आपका नौकर हूँ – Akbar Birbal Short Story In Hindi
बादशाह अकबर और बीरबल के युग में, जब वे दरबार में अकेले होते तो उनके बीच अकेलापन महसूस होता था, जिसमें अक्सर दोनों के बीच दिलचस्प बहसें उभरती थीं। एक ऐसी घटना आई थी, जिसने उनकी दोस्ती की अनूठी मिसाल प्रस्तुत की। ये कहानी(आपका नौकर हूँ – Akbar Birbal Short Story In Hindi) उसी के बारे में है।
एक दिन, दरबार में अकबर ने बैंगन की सब्जी की महिमा की तारीफ करनी शुरू की। उन्होंने उसकी स्वादिष्टता, गुणवत्ता, और पोषण की बातें कहीं।
बीरबल भी उनके विचारों का समर्थन करते हुए उसकी तारीफ करने लगे। उन्होंने बताया कि बैंगन की सब्जी में कई पोषणतत्व होते हैं और वह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है।
अचानक एक दिन, बादशाह अकबर ने बैंगन की सब्जी खाने के बाद पेट में दर्द की शिकायत की। उनका मनोबल गिर गया और वे बैंगन की बदौलत कोसने लगे।
इसके साथ ही, बीरबल भी उसकी दुखभरी आवाज में उसे बुराई करने लगे। उन्होंने बैंगन की तारीफ जो पहले की थी उसके विपरीत अब वह बोलने लगे।
बादशाह का क्रोध उसकी आवाज में दिख रहा था, उन्होंने बीरबल से पूछा, “बीरबल, जब हमने इसकी तारीफ की तो तुमने भी तारीफ की, और जब हमने इसकी बुराई की तो तुमने भी उसे बुरा कहा। ऐसा क्यों? क्या तुम अपने विचारों के प्रति कभी दृढ़ नहीं रह सकते?”
बीरबल ने प्यारे-से भाषा में उत्तर दिया, “महाराज, इसका कारण यह है कि मैं बैंगन की सब्जी का नहीं, आपका नौकर हूँ। मेरा कर्तव्य है कि मैं आपकी राय से सहमति दिखाऊं, चाहे वो तारीफ हो या बुराई।”
बादशाह अकबर की आँखों में बीरबल की ईमानदारी और समझ को देखकर उनका गुस्सा ठंडा हो गया। उन्होंने बीरबल की सीख को स्वीकारते हुए कहा, “बीरबल, तुमने सही कहा। तुम्हारी सोच और तुम्हारा ईमानदारी सलाहकार के रूप में मेरे लिए अनमोल है।”
इस घटना से सबक लेते हुए, हम यह सिख सकते हैं कि वफादारी, सच्चाई, और समझदारी से भरपूर दोस्ती हमारे जीवन में महत्वपूर्ण होती है। बीरबल ने बादशाह के सामने अपनी ईमानदारी से अपनी सोच को प्रकट किया और उन्होंने यह साबित किया कि वफादार और सच्चे दोस्त कभी घातक तरीकों से नहीं पलते।
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