बहुभाषी – Akbar And Birbal Ki Kahani
ये कहानी है एक बहुभाषी के बारे में । उस बहुभाषी की मातृभाषा क्या है वो किसी को नहीं पता है । बीरबल उनकी मातृभाषा क्या है वो पता लगाते है , वो कैसे पता लगाते है ये जानने के लिए आपको पढ़नी होगी ये कहानी ( बहुभाषी – Akbar And Birbal Ki Kahani ) ।
एक दिन बादशाह अकबर को अपने विभिन्न प्रांतों में भाषाई विविधता देखकर दरबार में एक बहुभाषिक नियुक्त करने की इच्छा होती है । बादशाह चाहते थे की उनके दरबार में एक बहुभाषिक हो , जिसकी मदद से वे अपनी प्रजा से आसानी से बात कर पाए ।
बादशाह अकबर ने तुरंत अपने मंत्रियों को एक बहुभाषिक ढूंढने का आदेश दिया , जिसकी विभिन्न भाषाओं पर अच्छी पकड़ हो । बादशाह का यह आदेश उनके मंत्रियों और सैनिको ने पुरे राज्य में प्रसारित कर दिया ।
कुछ दिनों के बाद एक व्यक्ति बादशाह अकबर के दरबार में हाजिर हुआ । उस व्यक्ति ने अकबर से कहा की में कई भाषाओ का जानकर हूँ और मेरी पकड़ भी विभिन्न भाषाओं पर अच्छी है , आप मुझे बहुभाषिक के पद के लिए नियुक्त कर लीजिये ।
बादशाह अकबर ने उस व्यक्ति की परीक्षा लेने के लिए अपने दरबारियों को उससे अपनी-अपनी भाषाओं में बात करने के लिए कहा । सभी दरबारी एक – एक करके उस बहुभाषी से प्रश्न करने लगे । उन सभी दरबारियों को बहुभाषी ने उनकी ही भाषा में जवाब दिए ।
विभिन्न भाषाओं पर उस बहुभाषी की पकड़ देखकर बादशाह बहुत खुश हो जाते है और उस बहुभाषी को नियुक्त कर लेते है । अब बादशाह अकबर उस बहुभाषी से पूछते है की तुम मुझे अब ये बताओ की तुम्हारी मातृभाषा कौनसी है ?
बहुभाषी ने कहा महाराज मेने सुना है की आपके दरबार में बहुत बुद्धिमान लोग है , क्या उन में से कोई बता सकता है की मेरी मातृभाषा कौनसी है ?
सभी दरबारियों ने अपने अपने अनुमान के आधार पर बहुभाषी की भाषा बताने का प्रयास किया किन्तु उन में से किसी का भी अनुमान सही नहीं था । ये देखकर बहुभाषी बोला , महाराज लगता है मेने कुछ गलत सुन लिया , मुझे यहाँ पर तो कोई भी बुद्धिमान नहीं लगता है ।
बहुभाषी की बात सुनकर अकबर को शर्मिंदगी महसूस हुई और उन्होंने बीरबल की तरफ देखा क्योकि बीरबल ने अब तक बहुभाषी की भाषा बताने का प्रयास नहीं किया था । बादशाह अकबर को अपनी ओर देखते हुए बीरबल ने उनसे कहा की जहाँपनाह में आपको कल बताऊंगा की इस बहुभाषी की मातृभाषा कौन सी है ।
उस रात बहुभाषी को अकबर ने अपने दरबार के अतिथिगृह में ठहरने के लिए कहा था । अगले दिन बीरबल दरबार में उपस्थित होते है । अकबर ने बीरबल से कहा , बीरबल बताओ क्या है इस बहुभाषी की मातृभाषा ?
बीरबल ने कहा , जहाँपनाह इनकी मातृभाषा बांग्ला है । आप इनसे पूछ लीजिये । बादशाह ने उस बहुभाषी से पूछा , तो उसने कहा हां बीरबल ने सही कहा मेरी मातृभाषा बांग्ला ही है ।
अकबर ने बड़ी हैरानी के साथ बीरबल से पूछा की तुम्हे कैसे पता चला ? बीरबल ने कहा , कल रात मेने शाही अतिथि गृह के बाहर अपना एक सेवक भेजा था । जब ये बहुभाषी वहा पर सो रहे थे तब मेरे भेजे हुए सेवक ने बहार से दरवाजा खटखटाया । जैसे ही ये अपनी नीद खोलकर दरवाजा खोलने के लिए आये और उन्होंने दरवाजा खोला तब तक मेरा सेवक वहा से चला गया था ।
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कुछ देर बाद फिरसे मेरे सेवक ने दरवाजा खटखटाया और जब इन्होने दरवाजा खोला तब बहार कोई नहीं था । जब तीसरी बार मेरा सेवक दरवाजा खटखटाके चला गया तब ये गुस्से में चिल्लाने लगे । उस समय गुस्से में ये जो भाषा बोल रहे थे वो बांग्ला थी ।
बीरबल ने कहा महाराज में पास ही के कक्ष में छुपकर सब सुन रहा था । में समज गाय की इनकी मातृभाषा बांग्ला है क्योकि व्यक्ति कितनी ही भाषाओ का ज्ञाता क्यों ना हो पर जब वो गुस्से में होता है तब वो अपनी मातृभाषा में ही चिल्लाता है ।
बहुभाषी को अब बीरबल की बुद्धिमत्ता के बारे में पता चल गया । अंत में बीरबल उस बहुभाषी से उनकी नींद ख़राब करने के लिए माफ़ी भी मांगता है ।
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