Animal Stories For Kids In Hindi – Animal Stories
इस Post (Animal Stories For Kids In Hindi) में बच्चो के लिए कुछ कहानिया है।
- बंदर और लालची बिल्ली
जब दो लोगो की लड़ाई होती है तब उससे तीसरे को फायदा होता है । आप सभी ने ये बात अपनी वास्तविक जिंदगी में कई बार देखी होगी । ये कहानी (बंदर और लालची बिल्ली) भी उसी के बारे में है ।
एक जंगल था , जहा पर सभी जानवर मिलजुल कर रहा करते थे । सभी जानवर जंगल के नियमो का अच्छे से पालन करते थे और सभी त्योहार भी साथ में मिलजुल कर मनाते थे ।
उन सभी जानवरो में कुकी और रूपी नाम की दो बिल्लियां भी थीं । कुकी और रूपी दोनों के बिच में काफी अच्छी दोस्ती थी । वो दोनों सहेलियां एक – दूसरे का साथ कभीभी नहीं छोड़ती थी । दोनों खाना – पीना घूमना – फिरना सब कुछ साथ में ही करते थे ।
जंगल में रहने वाले सारे जानवर उन दोनों की दोस्ती की तारीफ किया करते थे । दोनों एक – दूसरे का अच्छे से ख्याल रखती थी ।
एक दिन कुकी को किसी काम से बाहर बाजार में जाना पड़ा । वैसे तो हर बार रूपी उसके साथ ही होती थी पर इसबार रूपी किसी कारण से कुकी के साथ बाजार में नहीं जा पायी थी । कुकी को बाजार गए हुए काफी देर लग गयी पर वो अभी भी वापिस नहीं आयी थी ।
दूसरी तरफ रूपी का मन कुकी के बिना लग नहीं रहा था । उसने सोचा क्यों न में भी बाजार चली जाती हु । रूपी भी बाजार चलने के लिए निकल पड़ी । रास्ते में उसे रोटी का एक टुकड़ा मिलता है । रोटी के टुकड़े को देखकर रूपी के मन में अकेले रोटी खाने की लालच आ जाती है । वो रोटी का टुकड़ा लेकर घर आ जाती है ।
घर पहुंचकर जैसे ही वो रोटी खाने ही वाली थी की तभी कुकी आ जाती है । रूपी के हाथ में रोटी का टुकड़ा देखकर वो उससे कहती है की , रूपी हम तो हर बार सब कुछ बांटकर ही खाते है तो फिर इस बार तुम क्यों अकेले रोटी खा रही हो ? क्या तुम मुझे रोटी नहीं दोगी ?
रूपी ने कुकी को देखा तो वो पहले तो डर गयी फिर उससे बोला की अरे नहीं बहन मैं तो रोटी को आधा-आधा कर रही थी, ताकि हम दोनों को बराबर रोटी मिल पाए ।
कुकी सब कुछ समज गयी और उसके मन में भी लालच आ गयी , किन्तु तभी वो कुछ नहीं बोली । जैसे ही रूपी ने रोटी के दो टुकड़े किये की कुकी चिल्लाने लगी की मेरे हिस्से में कम रोटी आई है ।
वास्तव में बात ये थी की रोटी रूपी को मिली थी इसलिए वो उसे कम देना चाहती थी । रूपी बोली अरे कहा मेने रोटी तुजे भी बराबर ही दी है । इस बात को लेकर कुकी और रूपी में झगड़ा हो गया और धीरे-धीरे यह बात पुरे जंगल में फैल जाती है ।
जंगल के सभी जानवर इन दोनों सहेलियो को लड़ते हुए देख रहे थे । तभी वहा पर एक बंदर आता है और वो दोनों से कहता है की में दोनों के बीच में बराबर रोटी बांट दूंगा । जंगल के बाकि सभी जानवर भी बंदर की बात मान गए और उन सभी ने ये काम बंदर को दे दिया ।
