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आखरी इच्छा – Short Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

आखरी इच्छा – Short Story In Hindi

इस कहानी में राजा अपने मंत्री को मौत की सजा देने से पहले उसकी आखरी इच्छा पूछते है । मंत्री अपनी आखरी इच्छा क्या बताता है ये जानने के लिए आपको पढ़नी होगी ये कहानी ( आखरी इच्छा – Short Story In Hindi ) ।

पुराने समय की बात है । एक राजा था , जिसने 15 – 20 जंगली कुत्ते पाल रखे थे । इस जंगली कुत्तो का इस्तेमाल वो लोगों को उनके द्वारा की गयी गलतियों पर मौत की सजा देने के लिए करता था ।

एक दिन राजा के एक 10 साल पुराने मंत्री से कोई गलती हो जाती है । राजा अपने मंत्री से बहुत क्रोधित होते है । वो ये तय करते है की में इस मंत्री को जंगली कुत्तो से मौत की सजा दूंगा । राजा ने मंत्री को जंगली कुत्तों के सम्मुख फिकवाने का आदेश भी दे दिया ।

सजा देने से पहले राजा ने मंत्री से उसकी आखिरी इच्छा पूछी । मंत्री ने राजा से कहा की मेने आपकी 10 सालों से सेवा की है इसलिए में सजा पाने से पहले आपसे 10 दिनों की मोहलत चाहता हूँ ।

राजा ने कहा अच्छा ठीक है में तुम्हे 10 दिनों की मोहलत देता हु । दस दिनों के बाद राजा के सैनिक मंत्री को पकड़ कर लाते है । राजा का आदेश मानते हुए सैनिक उस मंत्री को जंगली कुत्तो के सामने फेंक देते हैं ।

किन्तु राजा ने जो सोचा था उससे कुछ उल्टा ही होता है । वो जंगली कुत्ते मंत्री पर टूट पड़ने की बजाय अपनी पूँछ हिला-हिला कर मंत्री के ऊपर कूदने लगते हैं । वो जंगली कुत्ते मंत्री का पैर चाटने लगते हैं । ये सब देखकर राजा आश्चर्यचकित हो जाते है ।

राजा ये सोचने लगते है की आखिर इन जंगली कुत्तो को क्या हुआ है ? ये कुत्ते इस तरह क्यों व्यवहार कर रहे हैं ? अब राजा से रहा नहीं गया और उन्होंने मंत्री से पुछ ही लिया , ये सब क्या चल रहा है ? ये जंगली कुत्ते तुम्हे काटने की बजाये तुम्हारे साथ क्यों खेल रहे हैं ?

मंत्री ने जवाब दिया , राजन मेने सजा से पहले आपसे 10 दिनों की मोहलत ली थी और उसी समय में इन बेजुबान जंगली कुत्तो की सेवा में व्यस्त हो गया था । में हररोज इन कुत्तो को खाना खिलाता था और उनका अच्छे से ध्यान भी रखता था ।

ये कुत्ते इतने जंगली होने के बावजूद भी मेरी दस दिन की सेवा को नहीं भूल पाए और आप राजा यानि की प्रजा के पालक हो कर भी मेरी 10 वर्षों की सेवा को भूल गए और आपने मेरी एक छोटी सी गलती पर इतनी बड़ी सजा सुना दी ।

राजा को मंत्री की बात सुनकर अपनी भूल का एहसास हो गया और उन्होंने फ़ौरन मंत्री को आजाद करने का हुक्म दिया ।

कई बार हम भी इस राजा की तरह किसी की कई सालो की अच्छाई को उसकी एक छोटी सी गलती की वजह से भुला देते हैं । हमें किसी की हज़ार अच्छाइयों को उसकी एक बुराई के सामने छोटा ना होने देना चाहिए । हमें क्षमाशील बनना चाहिए ।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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