आलसी ब्राह्मण – Motivational Story In Hindi
हमें किसी भी काम को टालने की आदत नहीं बनानी चाहिए। ये कहानी (आलसी ब्राह्मण – Motivational Story In Hindi) भी उसी के बारे में है।
किसी गांव में एक ब्राह्मण बड़े आराम से जी रहा था। वह रोज़ सुबह देर से उठता, शांति से पूजा करता, फिर अपना आलस्यपूर्ण दिन बिताता, और रात को फिर सो जाता। उसकी पत्नी, जो किसान की बेटी थी, उसके साथ खुश नहीं थी, क्योंकि वह सारा काम खुद ही करती थी, जबकि उसका पति सिर्फ आराम से बैठा रहता था।
दिन बितते गए, ब्राह्मण के घरवाले उसके आलस्यपूर्ण जीवन से परेशान हो रहे थे। उन्होंने उसे बार-बार समझाया कि वह भी कुछ काम करने का प्रयास करें, पर ब्राह्मण कभी सुनता ही नहीं था।
एक दिन, बच्चों की खिलखिलाहट ने एक साधु महात्मा का ध्यान आकर्षित किया, जो उनके गांव के पास से गुज़र रहे थे। ब्राह्मण ने देखा कि बच्चे साधु महात्मा के चारणों में गिरकर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं। इसके बाद, उसने साधु का स्वागत किया और उन्हें अपने घर में आने के लिए कहा।
साधु महात्मा ने धन्यवाद दिया और रात के खाने के लिए उनके घर आए। ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने साधु के लिए सबसे अच्छा भोजन तैयार किया और उनकी सेवा में अच्छे से विशेष ध्यान दिया।
साधु महात्मा ने उनकी सेवा के लिए प्रसन्न होकर उनसे कोई एक वारदान मांगने की अनुमति दी। ब्राह्मण ने खुशी-खुशी साधु से वारदान मांग लिया कि वह अब किसी भी प्रकार के काम से मुक्त रह सके, और उसका काम कोई और उसके लिए कर दे।
साधु महात्मा ने वारदान देते समय एक जिन्न को उनके साथ भेज दिया और कहा कि वह ब्राह्मण के सारे काम कर देगा, लेकिन ब्राह्मण को ध्यान देना होगा कि जिन्न को हमेशा व्यस्त रखना होगा। अगर उसको काम नहीं मिलता, तो वह ब्राह्मण को खा सकता है।
जब ब्राह्मण को यह पता चला कि उसको अब कोई भी काम नहीं करना पड़ेगा तो वो बहुत खुश हो गया। उसने जिन्न को पहला काम खेत जोतने का दिया।
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जिन्न वहां से गायब हो जाता है और ब्राह्मण की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। कुछ ही देर में जिन्न फिर आ जाता है और बोलता है कि खेत जोत दिया, दूसरा काम दीजिए। मुझे बताओ, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा।
ब्राह्मण डर कर बिलबिलाया और बोला, “ठीक है, तुम्हे खेत में जाकर सिंचाई करनी है।”
जिन्न तुरंत खेत में पहुँच गया और सिंचाई शुरू कर दी। इसके बाद, वह फिर ब्राह्मण के पास गया और पूछा, “अब कौनसा काम करना है?”
ब्राह्मण को अचानक समझ में आया कि वह जिन्न को एक ऐसा काम देने जा रहा था, जिसे जिन्न ने तुरंत पूरा कर दिया। इसलिए, ब्राह्मण के पास और कोई काम नहीं था जिसे वह जिन्न को दे सकता था।
जिन्न ने फिर से कहा, “मुझे कौनसा काम करना है बताओ, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा।” अब ब्राह्मण के पास कुछ भी काम नहीं बचा था, जिसे वह जिन्न को दे पाए। वह बहुत ही डर गया।
जब ब्राह्मण की पत्नी अपने पती को डरा हुआ देखती है, तो अपने पती को इस संकट से निकालने के बारे में सोचने लगती है। वह ब्राह्मण से बोलती है कि स्वामी अगर आप मुझे वचन देंगे कि आप कभी आलस नहीं करेंगे और अपने सभी काम खुद करेंगे, तो मैं इस जिन्न को काम दे सकती हूं।
इस पर ब्राह्मण सोचता है कि पता नहीं यह क्या काम देगी। अपनी जान बचाने के लिए ब्राह्मण अपनी पत्नी को वचन दे देता है। इसके बाद ब्राह्मण की पत्नी जिन्न से बोलती है कि हमारे यहां एक कुत्ता है। तुम जाकर उसकी पूंछ पूरी सीधी कर दो। याद रखना उसकी पूंछ एकदम सीधी होनी चाहिए।
जिन्न बोलता है कि अभी यह काम कर देता हूं। यह बोलकर वह वहां से चला जाता है। लाख कोशिश के बाद भी वह कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं कर पाता और हार मान लेता है। हारकर जिन्न ब्राह्मण के यहां से चला जाता है। उस दिन के बाद से ब्राह्मण अपने आलस को छोड़कर सभी काम करने लगता है और उसका परिवार खुशी-खुशी रहने लगता है।
Moral : आलस्य से बचें, हमें किसी भी काम को टालने या आलस्य में डूबने का आदत नहीं बनानी चाहिए।
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