बंदर कही से तराजू लेकर आता है और दोनों ओर रोटी के टुकड़े रख देता है । जिस तरफ वजन ज्यादा होता है वो बंदर उस तरफ की थोड़ी-सी रोटी यह बोलकर खा लेता है कि इस रोटी को दूसरी तरफ रखी रोटी के वजन के बराबर कर रहा हूं । और ऐसे ही वो जानबूझकर हर बार ज्यादा रोटी का टुकड़ा खा लेता है जिससे दूसरी तरफ की रोटी वजन में ज्यादा हो जाती ।
अंत में ऐसा करने से दोनों ओर रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े बचे थे । कुकी और रूपी ने जब इतनी कम रोटी देखी तो बोलने लगीं कि हमारी रोटी के टुकड़े वापस दे दो, हम दोनों बची हुई रोटी को आपस में बाँट लेंगे ।
तब बंदर ने कहा की तुम दोनों सहेलिया तो बहुत ज्यादा चालाक हो । मुझे मेरी मेहनत का फल भी नहीं मिलेगा क्या ? ऐसा बाेलकर बंदर दोनों पलड़ों में बची हुई रोटी के टुकड़ों को खाकर चला जाता है और दोनों बिल्लियां एक दूसरे का मुंह तांकती रह जाती है ।
Moral : हमें हमारे पास जो होता है उसी में संतोष रखना चाहिए और लालच नहीं करनी चाहिए और किसी से लड़ाई नहीं करनी चाहिए । क्योकि जब भी दो लोगो की लड़ाई होती है तब उसमें से तीसरा अपना फायदा उठा कर इस बंदर की तरह चला जाता है ।
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कछुआ और दो हँस
हमें अपने अच्छे दोस्तों की सलाह सुनने से कभी नहीं चूकना चाहिए क्योकि वो हमें हमारे भले के लिए ही सलाह देते है। ये कहानी(कछुआ और दो हँस) उसी के बारे में है।
एक झील में एक कछुआ रहता था, जिसके दो हंस अच्छे दोस्त थे। वे तीनों प्रतिदिन सूर्यास्त के समय लौटने से पहले झील के किनारे मिलते थे और कहानियों का आदान-प्रदान करते थे। उन तीनो को एक-दूसरे की कंपनी से आनंद मिलता था।
एक साल बारिश नहीं हुई और झील सूखने लगी। हंस झील के गिरते जल स्तर से चिंतित हो गए और कछुए से बोले, “तुम इस झील में जीवित नहीं रह पाओगे। झील का सारा पानी जल्द ही सूख जाएगा।”
कछुए को समस्या का एहसास था, “अब यहां रहना वाकई मुश्किल है। प्रिय दोस्तों, कृपया एक वैकल्पिक झील की तलाश करें जो पानी से भरी हो। फिर, कहीं से एक मजबूत छड़ी ढूंढो।”
कछुए ने आगे कहा, “एक बार जब आपको दूसरी झील मिल जाए, तो आप मुझे छड़ी के साथ झील तक ले जा सकते हैं। मैं छड़ी को अपने मुंह से कसकर पकड़ सकता हूं, जबकि आप दोनों छड़ी को दोनों तरफ से पकड़ सकते हैं और उड़ सकते हैं।”
योजना के अनुसार, हंस दूर-दूर तक उड़ गए और कुछ समय बाद उन्हें एक झील मिली जिसमें बहुत सारा पानी था। वे कछुए को ले जाने के लिए लौट आये।
उन्होंने छड़ी को दोनों सिरों से पकड़ने की तैयारी की, और कछुए को सुझाव दिया, “प्रिय मित्र, सब कुछ ठीक लग रहा है। लेकिन सुनिश्चित करें कि अपना मुंह हर समय कसकर बंद रखें। तुम्हें बोलना नहीं चाहिए, अन्यथा तुम गिर जाओगे।”
आख़िरकार, वे उड़ने लगे। कुछ देर बाद वे कुछ दूर उड़े ही थे कि कछुए को नीचे एक नगर दिखाई दिया।
आकाश में कछुआ लेकर जा रहे दो हंसों को देखकर नगर के लोग एकटक देखते रह गए। “वह देखो! यह एक दुर्लभ दृश्य है कि दो पक्षी एक छड़ी की मदद से एक कछुए को ले जा रहे हैं”, वे प्रशंसा में चिल्लाए।
