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कर्म का खेल – Inspiring Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

कर्म का खेल – Inspiring Story In Hindi

आप में से कई सारे लोग सोचते होंगे की ईश्वर ने सबको एक समान क्यों नहीं बनाया? उसने सब को एक जैसी सुविधा क्यों नहीं दी? ईश्वर ने ऐसा इसलिए नहीं किया है क्योकि सभी के कर्म एक समान नहीं है। इस कहानी ( कर्म का खेल – Inspiring Story In Hindi ) में उसी के बारे में बात की गई है।

एक दिन एक अमीर आदमी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए मंदिर में गया। इस अमीर आदमी ने बहुत ही महंगे जूते पहन रखे थे और उसने ऐसा भी सुना था की इस मंदिर में अक्सर चोरी होती रहती है। इस वजह से उसका मन नहीं हुआ की वह अपने कीमती जूते वहा बाहर छोड़कर चला जाए।

जूते पहनकर वह मंदिर में नहीं जा सकता था और उसे ऐसे ही बाहर छोड़कर वह जाना नहीं चाहता था। अब वह करे तो क्या करे? वह बड़ी दुविधा में पड़ गया था।

थोड़ी देर सोचने के बाद उस अमीर आदमी ने मंदिर के बाहर बैठे एक भिखारी से बात की। अमीर आदमी ने उस भिखारी को अपने जूते संभालने के लिए दे दिए। भिखारी भी उसके जूते संभालने के लिए राजी हो गया। फिर वो अमीर आदमी अंदर मंदिर में पूजा करने के लिए चला गया।

पूजा में बैठे-बैठे उस अमीर आदमी के मन में ख्याल आया कि भगवान ने कैसी विषम दुनिया बनाई है। मेरे जैसे कई लोगों को पैरों में कीमती जूते पहनने लायक बनाया है लेकिन उस बिचारे भिखारी जैसे अनगिनत लोगों को रोटी खाने के लिए भी भीख मांगनी पड़ती हैं।

वो अमीर आदमी मन ही मन भगवान से फरियाद करते हुए बोला कि आपने सब लोगों को एक समान क्यों नहीं बनाया? आपने सभी को एक जैसी सुविधा क्यों नहीं दी? फिर उसने मन ही मन तय किया की यहाँ से वापस जाते समय वो उस भिखारी को 500 रूपये देकर जाएगा।

पूजा खत्म होने के बाद जब अमीर आदमी बाहर आया तो ना उसे अपने जूते दिखे नाही उसे वो भिखारी दिखा। उस अमीर आदमी को लगा की भिखारी किसी काम से कही बाहर गया होंगा। इसलिए थोड़ी देर तक उसने वही खड़े रहकर भिखारी का इंतज़ार किया।

काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद भी जब भिखारी वापस नहीं आया तो उस अमीर आदमी को पता चल गया की भिखारी उसे ठग के चला गया है।

दुखी होकर अमीर आदमी नंगे पैर ही अपने घर की तरफ चल पड़ा। रास्ते में उस अमीर आदमी ने देखा की फुटपाथ पर एक जूते चप्पल बेचने वाला बैठा है। अमीर आदमी एक जोड़ी चप्पल खरीदने के लिए उसके पास पहुंचा।

वहां पहुंचते ही उस अमीर आदमी की नजर उसके जूते के जैसे ही जूते पर पड़ी। अमीर आदमी पहचान गया कि ये उसी के जूते है। पूछने पर बेचने वाले ने पहले मना किया लेकिन बार-बार पूछने पर और दबाव देने पर उसने माना कि यह जूते उसे एक भिखारी ₹500 में बेच कर गया है।

अब वह अमीर आदमी बिना चप्पल खरीदे मुस्कुराते हुए वहां से अपने घर की तरफ नंगे पैर ही चला गया। उसे भगवान से की गई अपनी फरियाद का जवाब मिल चुका था। उसे समझ में आ गया था कि जब तक लोगों के कर्म एक जैसे नहीं होते तब तक सब एक समान नहीं हो सकते।

भगवान ने उस भिखारी के तकदीर में 500 रूपये लिखे ही थे लेकिन कैसे कर्म करके उन्हें लेना है यह उस भिखारी के हाथ में था। अगर वह चोरी ना भी करता फिर भी उसे 500 रूपये मिलने वाले थे। शायद उसके ऐसे ही बुरे कर्मों की वजह से आज वो एक भिखारी था।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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