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गौतम बुद्ध की शिक्षा  – Inspirational Moral Hindi Story

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Written by Abhishri vithalani

गौतम बुद्ध की शिक्षा  – Inspirational Moral Hindi Story

इस कहानी (गौतम बुद्ध की शिक्षा  – Inspirational Moral Hindi Story) में गौतम बुद्ध रामदास को एक अद्भुत शिक्षा देते है । वो ऐसी कौन सी शिक्षा देते है जो की रामदास को अपने जीवन में बहुत काम आती है , ये जानने के लिए पढ़िए ये कहानी ।

एक दिन गौतम बुद्ध किसी के घर पर भिक्षा मांगने के लिए गए । वो जिसके घर पर गए थे उसका नाम रामदास था । गौतम बुद्ध उसके घर पर जाकर आवाज लगाते है और थोड़ी देर बाहर खड़े रहते है । थोड़ी देर बाद रामदास अंदर से आया,उसने भगवान् बुद्ध से कहा कि क्या बात है, भगवान् बुद्ध ने कहा कि मेरे पास कुछ खाने को नहीं है, मैं भिक्षा मांगने निकला हूँ , आपके पास यदि कुछ खाने को हो तो मुझे भिक्षा के रूप में देने की कृपा करें ।

रामदास ने गौतम बुद्ध से कहा की आप थोड़ा इंतजार कीजिये , में अंदर घर में जाकर देख के आता हु की कुछ खाने के लिए है या नहीं । रामदास अंदर गया और उसने देखा की उसके घर में आज खीर बनी हुयी है ।

रामदास अंदर से ही चिल्लाता है , महाराज आप रुकिए में आपके लिए खीर ले कर आता हु । भगवान् बुद्ध सोचते है की मेने इतनी देर तक इन्तजार किया है तो थोड़ी देर और रुक जाता हु । रामदास अंदर से एक बड़े बर्तन में खीर ले कर आया ।

रामदास ने बुद्ध से कहा की आप मुझे अपना पात्र दीजिये , में आपको उसमे खीर दे देता हु पर आपको उससे पहले मेरे एक प्रश्न का जवाब देना पड़ेगा ।

गौतम बुद्ध ने कहा अच्छा ठीक है तुम मुझे पहले अपना प्रश्न पूछ लो । रामदास ने कहा मुझे ईश्वर प्रेम चाहिए, वो मुझे कैसे मिलेगा ? रामदास ने ये भी कहा की में इस सवाल का जवाब जानने के लिए बड़े बड़े संतों के पास गया, मैंने बड़े बड़े ग्रन्थ पढ़े, किताबें पढ़ी, लेकिन मेरे अंदर भगवत्प्रेम नहीं जागा । अब आप ही मुझे बताइये की वो मुझे कैसे प्राप्त होगा ?

गौतम बुद्ध ने कहा तुमने प्रश्न तो बहुत कठिन पूछा है लेकिन में तुम्हे इसका जवाब दूंगा लेकिन तुम्हे मुझे पहले जो तुम लाये हो कृपा करके मुझे दो ताकि मै उसे खा कर अपनी भूख को मिटा सकूँ, फिर मैं आराम से बैठ कर तुम्हारे सवाल का जवाब सोचता हु ।

रामदास ने कहा महाराज आप मुझे आपका बर्तन दीजिये में खीर आपके पात्र में दे देता हूँ । बुद्ध ने अपनी झोली में से एक पात्र निकाला, लेकिन जब रामदास खीर डालने लगा तो उसने देखा कि वो पात्र तो बड़ा मैला है । उस पात्र में बहुत सारी धूल मिट्टी लगी हुई थी ।

रामदास जब उस पात्र में खीर डालने लगा तो उसके हाथ रुक गए और उसने कहा की महाराज ये पात्र तो बहुत गन्दा है । मैं इसमें खीर तो डाल दूँगा लेकिन मेरा डालना बेकार हो जायेगा क्योंकि आपका ये पात्र गन्दा है । आप खीर ले लेंगे किन्तु उसे खा नहीं पाएंगे , इसमें इतनी मिट्टी इतनी धूल है की मेरा इसमें डालना बेकार हो जायेगा ।

महाराज आप ऐसा कीजिये की पहले इस पात्र को स्वच्छ कर लीजिये, धोकर ले आईये, फिर मैं आपके पात्र में खीर दे देता हु ।

रामदास की बात सुनकर गौतम बुद्ध ने कहा कहा की रामदास बस यही तुम्हारे प्रश्न का भी जवाब है, तुमने मुझसे पूछा न की मुझे ईश्वर प्रेम कैसे मिलेगा , सुनो अभी तुम्हारे मन का जो पात्र है वह बड़ा मैला है बिलकुल इस पात्र की तरह , तुम पहले सत्संग करके, पूजा पाठ करके, अपने कर्तव्यों को अच्छे से निभा कर, अपने मन रूपी पात्र को साफ़ कर लो, तो अपने आप ईश्वर का प्रेम मिल जायेगा।

Moral : हमें ईश्वर का प्रेम प्राप्त करने के लिए अपने मन को शुद्व करना पड़ेगा , अपने मन रूपी पात्र को साफ़ करना होगा, पहले इसकी गन्दगी दूर करनी होगी तभी हमें ईश्वर का प्रेम प्राप्त हो सकता है ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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