थर गर्म है या नहीं । अगर पत्थर ठंडा होता है तो वो उसे तालाब में फेक देता है ।
इस तरह पारस का पत्थर ढूढ़ते – ढूढ़ते उसे कई बरस लग जाते है । हररोज घर से आना और तालाब के किनारे बैठना, पत्थरों की ढेरियो से पत्थर उठाना और उसे तालाब में फेंक देना यह उसका हररोज का काम हो जाता है ।
एक दिन ऐसा आता है की उसे पारस का पत्थर मिल जाता है । उसने एक पत्थर उठाया और उस पत्थर को गले से छुआया , इसबार उसको वो पत्थर गर्म लगा लेकिन हररोज की तरह उसने इस पत्थर को भी तालाब में फेक दिया ।
पत्थर तालाब में फेकने के बाद उसको यह अहसास हो गया की उसने उस पारस के पत्थर को तालाब में फेंक दिया है जिसके लिए वो इतने वर्षो से कठोर परिश्रम करता था ।
अब वो बहुत पछता रहा था । वो मन ही मन बोल रहा था की मेने ये क्या कर दिया ? उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था । वह वापस साधू के पास गया और उसने साधू से कहा की मुझे पारस पत्थर मिला था लेकिन गलती से मैंने उसे भी तालाब में फेंक दिया ।
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साधु ने उस व्यक्ति से कहा की पारस के पत्थर की प्राप्ति तुम्हारा उद्देश्य था और तुम लम्बे समय तक उसे प्राप्त करने के लिए कार्य करते रहे । कार्य तो तुम्हे याद रहा लेकिन कार्य के उद्देश्य को तुम भूल गये ।
साधु ने उसको ये भी कहा की तुमने अपने उद्देश्य के प्रति सावधानी नहीं रखी इसलिए ऐसा हुआ । तुम तालाब के किनारे बैठकर पत्थर फेंकने को ही अपना उद्देश्य समझ बैठे थे इसलिए तुम अपने कार्य के उद्देश्य को ही भूल गये ।
इसी तरह हम भी कई बार कोई कार्य बड़े ही उत्साह के साथ शुरू तो कर देते है किन्तु धीरे – धीरे जब समय बीतता है तो हम उस कार्य के उद्देश्य को ही भूल जाते है । हम उस कार्य को क्यों कर रहे थे और उसका उद्देश्य क्या था ? ये हमें पता ही नहीं रहता है ।
ये सब होने का मुख्य कारण है Focus का ना होना । अगर आप आपके काम या लक्ष्य पर सही ढंग से Focus नहीं रखते है तो आप निश्चित रूप से अपना उद्देश्य भूल जायेंगे । इसलिए आप जो भी काम करते है उसके उद्देश्य को हमेशा याद रखे ।
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