चार दोस्त – Short Inspiring Story In Hindi
ये कहानी ( चार दोस्त – Short Inspiring Story In Hindi ) चार पक्के दोस्तों के बारे में है। ये चार दोस्त एक साथ ही पढाई करते थे और एक ही हॉस्टल में रहते थे। इन चारो का दिमाग तो बहुत तेज था लेकिन वे अपने किसी भी काम को निरंतरता से नहीं करते थे।
ये चारो किसी भी काम को पूरा आखरी समय पर ही करते थे। पढाई भी ये चारो परीक्षा के अगले दिन ही किया करते थे। इसी वजह से उनका कोई भी काम अच्छे से खतम नहीं होता था और परीक्षा में भी उन्हें इतने अच्छे परिणाम नहीं मिलते थे।
इसी हॉस्टल में एक शिक्षक ऐसे थे जो की इन चारो दोस्तों को अच्छे से जानते थे। शिक्षक जब जब इन्हे पढ़ाने आते थे तब वे अपने साथ एक तांबे का लोटा रखते थे जिसमे वो पानी पिया करते थे।
इस शिक्षक को एक आदत थी की वो अपने तांबे का लोटा हररोज मांजते थे। इसी वजह से उसका तांबे का लोटा हमेशा चमकता रहता था।
एक दिन जब ये शिक्षक हररोज की तरह अपना तांबे का लोटा मांज रहे थे तब इन चारो दोस्तों ने शिक्षक को देखा और उनके पास जाकर उनसे पूछा की गुरुजी आप यह लोटा हररोज क्यों मांजते हो? इसे हफ्ते में या महीने में एक बार मांजो तो भी क्या फर्क पड़ने वाला है?
पहले तो शिक्षक ने इन चारो की बात ध्यान से सुनी और फिर कहा, तुम चारो शायद सही कह रहे हो, मुझे यह तांबे का लोटा हररोज नहीं मांजना चाहिए, अब से मै इसे हफ्ते में सिर्फ एक बार ही मांजा करूंगा।
फिर शिक्षक ने कहा – अच्छा सुनो, क्या तुम मेरे लिए एक काम कर सकते हो? चारो ने कहा हां बिलकुल। तुम इसे हफ्ते में एक बार मांज दोगे? चारो ने खुशी ख़ुशी इस काम के लिए हां कर दिया।
एक हफ्ते के बाद शिक्षक ने अपना तांबे का लोटा इन चारो को मांजने के लिए दिया। तांबे के लोटे को देखकर साफ – साफ पता चल रहा था कि उसमें अब वह चमक नहीं रही थी जो तब रहा करती थी जब शिक्षक उसे हर दिन मांजा करते थे।
उन चारों में से एक दोस्त ने लोटे को मांजना शुरू कर दिया। बहुत देर तक मांजने के बाद भी उसमें वह चमक नहीं आई जो पहले थी। बाद में एक-एक करके बाकी के तीन दोस्तों ने भी इसे मांजा तब जाकर कहीं वो लोटा चमका।
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शिक्षक को लोटा वापस करते समय चारों दोस्तों ने यह माना कि इसे हर दिन मांजने में ही समझदारी है, ज्यादा दिन हो जाने पर अपनी चमक खो देता है और जरूरत से ज्यादा इस पर मेहनत करनी पड़ती है।
शिक्षक ने चारो दोस्तों को अपने पास बिठाया और उन चारो को समझाया की देखो बच्चो यह लोटा हमारा शरीर, दिमाग और हमारे विचार, इन सब का प्रतिबिंब हैं। जिस तरह से लोटे को हमेशा चमकता रखना है तो उसे निरंतर धोना जरूरी है। इसी तरह से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कसरत, दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए किताबें पढ़ना और विचारों को साफ रखने के लिए मन को Control करना अति आवश्यक होता है।
उन चारो दोस्तों को अपने शिक्षक की बात अच्छी तरह से समझ में आ गयी। उन चारो ने अपने सभी काम नियमित और समय पर करने शुरू कर दिए। फिर वो चार कभी भी किसी भी काम में या फिर परीक्षा में असफल नहीं हुए।
जिस तरह बूंद बूंद से घड़ा भरता है, उसी तरह हर दिन निरंतर कोई काम करने से हम उसमे माहिर हो जाते है, और फिर हमें उस काम में कोई भी नहीं हरा सकता है।
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