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भविष्य की चिंता – Short Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

भविष्य की चिंता – Short Story In Hindi

ये Story उनके लिए है जो हर बार अपने भविष्य की चिंता करते रहते है । ये बात सच है की हमें अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए और अपने भविष्य के बारे में सोचना चाहिए पर वो सब चिंता एक Limit  में करनी चाहिए । कई बार ऐसा होता है की लोग अपने भविष्य के बारे में इतना ज्यादा सोचते है की वो लोग अपना आज ही जीना भूल जाते है ।

गांव में एक सेठ रहते थे । वो अपने गांव के सबसे धनवान व्यक्ति हुआ करते थे । वो हररोज पूरा दिन खूब मेहनत करते थे और अच्छा कमाते थे । एक दिन उन्होंने अपने मुनीम को बुलाकार अपनी आज तक की कमाई का हिसाब मांगा । मुनीम ने कहा की में आपको आपकी अब तक की कमाई का हिसाब कर के जल्द ही दे दूंगा । दूसरे ही दिन वो मुनीम सेठ के पास सेठ की आज तक की कमाई का हिसाब लेकर गया ।

मुनीम ने सेठ को बताया की जिस तरह से आज खर्च हो रहे हो उस हिसाब से तो आप ने इतना कमा लिया है की अगर आप आज से कमाना छोड़ दे फिर भी आपकी 5 पीढ़ियां आराम से अपना जीवन जी सकती है । ऐसा सुन कर सेठ बहुत ज्यादा खुश हो गए और उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । अगर हमें भी ऐसा पता चलता है तो हम भी खुश हो ही जाते है तो फिर ये सेठ क्यों न हो ?

अब सेठ अपनी सफलता से बहुत खुश थे लेकिन अब उन्हें अपनी 6 पेढ़ी की भी साथ ही साथ चिंता हो रही थी । सेठ सोच रहे थे की मेरी 6 पेढ़ी कैसी होंगी और अगर मेरी कमाई 5 पेढ़ी तक ही ख़तम हो जायेगी तो फिर मेरी आनेवाली 6 पेढ़ी का क्या होगा । सेठ सोचते ही सोचते अपने भविष्य के बारे में इतना सोच लेते है की उनका स्वस्थ्य बिगड़ जाता है ।

सेठ का स्वस्थ्य अपने भविष्य की पेढ़ी की चिंता करने के कारन ही बिगड़ता है । वो अपनी भविष्य की पेढ़ी की इतनी चिंता करते है की वो अपना आज ही नहीं जीना भूल जाते है । सेठ का एक दोस्त उन्हें मिलने के लिए आता है और सेठ की ये हालत देख कर उन्हें कहता है की में आपको एक उपाय बताता हु आप अगर वैसा करेंगे तो आप जल्द ही ठीक हो जायेगे । सेठ ने कहा की में बहुत सारे दिनों से बीमार हु मुझे आप जल्दी से ठीक होने का उपाय बताईये ।

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दोस्त ने कहा की आप एक पंडित को अपने घर पर खाने के लिए आमन्तित कीजिये और हमारे गांव में जिस बच्चो को आसानी से खाना नहीं मिलता है वैसे बच्चो को खाना खिलाइए आपको जल्द ही अच्छा हो जायेगा । सेठ ने अपने दोस्त की बात मान ली और वो पास में जो पंडित रहते थे उनके घर पर गए और उन्हें कहा की आप मेरे घर पर खाना खाने के लिए पधारिये ।

लेकिन अंदर से पंडितजी की पत्नी की आवाज आई की आज तो हमें किसी दूसरे ने खाना खाने के लिए आमन्तित पहले से किया है तो फिर हम आज नहीं आ पाएंगे । सेठ ने कहा की अच्छा ठीक है आप क्या कल मेरे घर पर खाना खाने के लिए आ सकते है ? पंडित जी ने कहा की में कल की चिंता नहीं करता हु । में अपना कल भगवान के हाथ में छोड़ देता हूं ।

पंडित जी की बात सुनकर सेठ हैरान हो गए । बाद में सेठ जैसे उनके दोस्त ने बताया था वैसे ही अपने गांव के उन बच्चो के पास जाते है जिस बच्चो को आसानी से दिन का 1 Time का खाना भी नहीं मिलता हो । सेठ वहा जाकर उन बच्चो को खाना वितरित करते है और वो बच्चे बहुत ज्यादा खुश हो जाते है । वो बच्चे बिना कल की चिंता किये अपना आज बड़े मजे से जीते है ।

ये सब देखर सेठ को समज में आ गया की कल की चिंता करने से खुद का ही नुकसान होता है। अब वो सेठ भी खुशी खुशी रहने लगे और अपने आज का आनंद लेने लगे और ठीक हो गए ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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