एक गिलहरी – Kids Story In Hindi with Moral
कई बार हम लोगो को बदलने की कोशिश करते है लेकिन इंसान चाहे बाहर से कितना भी बदल जाए, लेकिन उसका दिल वैसा ही रहता है। इस कहानी (एक गिलहरी – Kids Story In Hindi with Moral) में यही बताया गया है।
एक मुनि एक घने जंगल में निवास करता था। वह तपस्या करके अनगिनत विद्याओं का अध्ययन कर बड़े ज्ञानी हो गए थे। एक दिन, ध्यान और तप के बाद, जब उन्होंने अपनी आँखें खोली, तो उसके हाथों में आकाश से एक गिलहरी गिरी। गिलहरी थी बहुत ही बेहाल, क्योंकि वह चील के पंखों से छूटकर मुनि के हाथों में गिरी थी।
गिलहरी डर से काँप रही थी, लेकिन मुनि के दिल में उसके प्रति दया आ गई। उन्होने सोचा, “क्यों न मैं इस गिलहरी को अपनी विद्या से एक बेटी के रूप में बदल दूं? मेरी पत्नी बच्चों की तमन्ना कर रही है, लेकिन हमें कोई संतान नहीं है। इसके बजाय, मैं इस गिलहरी को बेटी बनाकर प्रसन्न कर दूं।”
सोचते ही मुनि ने एक विशेष मंत्र का उच्चारण किया और गिलहरी को एक सुंदर बच्ची में बदल दिया। वह बच्ची अब मुनि के गोद में थी, और मुनि ने अपनी पत्नी के पास जाकर कहा, “अब इसे हमारी बेटी मान लो। यह तुम्हारी प्रार्थना को पूरा करेगी।”
मुनि की पत्नी ने खुशी-खुशी बच्ची को अपनी बेटी मान लिया। गिलहरी से बच्ची बनी लड़की को वेदांता नाम दिया।
मुनि और उनकी पत्नी ने वेदांता को प्यार से पाला और उसे अच्छी शिक्षा दी। दिन-रात उनका प्यार बढ़ता गया।
कुछ सालों बाद, वेदांता बड़ी हो गई, और उसकी माता-पिता को उसके विवाह की चिंता होने लगी। मुनि ने अपनी पत्नी से कहा, “अब हमें इसकी शादी के लिए एक अच्छा वर ढूंढना होगा।”
मुनि ने ध्यान से सोचा कि वेदांता के लिए सही जीवनसाथी कौन हो सकता है। तब उन्होंने सूर्य देव को याद किया और उनका पूजन किया। सूर्य देव ने मुनि को आशीर्वाद दिया और प्रशंसा की कि वह तैयार हैं वेदांता के लिए वर के रूप में उपस्थित होने के लिए।
तब वेदांता ने अपने पिता से कहा, “पिता जी, मुझे उस वर के साथ जाने में दिक्कत होगी। पिता जी, यह बहुत गर्म हैं। मैं इनके पास नहीं जा पाऊंगी।” मुनि ने वेदांता से कहा, कोई बात नहीं हम दूसरा वर देख लेंगे।
तभी सूर्य देव ने कहा, “हे मुनिवर, मुझसे श्रेष्ठ तो बादल है, आप उनसे बात कीजिए। वह मेरे प्रकाश को भी ढक देते हैं।”
मुनि ने अब बादल को याद किया। बादल गरजते हुए मुनि के पास पहुँचे और उन्हें नमस्कार किया। इस बार मुनि ने सीधे वेदांता से पूछा, “क्या तुम्हें यह वर पसंद है?”
वेदांता ने जवाब दिया, “पिता जी, मेरा रंग गोरा है और इनका काला। हमारी जोड़ी अच्छी नहीं लगेगी।”
तब बादल ने मुनि से कहा, “आप पवन देव को बुलाइए। वे मुझसे श्रेष्ठ हैं। उनमें मुझे उड़ाकर इधर-से-उधर ले जाने की ताकत है।”
अब मुनि ने पवन देव का स्मरण किया। पवन देव के आते ही मुनि ने अपनी बेटी से पूछा, क्या तुम्हे यह वर पसंद है। वेदांता बोली, “पिता जी, यह तो एक जगह ठहरते ही नहीं हैं। इनके साथ मैं घर कैसे बसा पाऊंगी।”
इस बार मुनि ने पवन देव से पूछा, “मुझे अपनी पुत्री के लिए वर की तलाश है। आप बताइए कि आपसे श्रेष्ठ कौन है?”
पवन देव ने जवाब दिया, “मुनिवर, आप पर्वत को बुला सकते हैं। वह मेरा रास्ता रोक देते हैं। वह मुझसे श्रेष्ठ हैं।”
तुरंत मुनि ने पर्वत को पुकारा। पर्वत को देखते ही वेदांता बोली, “यह तो पत्थर हैं। इनका दिल भी पत्थर का ही होगा। इनसे विवाह कैसे हो पाएगा पिता जी।”
मुनि ने हाथ जोड़कर पर्वत देव से पूछा, “आपसे श्रेष्ठ कौन है?” पर्वतराज ने जवाब दिया, “हे मुनि, चूहा मुझमें छेद कर देता है। इस वजह से वह मुझसे श्रेष्ठ है।” इतना कहते ही पर्वतदेव के कान से चूहा नीचे कूदा। वेदांता ने जैसे ही चूहे को देखा, वह खुशी के मारे उछल पड़ी। उसने कहा, “पिता जी, इसे ही मेरा वर बनना चाहिए। मुझे यह पसंद हैं, इनकी पूंछ, कान सबकुछ कितना प्यारा है।”
मुनि ने सोचा, “अरे! मैंने तो एक गिलहरी को मंत्र विद्या से इंसान तो बना दिया, लेकिन इसका दिल अभी भी गिलहरी वाला ही है।” मुनि ने तुरंत वेदांता को गिलहरी बनाया और उसका विवाह चूहे से करवा दिया। विवाह के बाद दोनों खुशी-खुशी रहने लगे।
Moral : इंसान चाहे बाहर से कितना भी बदल जाए, लेकिन उसका दिल वैसा ही रहता है।
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