ज्ञानपिपासु – Short Motivational Story In Hindi
ज्ञान उसी को जल्दी प्राप्त होता है जिसे ज्ञान लेने की प्यास ज्यादा होती है। अगर आप किसी से बड़े हो या फिर आप ने कोई काम किसी और की तुलना में पहले से करना शुरू कर दिया है तो उसका मतलब ये नहीं है की आप दुसरो से पहले ही वो काम ख़तम कर दोंगे, काम तो कम समय में उसी से पहले खतम होगा जिसे उसे पूरा करने की प्यास ज्यादा होंगी। ये कहानी (ज्ञानपिपासु – Short Motivational Story In Hindi) भी उसी के बारे में है।
एक गुरु के दो शिष्य थे। एक पढाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा उससे बिलकुल विपरीत। पहले शिष्य की हर जगह प्रशंसा और सम्मान होता था। जहा की दूसरे शिष्य की लोग उपेक्षा करते थे।
एक दिन रोष में दूसरा शिष्य गुरु जी के पास जाकर बोला, गुरूजी! में उससे पहले से आपके पास विद्याध्ययन कर रहा हु। फिर भी आपने उसे मुझसे अधिक शिक्षा क्यों दी? गुरूजी थोड़ी देर मौन रहने के बाद बोले, पहले तुम एक कहानी सुनो।
एक यात्री कही जा रहा था। रास्ते में उसे प्यास लगी। थोड़ी दूर पर उसे एक कुआं मिला। कुए पर बाल्टी तो थी लेकिन रस्सी नहीं थी। इसलिए वह आगे बढ़ गया। थोड़ी देर बाद एक दूसरा यात्री उस कुए के पास आया।
कुए पर रस्सी न देखकर उसने इधर – उधर देखा। पास में ही बड़ी बड़ी घास उगी थी। उसने घास उखाड़कर रस्सी बटना प्रारम्भ किया। थोड़ी देर में ही एक लम्बी रस्सी तैयार हो गयी। जिसकी सहायता से उसने कुए से पानी निकाला और अपनी प्यास बुझा ली।
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गुरूजी ने उस शिष्य से पूछा, अब तुम मुझे ये बताओ की प्यास किस यात्री को ज्यादा लगी थी? शिष्य ने तुरंत उत्तर दिया की दूसरे यात्री को। गुरूजी फिर बोले, प्यास दूसरे यात्री को ज्यादा लगी थी। यह हम इसलिए कह सकते है क्योकि उसने प्यास बुझाने के लिए परिश्रम किया।
उसी प्रकार तुम्हारे सहपाठी में ज्ञान की प्यास है। जिसे बुझाने के लिए वह कठिन परिश्रम करता है। जबकि तुम ऐसा नहीं करते हो। शिष्य को भी अपने प्रश्न का उत्तर मिल चूका था और वह भी अब कठिन परिश्रम में जुट गया था।
ज्ञान उसी को जल्दी प्राप्त होता है जो ज्ञानपिपासु हो। इसलिए आप को तभी अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफलता मिलेगी जब आप अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जो भी रास्ता बिच में आएगा उसमे पुरे परिश्रम के साथ काम करोगे ।
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