आदत – Inspirational Story In Hindi
क्या आप को भी खुद की किसी बुरी आदत के लिए ऐसा लगता है की मैंने ये आदत नहीं पकड़ी है बल्कि इस आदत ने मुझे पकड़ रखा है ? अगर आपको भी कोई खराब आदत है और आप ऐसा सोचते है तो ये कहानी ( आदत – Inspirational Story In Hindi ) आपके लिए ही है ।
एक व्यक्ति को हररोज जुआ खेलने की बुरी आदत पड़ गयी थी । उसकी इस आदत से उसके घरवाले बहुत परेशान रहते थे । उसके रिस्तेदार और करीबी लोग उसे समझाने की कोशिश करते लेकिन वो हर किसी को यही जवाब देता था की , मैंने ये आदत नहीं पकड़ी है बल्कि इस आदत ने मुझे पकड़ रखा है ।
वो व्यक्ति अपनी इस आदत को छोड़ना चाहता था लेकिन लाख कोशिश के बावजूद भी वो ऐसा नहीं कर पा रहा था । उसके घरवालों ने सोचा की इसकी शादी करवा देने से वो ये आदत छोड़ देगा ।
उसकी शादी भी करवा दी गयी । थोड़े समय तक सब कुछ ठीक चला और फिर से वो जुआ खेलने लगा । उसकी पत्नी भी पति की इस आदत से बहुत परेशान थी और उसने तय किया था की वो किसी न किसी तरह अपने पति की इस आदत को छुड़वा कर रहेगी ।
एक दिन उसकी पत्नी को किसी साधु-महात्मा के बारे में पता चला और वो अपने पति को लेकर उनके आश्रम जाती है । उस साधु ने कहा बताओ पुत्री तुम्हे क्या समस्या है ?
पत्नी ने सारी बाते उस साधु को बताई । साधु ने इस समस्या का समाधान लाने के लिए उन पति – पत्नी को कल आने के लिए कहा । अगले दिन दोनों आश्रम पहुंचे तो उन्होंने देखा की साधु एक पेड़ को पकड़ के खड़े है ।
उन्होंने साधु से पूछा की आप ये क्या कर रहे है ? आप ने पेड़ को इस तरह क्यों पकड के रखा है ? साधु ने कहा की आप जाइये और कल आना ।
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फिर तीसरे दिन वो दोनों पति – पत्नी आश्रम पहुंचे और उन्होंने देखा की साधु पेड़ पकड़ के खड़े हैं । उन दोनों ने आश्चर्य से पूछा की महाराज , आप ये क्या कर रहे हो ? साधु बोले ये पेड़ मुझे छोड़ नहीं रहा है , आप लोग जाइए और कल आना ।
पति – पत्नी को इस साधु का बर्ताव कुछ अजीब लगता है । वो दोनों बिना कुछ बोले वापिस अपने घर चले जाते है । अगले दिन जब वो दोनों फिर आश्रम गए तो उन्होंने देखा की साधु अभी भी उसी पेड़ को पकड कर खड़े है ।
पति परेशान होकर साधु से बोला की आप ये क्या कर रहे हो ? आप इस पेड़ को छोड़ क्यों नहीं देते हो ? साधु ने कहा की मैं क्या करूँ बेटा ये पेड़ मुझे छोड़ ही नहीं रहा है ।
तभी पति ने हस्ते हुए कहा , महाराज आप ने पेड़ तो पकड़ के रखा है , पेड़ ने आपको नहीं ! आप जब चाहो तब उसे छोड़ सकते हो । साधु – महात्मा ने कहा , बेटा में इतने दिनों से तुम्हे यही समझाने की कोशिश कर रहा था की तुमने जुआ खेलने की आदत को पकड़ के रखा है उस आदत ने तुम्हे नहीं पकडा है !
पति को अपनी गलती का अहसास हो जाता है । वो समज गया की अपनी इस आदत के लिए वो खुद जिम्मेदार है और अपनी इच्छा से वो ये आदत चाहे तो छोड़ सकता है ।
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