ईर्ष्या का फल – Short Story In Hindi
ईर्ष्या करने से हमारा मनोबल कमजोर हो जाता है। अगर हम ईर्ष्याभाव रखते है तो हमें कभी न कभी उसकी सजा भुगतनी ही पड़ती है। इसलिए हमें ईर्ष्या करने से दूर रहना चाहिए। इस कहानी ( ईर्ष्या का फल – Short Story In Hindi ) में उसी के बारे में बात की गयी है।
एक दिन एक आदमी जंगल से गुजर रहा था। अचानक उसके पैर में एक बड़े से पत्थर से ठोकर लगी। उसने पत्थर को उस रास्ते से उठाकर एक पेड़ के नीचे रख दिया।
कुछ समय के बाद एक चित्रकार उस पेड़ की छाया में चित्र बनाने बैठा तो चित्र बनाते हुए लाल रंग की कुछ बूंदे उस पत्थर के ऊपर भी गिर गयी और वह रोली की तरह लगने लगा।
थोड़े समय बाद एक फूल बेचने वाला माला गूथने के लिए पेड़ के नीचे बैठा और जब वह गया तो कुछ फूल पत्थर के आस – पास गिर गए।
अब तो वहा से होकर जो भी लोग गुजरते वे उस पत्थर को भगवान् की मूर्ति मानकर उसकी पूजा करने लगे। ये सब देख कर पेड़ को ईर्ष्या हुई। उसने सोचा, पहले लोग मेरी छाँव में बैठने के लिए आते थे, किन्तु अब लोग सिर्फ इस पत्थर की पूजा करने आते है।
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इसलिए पेड़ ने पत्थर को जोर से लात मारी। जब लोग पत्थर की पूजा करने आये तो उन्होंने देखा की पत्थर कही पर भी दिखाई नहीं पड़ रहा है।
उनमे से एक व्यक्ति बोला, भगवान इस स्थान को छोड़ कर चले गए। इसका मतलब ये है की यह जगह अपवित्र है और यहाँ पर बुरी आत्माओ का वास है।
अत: हमें इस पेड़ को काट देना चाहिए। लोगो ने मिलकर पेड़ काट दिया और इस तरह अपनी ईर्ष्या के कारण पेड़ को सजा भुगतनी पड़ी।
किसी के भी प्रति ईर्ष्याभाव रखना एक नकारात्मक बात है। ऐसा करने से अक्सर आत्म-संवाद, और मानसिक स्वास्थ्य में कमी होती है। ईर्ष्या की वजह से सामाजिक संबंधों में भी विरोधाभाव उत्पन्न हो सकता है, जिससे अच्छे संबंध भी बिगड़ सकते है। एक न एक दिन हमें ईर्ष्या की सजा भुगतनी ही पड़ती है।
इसलिए हमारे लिए बेहतर यही है की हम अपना ईर्ष्याभाव छोड़ दे और अपने जीवन में सकारात्मकता संबंधों को बनाए रखे।
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