दान एक उच्च दिशा – Short Story In Hindi
इस कहानी(दान एक उच्च दिशा – Short Story In Hindi) में एक महान राजनेता धन की तीन प्रमुख दिशाएँ के बारे में बात करते है और को उसमे से दान को एक उच्च दिशा का दर्जा देते है।
पुरुषोत्तमदस टंडन एक महान राजनेता थे, जिनका हृदय दान की ओर हमेशा खुला रहता था। उन्हें धन संग्रह में किसी प्रकार की रुचि नहीं थी, उनके हाथ हमेशा दान की मुद्रा में रहते थे।। यह घटना उन दिनों की है जब वह राज्यसभा के सदस्य थे।
उनकी उदार और निर्लज्ज प्रवृत्ति ने लोगों के दिलों में गहरा प्रभाव छोडा था। यह बात उनके बारे में विशेष रूप से कहने योग्य है कि वे कभी भी अपनी उदारता पर गर्व नहीं करते थे।
एक दिन, किसी ने उन्हें सलाह दी कि वे अपने राज्यसभा के भत्ते का भुगतान लेने के लिए कार्यालय जा सकते हैं।
वे कार्यालय पहुँचे, और जब उन्हें चेक प्रस्तुत किया गया, तो उन्होंने तुरंत एक पेन उधारण किया और अपने चेक को “लोक सेवा मंडल” के नाम से दान कर दिया।
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उस समय, एक व्यक्ति ने उनकी इस क्रिया को देखा और विस्मित होकर पूछा – “टंडन जी, आपको सिर्फ सौ रुपए ही मिले थे, उन्हें भी आपने क्यों दान में दे दिया?”
टंडन जी ने समझाया – “भाई, मेरे सात बेटे हैं। मैं अपने सात बेटों से प्रतिमाह सौ-सौ लेता हूँ। तो मेरे लिए तो तीन-चार सौ रुपए भी पर्याप्त हो जाते हैं। बाकी की राशि को मैं लोक सेवा मंडल को समर्पित कर देता हूँ।”
उन्होंने जारी रखा – “और यदि मैं इस अतिरिक्त आय को अपने पास रखता, तो यह बस बर्बाद हो जाने का सबब बन जाता।”
टंडन जी ने यह बात स्पष्ट की कि धन की तीन प्रमुख दिशाएँ होती हैं – दान, भोग और नाश। भोग धन की मध्यम दिशा है, जबकि नाश उसकी अत्यंत नीच दिशा है। दान ही वह उच्च दिशा है जो हमें धन के सही उपयोग की सिख देती है।
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