60 दिन का महीना – Akbar Birbal Story In Hindi
अकबर और बीरबल की इस कहानी में बादशाह अकबर दरबारियों से कहते है की 30 दिन की जगह 60 दिन का महिना होना चाहिये । इसके बारे में सभी दरबारी क्या राय देते है ये जानने के लिए आपको पढ़नी होगी ये कहानी ( 60 दिन का महीना – Akbar Birbal Story In Hindi ) ।
एक दिन बादशाह अकबर के यहाँ दरबार लगा हुआ था । बीरबल और सभी दरबारी दरबार में हाजिर थे । अकबर ने सभी दरबारियों से कहा की में ये सोच रहा हु की 30 दिन की जगह 60 दिन का महिना होना चाहिये । आप सभी का इसके बारे में क्या ख्याल है ?
अकबर के दरबार में चापलूस दरबारियों की कोई कमी नहीं थी । उन सभी दरबारियों का उद्देश्य सिर्फ चापलूसी करके तरक्की हासिल करने का था , किन्तु बीरबल उन सभी की राह में हर बार रुकावट लाता था ।
बादशाह अकबर की ये बात सुनकर सभी दरबारी ने हाँ में हाँ मिला दी । ये उन सभी के लिए चापलूसी करने का बेहतर अवसर था । कुछ दरबारियों ने तो ये भी कहा की महाराज ये आपका अति-उत्तम विचार है । 30 दिन का महीना बहुत छोटा होता है और इतने कम समय में काम भी पुरे नहीं होते है , इसलिए महीना 60 दिन का ही होना चाहिए ।
कुछ दरबारी तो ये भी कहने लगे की इससे अच्छा विचार तो हो ही नहीं सकता है और आपको 60 दिन का महिना करने का फ़रमान फ़ौरन जारी कर देना चाहिए । बीरबल ये सब बैठ कर देख रहे थे लेकिन उन्होंने इसके बारे में अपनी राय व्यक्त करने में कोई उत्सुकता नहीं दिखाई थी ।
बीरबल को ऐसे चुप बैठे देखकर अकबर बोले “बीरबल , तुम्हारा इसके बारे में क्या ख्याल है ? ” “क्या तुम्हारी राय भी बाकि दरबारियों की तरह ही है या कुछ अलग है ? ”
बीरबल ने कहा जी आपका 30 दिन की जगह पर 60 दिन का महीना कर देने का विचार तो बहुत अच्छा है लेकिन इसके लिए हमें एक काम करना होगा ।
बादशाह अकबर कुछ बोलते इससे पहले ही सभी दरबारी बोलने लगे की हम बादशाह अकबर के आदेश का पालन करने के लिए कोई भी काम करने के लिए तैयार हैं ।
बीरबल ने कहा बहुत अच्छी बात है । फिर बीरबल बोले , आप लोग जानते ही होंगे कि पृथ्वी पर 15 दिन चाँदनी रातें और 15 दिन अंधेरी रातें चंद्रमा के कारण होती है । प्रकृति के इस नियम की वजह से पृथ्वी पर महीना 30 दिन का होता है ।
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अब जब आप सभी 60 दिन का महिना करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, तो ऐसा कीजिये कि चंद्रमा को कहकर 30 दिन के लिए चाँदनी रातें और 30 दिन के लिए अंधेरी रातें करवा दीजिये ।
बीरबल की ये बात सुनकर दरबार में हाजिर सभी दरबारी परेशान हो जाते है । बीरबल सभी दरबारियों से पूछते है की क्या आप सभी ये कर पाएंगे ? बीरबल को कोई भी जवाब नहीं दे पाता है ।
ये सब देखकर अकबर कहते है की मेने ये सवाल दरबारियों की परीक्षा लेने के लिए पूछा था । वो सभी दरबारियों से कहते है की आप सभी चापलूसी करके बीरबल की बराबरी करने चले थे । बीरबल की बराबरी के लिए अक्ल चाहिये चापलूसी नहीं ।
बादशाह अकबर दरबारियों की चापलूसी देखकर नाराज हो जाते है ।
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