सारा हंगामा सुनकर कछुए ने अपना मुँह खोला, “यह हंगामा किस बारे में है?”, उसने पूछा।
कहने की जरूरत नहीं है, जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, वह नीचे गिर गया और हंस उसे जमीन पर गिरने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर सके।
जैसे ही वह गिर पड़ा, नगर के लोगों ने उसका भोज करने के लिये उसे पकड़ लिया।
इसलिए हमें हमारे जिगरी दोस्त जो भी सलाह देते है उसे अच्छे से सुनना चाहिए ताकि बाद में हमारी इस कछुए जैसी हालत न हो ।
- घमंडी लोमड़ी
हमें कभी भी किसी बात पर घमंड नहीं करना चाहिए । क्योकि घमंडी लोगो को बाद में अपने किये कर पछतावा जरूर होता है । ये कहानी ( घमंडी लोमड़ी ) भी ऐसे ही एक घमंडी लोमड़ी के बारे में है ।
एक जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था । वो शेर हररोज शिकार करने के लिए नदी के किनारे जाता था । एक दिन हररोज की तरह जैसे शेर नदी के किनारे से वापिस लौट रहा था तब उसे एक लोमड़ी दिखाय दी । शेर जैसे ही उस लोमड़ी के पास पहुँचता है की लोमड़ी उसके कदमों में गिर जाती है ।
शेर ने लोमड़ी को ऐसे अपने कदमो में गिरते हुए देखकर उससे कहा अरे ये तुम क्या कर रही हो ? तभी लोमड़ी ने उसे कहा की आप तो महान हो ! आप तो हमारे जंगल के राजा हो ! मुझे आप अपना सेवक बना लीजिये । में आपका काम पूरी निष्ठा से करुँगी ।
लोमड़ी ने शेर से ये भी कहा की में आपकी सेवा करुँगी और उसके बदले में आपके शिकार में से जो कुछ भी बचेगा मैं वो खा लिया करुँगी । शेर को लोमड़ी की बात सही लगी और उसने लोमड़ी को अपना सेवक बना लिया । Read More..
- शिकारी और कबूतर
हम सभी मिलकर एकजुट होकर मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में से भी आसानी से बाहर आ सकते है । ये कहानी (शिकारी और कबूतर) उसी के बारे में है ।
एक विशाल बरगद के पेड़ के शीर्ष पर एक कौआ रहता था । कौआ हररोज सुबह-सुबह भोजन इकट्ठा करने के लिए शहर की ओर उड़ जाता और शाम तक वापस आ जाता ।
एक दिन, कौआ शहर की यात्रा कर रहा था, तब उसने एक शिकारी को हाथ में बीज लिए हुए पेड़ के पास देखा । कौवे ने मन ही मन सोचा, “यह शिकारी किसी को मारने निकला है! उसके हाथ में अनाज पक्षियों को लुभाने के लिए है ।”
कौवा तो वापस पेड़ के पास उड़ गया और पेड़ पर रहने वाले कई अन्य जानवरों और जंगली पक्षियों को इकट्ठा किया, “दोस्तों, एक दुष्ट शिकारी हमारे घर की ओर आ रहा है । उसके हाथ में कुछ स्वादिष्ट अनाज हैं। वह आपको प्रेरित करने के लिए उन्हें इधर-उधर फेंक देगा । उनमें से किसी को भी मत छुएं अन्यथा आपका जीवन खतरे में पड़ जाएगा । ”
जैसे ही कौवे ने बताया था ठीक वैसे ही , शिकारी ने अनाज पेड़ से आगे फेंक दिया । कोई भी पक्षी या जानवर उसके पास नहीं गया । Read more..
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