समस्या का कारण – Short Inspirational Story In Hindi
हम अक्सर अपनी समस्या का निवारण उसका कारण बिना जाने ही करना चाहते हैं । इस काहनी ( समस्या का कारण – Short Inspirational Story In Hindi ) में गौतम बुद्ध अपने शिष्यों को इसके बारे में ज्ञान देते है ।
गौतम बुद्ध अक्सर अपने शिष्यों को शिक्षा दिया करते थे । एक दिन बहुत सारे शिष्य उनका प्रवचन सुनने के लिए बैठे थे । बुद्ध अपने हाथ में रस्सी लेकर प्रवचन देने के लिए आते है । उन्होंने अपना आसन ग्रहण किया और वो किसी से कुछ कहे बिना रस्सी में गांठें लगाने लगे ।
वहा पर बैठे सभी लोग ये सोच रहे थे की बुद्ध अब आगे क्या करने वाले है । तभी बुद्ध ने सभी से एक प्रश्न पूछा , “मेने इस रस्सी में दो गांठ लगा दी है , अब में आपसे ये जानना चाहता हूँ कि क्या ये वही रस्सी है जो गाँठें लगाने से पूर्व थी ? ”
एक शिष्य ने इसका जवाब दिया , ” गुरूजी इस प्रश्न का जवाब देना थोड़ा कठिन है , ये वास्तव में हमारे देखने के तरीके पर निर्भर करता है । एक तरीके से देखे तो ये वही रस्सी है , इस रस्सी में कोई बदलाव नहीं आया है किन्तु दूसरे तरीके से देखे तो अब इसमें दो गांठें लगी हुई हैं जो पहले नहीं थीं । हम इसे बदला हुआ कह सकते है । ध्यान से सोचे तो बहार से देखने में ये रस्सी बदली हुई है पर अंदर से तो ये वही रस्सी है जो पहले थी । ”
गौतम बुद्ध ने कहा , ” सत्य है ” । अब में इन दोनो गाठों को खोल देता हु । अब गौतम बुद्ध रस्सी के दोनों सिरों को एक दुसरे से दूर खींचने लगे । उन्होंने फिर एक बार उस शिष्य से पूछा की तुम्हें क्या लगता है , इस तरह इन्हें खींचने से क्या मैं इन दोनों गांठों को खोल पाउँगा ?
शिष्य ने कहा जी नहीं , ऐसा करने से तो ये गांठे और भी कस जाएंगी और इन्हे खोलना मुश्किल हो जाएगा । गौतम बुद्ध ने कहा अच्छा ठीक है , अब में तुमसे ये पूछना चाहता हु की इन गांठों को खोलने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
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शिष्य ने कहा इसके लिए हमें इन गाठों को ध्यान से देखना होगा , ताकि हमें ये पता चले की इन्हे कैसे लगाया गया था , और फिर हम इन्हे खोलने का प्रयास कर सकते हैं ।
गौतम बुद्ध ने कहा में यही सुनना चाहता था । अगर हम किसी समस्या में फसे है तो ये हमें पहले जानना चाहिए की वास्तव में उस समस्या का कारण क्या है और में आप सभी को भी यही समजाना चाहता था । में देखता हु की बहुत सारे लोग अपनी समस्या का कारण बिना जाने ही उसका निवारण करना चाहते हैं ।
बुद्ध ने कहा की लोग मेरे पास आते है और मुझसे पूछते है की मैं अपने क्रोध का अंत कैसे करूँ ? में अपना अहंकार कैसे ख़त्म करूँ ? लेकिन कोई ये जानने की कोशिश नहीं करता है की मुझे क्रोध क्यों आता है ? मेरे अंदर अंहका कहाँ से आया ?
उन्होंने शिष्यों से ये भी कहा की , जिस तरह रस्सी में गांठें लग जाने पर भी उसका बुनियादी स्वरुप नहीं बदलता है वैसे ही मनुष्य में भी कुछ विकार आ जाने से उसके अंदर के अच्छाई के बीज कभी ख़त्म नहीं होते ।
जैसे हम रस्सी की गांठें खोल सकते हैं वैसे ही हम अपनी समस्याएं आसानी से हल कर सकते हैं । अगर जीवन है तो समस्याएं भी होंगी और समस्याएं हैं तो समाधान भी अवश्य होगा । हमें अपनी समस्या के कारण को अच्छी तरह से जान लेना चाहिए और कारण जानने पर हमें उसका समाधान भी प्राप्त हो जाएगा ।
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