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Best Inspirational Story In Hindi – परोपकार की भावना

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Written by Abhishri vithalani

Best Inspirational Story In Hindi – परोपकार की भावना

ये कहानी ( Best Inspirational Story In Hindi – परोपकार की भावना ) है परोपकार के बारे में ।

बहुत समय पहले की ये बात है । एक प्रसिद्ध ऋषि अपने गुरुकुल में शिष्यों को शिक्षा देते थे । उस ऋषि के गुरुकुल में बड़े – बड़े राजा महाराजाओ के पुत्रो से लेकर साधारण परिवार के बच्चे भी शिक्षा लेने के लिए आते थे ।

कही सारे वर्षो से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और इसलिए सभी उत्साह के साथ अपने अपने घर लौटने की तैयारी कर रहे थे । तभी ऋषि ने सभी को मैदान में एकत्रित होने का आदेश दिया ।

ऋषि का आदेश सुनते ही सभी शिष्यों मैदान में एकत्रित हो जाते है । ऋषि सभी से कहते है की , आज इस गुरुकुल में आप सभी का अंतिम दिन है और में चाहते हु की यहाँ से जाने से पहले आप सभी एक दौड़ में हिस्सा लें ।

इस दौड़ में आपको सिर्फ दौड़ना नहीं है किन्तु कूदना भी होगा और अंत में एक अँधेरी सुरंग से भी गुजरना होगा । क्या आप सब इस दौड़ के लिए तैयार हो ? सभी शिष्यों ने एक स्वर में कहा , हां हम तैयार है ।

अब दौड़ शुरू हो जाती है । सभी तेजी से दौड़ने लगते है । वो सब अंत में उस अँधेरी सुरंग के पास पहुंचे । उस अँधेरी सुरंग में बहुत ज्यादा अँधेरा था और जगह – जगह पर पत्थर भी पड़े थे । पत्थर के चुभने से सभी शिष्यों को पीड़ा होती थी ।

जहा अभी तक दौड़ में सभी शिष्य एक समान बर्ताव कर रहे थे वही इस अँधेरी सुरंग में सभी का बर्ताव अलग – अलग हो गया था । सभी शिष्यों ने जैसे – तैसे करके बड़ी कठिनता के साथ ये दौड़ ख़त्म की और वो सब ऋषि के समक्ष एकत्रित हुए ।

ऋषि ने सभी से कहा की , में देख रहा था की कुछ शिष्यों ने ये दौड़ बहुत ही कम समय में खत्म कर ली , तो कुछ शिष्यों ने ज्यादा समय लिया । ऐसा क्यों हुआ ?

ऋषि की बात सुनकर एक शिष्य ने कहा , गुरूजी हम सभी लगभग साथ में ही दौड़ रहे थे पर उस अँधेरी सुरंग में पहुचते ही स्थिति बदल गयी । कोई खुद को संभल कर आगे बढ़ रहा था तो कोई दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ रहा था और कुछ लोग तो पैरों में चुभ रहे पत्थरों को उठाकर अपनी जेब में रख रहे थे ताकि दूसरे लोगो को बाद में आगे बढ़ ने में पीड़ा ना सहनी पड़े । इसलिए सबका दौड़ पूरी करने का समय अलग – अलग था ।

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ऋषि ने कहा अच्छा ठीक है । अब मुझे ये बताओ की आप लोगो में से किस किस ने पत्थर उठाकर अपनी जेब में रखे है ? वो लोग आगे आओ । ऋषि का आदेश सुनते ही कुछ शिष्य जिसने पत्थर उठाकर अपनी जेब में रखे थे वो आगे आये । अब ऋषि ने उन सभी से कहा की आप सभी अपनी – अपनी जेब में से पत्थर निकालकर देखो । वो सभी अब पत्थर निकालकर देखने लगे ।

पर ये क्या जिन्हे वो सब पत्थर समज रहे थे वो तो कीमती हीरे थे । सभी शिष्य आश्चर्य में पड़ जाते है और ऋषि की तरफ देखने लगते है । ऋषि ने कहा में पहले से ही जानता था की आप सब इस कीमती हीरे को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे ।

बात ये थी की मेने ही ये कीमती हीरे वो अँधेरी सुरंग में डाले थे । ये मेरी तरफ से दुसरो के बारे में सोचने वाले और परोपकार की भावना रखने वाले शिष्यों को इनाम है ।

ऋषि ने सभी को समजाते हुए कहा की , ये दौड़ जीवन की व्यस्तता दर्शाती है , जहा पर सभी कुछ न कुछ पाने के लिए भाग रहे है , लेकिन अंत में वही सबसे सौभाग्यशाली होता है जो परोपकार की भावना रखकर दुसरो के बारे में सोचता है ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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