गाय और शेर – Panchtantra Story In Hindi
कभी-कभी ईमानदारी और सत्य परिश्रम से हमारी समस्याओं का समाधान हो सकता है, चाहे वो कितनी भी भयानक क्यों न हो। इस कहानी (गाय और शेर – Panchtantra Story In Hindi) में यही बताया गया है।
एक समय की बात है, एक पहाड़ी के नीचे रामगढ़ नाम का एक गांव बसा था। यह गांव बहुत ही प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर था, और गांव के लोग सुख-शांति से रहते थे। गांव के सभी जानवर हरी घास खाने के लिए सुबह उसी पहाड़ी के ऊपर बसे जंगल में जाते थे और शाम होते-होते घर वापस आ जाते थे।
गांव में एक खास गाय थी, जिसका नाम लक्ष्मी था। लक्ष्मी गाय अन्य गायों के साथ रोज़ उसी पहाड़ी के जंगल में जाती थी और हरी घास खाने में इतनी खुश रहती थी कि वह कभी अपने आस-पास की जोखिमों का ध्यान नहीं देती थी।
एक दिन, लक्ष्मी गाय फिर जंगल में घास खाने गई। वह हरी घास का स्वाद लेती हुई चरने लगी। इसी बीच, एक शेर अपनी गुफा में सो रहा था और वह पिछले दो दिनों से भूखा था। शेर की आँखें भूख से चमक रही थीं और उसका पेट गरज रहा था।
जब लक्ष्मी गाय शेर की गुफा के पास पहुंची, तो शेर ने उसकी खुशबू महसूस की। उसकी नींद खुल गई और वह धीरे-धीरे गुफा से बाहर आया। शेर के आगमन से लक्ष्मी गाय थोड़ी सी घबराई, लेकिन शेर ने मन ही मन सोचा कि आज उसकी दो दिनों की भूख मिट जाएगी। वह इस तंदुरुस्त गाय का ताजा मांस खाएगा। इस सोच में ही उसने एक तेज़ दहाड़ लगाया।
शेर की दहाड़ के साथ ही लक्ष्मी गाय का दिल धड़कने लगा। डर से उसकी आँखें फड़फड़ा गईं, और वह जंगल की गहराइयों में दौड़ने लगी। शेर उसका पीछा करने लगा, और गाय के दिल में डर और भय बढ़ता गया।
लक्ष्मी गाय दौड़ती गई, लेकिन शेर भी उसके पीछे भागता रहा। वह गाय के पास आया और उसे पकड़ लिया। गाय ने आवाज़ निकलने की कोशिश करने पर शेर ने उसे डराया, “अब तू मेरी शिकार है, और मैं तुझे खा जाऊँगा!”
लक्ष्मी गाय के चेहरे पर डर और बेकाबू होने का प्रतीत हो रहा था, लेकिन तभी उसने शेर को एक दिलचस्प बात बताई।
उसने कहा, “कृपया मुझे न खाएं, मेरा छोटा सा बच्चा जो अभी ताजगी से पूर्णाहार पर नहीं आया है, सिर्फ़ मेरा दूध पीता है। उसके बिना वह जी नहीं सकता।”
शेर गाय की बात सुनकर हंसते हुए बोला, “तू गाय है, तू झूले की हड्डी है, और तू मेरी मासूम दिमागी खाने की विचार की बात कर रही है? अच्छा, अगर कल तू नहीं आई, तो मैं तेरे गांव आऊंगा, तुझे और तेरे बेटे दोनों को खा जाऊंगा।”
लक्ष्मी गाय डर से भरपूर हो गई, लेकिन उसने वादा किया कि वह कल सुबह होते ही वापस आएगी। वह शेर से जल्दी में बचकर अपने बच्चे के पास पहुँची।
वहां पहुँचकर लक्ष्मी ने अपने बच्चे को दूध पिलाया और उसे बहुत सारा प्यार दिया। फिर उसने अपने बच्चे को शेर के साथ हुई घटना का वर्णन किया और बताया कि उसको कल सुबह होते ही शेर के पास जाना होगा।
बच्चे की आँखों में डर था, लेकिन उसने मां की बातों को सुनकर हिम्मत जुटाई।
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अगले सुबह, लक्ष्मी गाय जंगल की ओर बढ़ने लगी। वह शेर की गुफा के पास पहुँचकर उसे खोजने लगी। शेर की दहाड़ से डरकर लक्ष्मी गाय का दिल थुमक रहा, लेकिन वह अपने वचन को पूरा करने के लिए शेर के पास पहोची।
इतने में ही शेर भगवान के अवतार में प्रकट होते हैं और गाय को अपनी तरफ देखकर हैरान हो गए कि गाय तो सच में अपना वचन पूरा करने के लिए आयी है। वह गाय के पास आते है और गाय के शांतिपूर्ण दृष्टिकोण और उसके वचन के प्रति विश्वास से प्रभावित होते है।
उन्होंने गाय से कहा, “तू मेरी परीक्षा में पास हो गई है। तुझे खाने का हक है, लेकिन मैं तुझे नहीं खाऊंगा। तूने ईमानदारी से अपने वचन को पूरा किया है, और मैं तुझे और तेरे बच्चे को अलग करना नहीं चाहता।”
इसके बाद, वो इस गाय को गौ माता होने का वरदान देते है, और गांव के लोग उसे गौ माता के रूप में पूजने लगे।
हमें अपने वचनों का पालन करना चाहिए। लक्ष्मी गाय ने जो वादा किया, वह उसने पूरा किया, जिससे उसकी ईमानदारी और निष्ठा का परिचय हुआ। डर और भय के बावजूद, लक्ष्मी गाय ने अपने वचन का पालन किया। हमें अपनी प्रियता और आत्मविश्वास के साथ सच्चाई और न्याय की ओर बढ़ना चाहिए।
Moral : इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी ईमानदारी और सत्य परिश्रम से हमारी समस्याओं का समाधान हो सकता है, चाहे वो कितनी भी भयानक क्यों न हो।
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