काश मेने ये पहले किया होता – Inspirational Story
इस कहानी में हम ये देखेंगे की बधाई (Carpenter) कैसे अपने किये पर बाद में पछताता है । बाद में उससे एहसास होता है की काश मेने ये पहले किया होता तो अच्छा होता । जब अपने किये पर पछताने का कोई भी मतलब नहीं रहता है तब वो मन ही मन बहुत परेशान हो जाता है ।
एक ६० साल का बढ़ई (Carpenter) था । वो ४० साल से जॉब कर रहा था । अब उसे जॉब करने का मन नहीं था । वो अब उसकी इस बची ज़िंदगी को अपने बच्चे और पोते के साथ घर पर रहकर बिताना चाहता था ।
उसने अपने बॉस से कहा की में कल से जॉब नहीं करुगा । मुझे निवृत्ति चाहिए क्योकि अब मुझे घर पर अपने परिवार के साथ शांति से रहना है । बॉस ने कहा की अच्छा ठीक है पर जाने से पहले तुम्हे एक आखरी प्रोजेक्ट पर काम करना होगा क्योकि मुझे लगता है की तुम ही इस प्रोजेक्ट में अच्छा काम कर सकते हो ।
ये प्रोजेक्ट हमारे लिए बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण है । इस प्रोजेक्ट के ख़तम होने पर हम सभी तुम्हे अच्छे से निवृत्ति देंगे । बढ़ई ने बोला अच्छा ठीक है में काम करने के लिए तैयार हु । बढ़ई कैसे मना करता अपने बॉस को क्योकि वे पुरे ४० साल से काम कर रहा था ।
बढ़ई (Carpenter) का ये आखरी काम था और वो निवृत्ति के ख्याल में था तो उसका काम में मन नहीं लगता था । उसे घर पर अपने परिवार के साथ रहना था और ये आखरी प्रोजेक्ट बीच में आ गया था ।
फिर भी जैसे तैसे करके वो ये प्रोजेक्ट कर रहा था । ये घर बनाने के प्रोजेक्ट में उसने हर एक लकड़ी की खोदाई बिना मन से की थी । उसने सभी आकार भी बिना मन के ही बनाये थे ।
उसने अपने सभी प्रोजेक्ट इस ४० साल में बहुत ही अच्छे से किये थे । पर अब उसे ये आखरी प्रोजेक्ट में बिलकुल भी मन नहीं था । इस बजह से ये प्रोजेक्ट उस पहले सारे प्रोजेक्ट्स जितना बेहतर नहीं हो रहा था ।
कुछ समय के बाद ये घर बनाने का आखरी प्रोजेक्ट ख़तम हो गया । अब वो समय हो चूका था की वो अपने बॉस को ये प्रोजेक्ट दिखाए । उसके बॉस ने वो घर देखा और कहा की ये घर बनाने का आखरी प्रोजेक्ट तुम्हारे लिए ही था । हमारी तरफ से तुम्हे ये भेट है क्योकि तुमने हमारे साथ पुरे ४० साल पूरी ईमानदारी और लगन से काम किया ।
ये सुनते ही उस बढ़ई(Carpenter) के होस उड़ गए क्योकि उसने अपना ही घर बिना मन के बनाया था । अब उसे लगा की काश मुझे ये पहले पता होता तो में ये घर पूरी लगन से बनाता । अब उसे अपने ही किये पर पछ्तावा हो रहा था की मेने अपने खुद का घर ऐसे बनाया ?
वो मन ही मन सोच रहा था काश मुझे पहले ये पता होता तो में अपने घर की हर एक लकड़ी की खोदाई बड़ी ही लगन से करता । काश में अपने घर का हर एक आकर अच्छे से देता । पर अब उस पछतावे का कोई भी उपाय नहीं था ।
हम भी अपनी लाइफ में कई बार ऐसा ही करते है । जब हमें पढ़ना होता है तब हम पढाई नहीं करते और जब रिजल्ट आता है तभी ऐसा सोचते है की काश मेने पढाई की होती तो मेरे अच्छे मार्क्स आते । हमें जो जिस समय पर करना होता है वो हम नहीं करते है और बाद में पछताते है जब उसका कोई मतलब नहीं होता है ।