Horror Moral

आत्मा की सवारी – Horror Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

आत्मा की सवारी – Horror Story In Hindi

दिन में काम करने के साथ ही रात को आराम करना भी उतना ही जरूरी होता है। कभी कभी हमें ज्यादा लालच भारी पड़ सकता है। ये कहानी (आत्मा की सवारी – Horror Story In Hindi) उसी के बारे में है।

एक रेलवे स्टेशन पर एक रात की गहरी अंधकार में विभिन्न ऑटो ड्राइवर खड़े थे। आवागमन के साथ ही ये ड्राइवर यात्रीगण को उनके गंतव्यों की ओर ले जाने का काम कर रहे थे। जैसे-जैसे रात बढ़ी, ज्यादातर ड्राइवर अपने घरों की तरफ रवाना हो गए, जिसके परिणामस्वरूप घाट स्टेशन पर सिर्फ थोड़ी भीड़ बची।

इसी दौरान, एक ऑटो ड्राइवर विजय ने भी अपनी आवागमन की तैयारी की। वह भी ड्राइव करके घर जा रहा था, लेकिन फिर उसे याद आया कि एक पैसेंजर ट्रेन की आवागमन का समय है।

इसके बाद, विजय और कुछ और ऑटो चालक ट्रेन की प्रतीक्षा में रुक गए। जब रात बढ़ती चली गई, तो बादलों ने आसमान को काले चादर से ढक दिया, जिससे चाँद की किरनें समाप्त हो गईं। अचानक ही बादल गरजने लगे और बिजलियाँ चमकने लगीं, जिसके चलते आवागमन बिल्कुल अंधकार में हो गया।

यथाशीघ्र, पैसेंजर ट्रेन स्टेशन पर आई। ड्राइवर विजय का ध्यान ट्रेन से उतरते हुए एक युवती की ओर गया। उसके कंधे पर एक बैग और हाथ में एक सूटकेस था। युवती सीधे विजय के पास आई और बोली, “मुझे सीतापुर जाना है।”

विजय ने कहा, “रात के समय बहुत ही देर हो चुकी है, इसलिए किराया 1000 रुपये होगा। लेकिन अगर आप सुबह जाना चाहती हैं, तो मैं सिर्फ 500 रुपये में ही आपको छोड़ दूँगा।” युवती ने जवाब दिया, “मुझे अभी जाना है।” युवती ने कहा में आपको अभी 500 रुपये देती हु क्योकि मेरे पास अभी सिर्फ 500 रूपये ही है , में आपको घर पहुंचकर बाकि के पैसे दे दूंगी। विजय ने उसके प्रस्ताव को स्वीकार किया और बोला, “मैडम, आप ऑटो में बैठिए।”

कुछ ही देर में विजय ने युवती को उसके गंतव्य के पते पर पहुंचा दिया। युवती ऑटो से उतरते ही जल्दी से अपने घर की और चली गयी और विजय से कहा की में आपको बाकि के 500 रूपये देने आती हु।

विजय करीब आधे घंटे जितना इन्तजार करता रहा किन्तु वो युवती विजय को पैसे देने के लिए नहीं आयी। अब विजय ने सोचा की मुझे देर हो रही है क्यों ना में उस युवती के घर पे जाकर पैसे ले लू। वो उसके घर चला गया।

घर का दरवाजा एक बुढ़िया ने खोला। विजय ने उससे कहा कि एक मैडम यहां ऑटो से आई थीं। उन्हें मुझे मेरे 500 रुपये देने हैं, वो अबतक पैसे लेकर बाहर नहीं आईं।

बुढ़िया ने हैरानी से पूछा, “कौन मैडम? यहां तो मैं और मेरे पति के अलावा और कोई नहीं रहता है,हां मेरी बेटी पहले रहती थी, लेकिन वो तीन सालों से यहां नहीं रह रही है।”

विजय बोलने लगा, “क्यों अब वो कहा रहती है? मैंने शायद आपकी ही बेटी को यहां तक छोड़ा है। आप एक बार अच्छे से देखिए।”

बातों-ही-बातों में विजय की नजर सामने दीवार पर गई। वहां उसी लड़की की तस्वीर लगी हुई थी, जिसे वो ऑटो में बैठाकर लाया था।

विजय ने बुढ़िया से पूछा, “वो दीवार पर जिसकी तस्वीर लगी है, वो आपकी बेटी है?” बुढ़िया ने जवाब दिया, “हां, वो ही मेरी बेटी है। क्यों क्या हुआ? तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”

जवाब सुनते ही विजय बोल पड़ा, “माता जी मैंने कहा था न कि मैं आपकी बेटी को ही घर लाया हूं। यही मेरे साथ ऑटो में बैठकर आई थीं। आप अब जल्दी से मेरे पैसे दे दीजिए। देखिए, सुबह भी हो गई है। मैं कबसे यही खड़ा हूं।”

बुढ़िया ने दुखी मन से कहा, “बेटा, ऐसा नहीं हो सकता। हां, ये मेरी बेटी है, लेकिन तीन साल पहले ये ट्रेन के नीचे आकर मर चुकी है। इसे तुम कैसे घर ला सकते हो।”

ये सुनते ही विजय के होश उड़ गए। वो तेजी से वहां से भागा। जैसे ही वो ऑटो के पास पहुंचा, तो देखा कि उसकी सीट में पांच सौ रुपये रखे हुए थे।

उसने वो पैसे भगवान के सामने रखे और मंत्र का जाप करते हुए आगे की ओर बढ़ गया। उसके मन में हुआ कि आज तो सवारी बैठाने और पेसेंजर ट्रेन के लालच में मेरी जान जाते-जाते बची है। उस दिन से विजय ने रात को ऑटो चलाना ही बंद कर दिया। वो सिर्फ दिन के समय सवारी लाता व ले जाता और रात को घर में आराम से सोता है।

Moral : दिन में काम करने के साथ ही रात को आराम करना भी उतना ही जरूरी होता है। कभी कभी हमें ज्यादा लालच भारी पड़ सकता है।

Note : (आत्मा की सवारी – Horror Story In Hindi) ये कहानी केवल मनोरंजन के लिए है इसके पीछे हमारा उदेश्य किसी भी प्रकार की अंधश्रध्धा का प्रसार करने का नहीं है ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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