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दर्जी की सीख – Short Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

दर्जी की सीख – Short Story In Hindi

इस कहानी में एक दर्जी अपने बेटे को जिंदगी के बारे में सीख देते है । वो अपने बेटे को कैंची और सुई का उदाहरण देकर जिंदगी के बारे में समजाते है । दर्जी की सीख से उसके बेटे को बहुत कुछ सीखने को मिलता है ।

रविवार का दिन था और स्कूल में छुट्टी थी इसलिए एक दर्जी का बेटा अपने पापा की दुकान पर चला जाता है । वहा जाकर वो अपने पापा को ध्यान से काम करते हुए देखना लगता है ।

उस लड़के ने देखा की उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और फिर उस कैंची को अपने पैर से दबा कर रख देते हैं । उसने ये भी देखा की पापा सुई से कपडे को सीते है और बाद में सुई को अपनी टोपी पर लगा देते है ।

इस लड़के ने जब बार – बार अपने पिताजी को ये प्रकिया करते हुए देखा तो उससे रहा नहीं गया । उसने अपने पिताजी से कहा पापा में आपसे एक बात पूछना चाहता हु । पिताजी ने उसे कहा , बेटा बोलो तुम मुझसे क्या पूछना चाहते हो ?

उसने कहा की , में बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कैंची से कपड़ा काटते हैं तब कैंची को अपने पैर के नीचे दबा देते हैं और जब भी आप सुई से कपडे को सिलते है तब आप उस सुई को अपनी टोपी पर लगा देते है । पापा आप ऐसा क्यों करते हो ?

पिताजी ने अपने बेटे को समजाते हुए कहा की , बेटा कैंची हमेशा काटने का काम करती है जब की सुई जोड़ने का काम करती है । हमेशा काटने वालो की जगह जोड़ने वालो की जगह से नीची होती है । इसी कारण से में कैंची को पैर के नीचे रखता हूं और सुई को अपनी टोपी पर लगाता हु ।

इस कहानी को पढ़ने के बाद आप जरूर अपने आप को ये सवाल पूछना , क्या में अपनी जिंदगी में एक कैंची का काम कर रहा हु या फिर एक सुई का ?

ये बात हमेशा याद रखना की रिस्ता हो या फिर कपडा , काटने वालो का स्थान और अमहियत हमेशा जोड़ने वालो से निचा और कम ही होता है । जोड़ने वाले का स्थान हमेशा उचा ही होता है ।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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