सफलता का पाठ – Short Motivational Story In Hindi
हम लोग काम तो शुरू कर देते है लेकिन उसमे अपनी पहली असफलता को ही आगे प्रयास न करने की वजह बना लेते हैं । ये कहानी ( सफलता का पाठ – Short Motivational Story In Hindi ) भी उसी के बारे में है ।
दिपक ने अपनी पढाई के बाद बड़े उत्साह से एक बिज़नेस की शुरुआत की । 3 महीने बाद उसके बिज़नेस में नुकसान हुआ और उसने अपना बिज़नेस बंद कर दिया । वो इस वजह से बहुत उदाश भी रहने लगा था ।
ये बात उसके चाचा को पता चलती है की दिपक ने बिज़नेस बंद कर दिया है । उसके चाचा ने उसे अपने घर पर बुलाया और पूछा की क्या बात है ? तुम आज कल इतने उदाश क्यों रहते हो ? दिपक ने बताया की जैसा में चाहता था वैसा मुझे Result नहीं मिला और उसलिए मुझे मेरा बिज़नेस बंद करना पड़ा ।
उसके चाचा ने कहा बेटा बिज़नेस में तो ये होता ही रहता है , इसमें इतना उदाश होने की कोई जरुरत नहीं है । दिपक ने कहा चाचा लेकिन मेने बहुत मेहनत की थी और अच्छे पैसे भी Invest किये थे फिर भी में नाकामयाब रहा ।
चाचा ने कहा दिपक बेटा तुम मेरे साथ आओ , दिपक उनके साथ चलने लगा , फिर चाचा ने कहा बेटा इस टमाटर के मरे हुए पौधे को देखो । दिपक ने कहा चाचा ये तो बेकार हो चुका है , इसे देखने से क्या फायदा ?
चाचा ने कहा बेटा जब मेने इसे बोया था तब मेंने हर एक चीज की जो इसके लिए सही हो वो सब में करता था , जैसे की समय समय पर पानी डालना , खाद देना और कीटनाशक का छिड़काव करना लेकिन फिर भी ये मृत हो गया ।
चाचा ने दिपक को समजाते हुए कहा की चाहे हम कितनी भी मेहनत कर ले लेकिन फिर भी कुछ समय अंत में क्या होगा ये हम तय नहीं कर पाते है । हम सभी चीज़ो को Control नहीं कर पाते है और ऐसी Situation में हमें सिर्फ मेहनत करनी चाहिए और बाकि का सब कुछ भगवान् के हाथ में छोड़ देना चाहिए ।
दिपक ने कहा चाचा लेकिन कामयाबी की कोई Guarantee ही नहीं है तो फिर प्रयास करने से क्या फायदा ? चाचा ने कहा बेटा बहुत सारे लोग ऐसा सोचकर कुछ बड़ा करने का प्रयास ही नहीं करते है । हमें चाहे सफलता मिले या न मिले लेकिन हमें प्रयास तो करना ही चाहिए ।
दिपक ने निकलते निकलते कहा इतनी मेहनत , इतना पैसा , इतना समय देने के बाद भी अगर सफलता न मिले तो इतना कुछ करने का क्या फायदा ? चाचा ने कहा बेटा रुको तुम , जाने से पहले जरा इस दरवाजे को खोलकर तो देखो और चाचा ने एक दरवाजे की तरफ इशारा किया ।
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दिपक ने दरवाजा खोला और देखा की सामने बड़े -बड़े लाल टमाटरों का ढेर पड़ा हुआ है । ये देखकर दिपक ने कहा चाचा ये सब कहा से आये ?
चाचा ने कहा बेटा टमाटर के सारे पौधे नहीं मरे थे । अगर तुम भी लगातार मेहनत करते रहोगे तो तुम्हारा सफलता पाने का Chance बढ़ जायेगा । लेकिन अगर तुमने थोड़े ही समय में हार मान की तो तुम आगे कुछ नहीं कर पाओगे ।
दिपक अब सफलता का पाठ अच्छे से पढ़ चूका था । वो समज गया था की उसे अब आगे क्या करना है और कैसे करना है ।
लगातार प्रयास करने से हमें सफलता जरूर मिलती है । निष्फलता ही सफलता की चाबी होती है ।
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