चालाक आदमी – Short Moral Story In Hindi
इंसान बहुत चालाक होता है। यहाँ तक की कि वो भगवान् को भी नहीं छोड़ता है और उससे भी चालाकी करता है। ये कहानी (चालाक आदमी – Short Moral Story In Hindi) में भी ऐसा ही कुछ हुआ होता है।
एक आदमी नारियल के पेड़ के ऊपर नारियाल तोड़ने चढ़ा हुआ था। अब जब वह ऊपर से निचे उतरने लगा तो उसे बड़ा डर लग रहा था। उसने मन ही मन भगवान् से प्राथना कि – है भगवान मुझे आप सही सलामत निचे उतार देना , बदले में में आपको 100 रुपए का प्रसाद चढ़ाऊंगा।
जब वह थोड़ा निचे आ गया तो उसकी नियत में खोट आ गई। वह बोलता है कि 100 रूपये का तो ज्यादा हो जाएगा 51 रूपये का ही बहुत है। अब वह मन ही मन बोल रहा था कि भगवान् जी आप मुझे सही सलामत निचे उतार देना में आपको 51 रूपये का प्रसाद चढ़ाऊंगा।
जब वह थोड़ा और नीचे आया तो बोलने लगा कि 51 रूपये तो बहुत हो जाएंगे, मुझे लगता है कि 21 रूपये काफी है। है भगवान आप मुझे सही सलामत नीचे उतार देना में आपको 21 रूपये चढ़ा दूंगा।
अब सिर्फ 10 -12 फुट का नीचे फासला रह गया तो वह बोलता है कि चाहे 21 रूपये का प्रसाद चढ़ाओ या फिर 11 रूपये का क्या फरक पड़ता है। क्योकि भगवान् तो भाव के भूखे होते है हमारे पैसे के थोड़ी ना।
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उससे भी थोड़ा और नीचे वह आया तो बोला कि सवा रूपये का प्रसाद भी काफी है। इतने में ही उसका पैर नीचे फिसला और वह नीचे गिर गया। अब वह बोला कि भगवान् जी प्रसाद ना लेना हो तो ना लो पर कम से कम धक्का देकर नीचे तो ना गिराओ।
ये है आदमी कि चालाकी कि वह भगवान को भी नहीं छोड़ता। जब आदमी मुसीबत में होता है तो भगवान को याद करता है। मंदिर जाएगा, पूजा करेगा, व्रत रखेगा और जैसे ही उसका काम ख़तम हो जाएगा कि तू तेरे रास्ते और में मेरे रास्ते। वो अपना काम खतम होने के बाद भगवान् को याद भी नहीं करता है।
अरे दोस्तों हद तो ये है कि लोग मंदिर में भी जेब से फटा हुआ नोट निकालकर चढ़ाते है, जो कही पर नहीं चलता है। पर याद रखो कि ईश्वर भी चालाको के साथ चालाक और भोले के साथ भोला है। वो हमारी सब चालाकी समझता है और उसी के हिसाब से हमें फल देता है।
Moral : प्रभु के दरबार में भोले भाव से जाओ क्योकि दुनिया में चालाकी चल सकती है पर उसके यहाँ नहीं।
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