खजाना – Short Story In Hindi
ये कहानी है एक पुश्तैनी खजाने के बारे में । मृत्यु के समय दादीजी अपने बहु-बेटों से इस खजाने के बारे में बताने का प्रयास करती है लेकिन वो बता नहीं पाती है । ये खजाना बहु-बेटों को मिलता है की नहीं ये जानने के लिए आपको पढ़नी होगी ये कहानी ( खजाना – Short Story In Hindi ) ।
दादीजी बहुत समय से बीमार थे और अब तो उनकी तबियत पहले से भी ज्यादा खराब हो गयी थी । दादाजी का बहुत समय पहले ही देहांत हो चुका था और बड़ा बेटा दादीजी की देखभाल करता था ।
दादीजी को अब लगने लगा था की उनका अंतिम समय पास में है इसलिए उन्होंने अपने तीनो बहु-बेटों को पास बुलाया । जिस दिन सब इकठ्ठा हुए उस दिन दादीजी की तबियत और भी बिगड़ गयी और वो जो कुछ भी अपने बहु-बेटों से कहना चाहते थे वो बोल नहीं पाए ।
दादीजी ने अब इशारे से कलम मांगी और वो एक कागज पर कांपते हाथों के साथ कुछ लिखने लगे । उन्होंने जैसे ही एक शब्द लिखा की उनकी मौत हो गयी ।
उन्होंने कागज पर लिखा था “आम ” । तीनो बेटो ने सोचा की शायद वे अंतिम समय में अपना पसंदीदा फल आम खाना चाहते थे इसलिए उन्होंने आम लिखा होगा ।
अपने दादीजी की आखरी इच्छा आम जानकर बहु-बेटों ने उनके मृत्यु भोज में गरीबो को कई क्विंटल आम बांटें । कुछ समय बाद तीनो भाईओ ने पुश्तैनी प्रॉपर्टी बेचने का फैसला किया और उन्होंने इसके लिए एक बिल्डर को अच्छे दाम में सबकुछ बेच दिया ।
बिल्डर कुछ दिनों बाद वहा काम पर गया और उसने पुरानी बिल्डिंग तोड डाली साथ ही साथ वो पेड़ पौधे को भी उखाड़ने लगा । जब मजदूरों ने आम का पेड़ उखाड़ा तब आम के पेड़ के निचे एक पुराना संदूक पड़ा हुआ मिला ।
बिल्डर तुरंत मजदूरों को पीछे जाने का इशारा करता है और वो खुद संदूक खोलकर देखता है । संदूक देखकर सभी की आँखे फटी की फटी रह जातीं है क्योकि उस संदूक में करोडे के हीरे-जवाहरात थे ।
बिल्डर तो ख़ुशी के मारे पागल हो जाता है क्योकि जितने की प्रॉपर्टी नहीं थी उससे कही ज्यादा कीमत वाले खजाने पर अब उसका हक था । जब उन तीनो भाईओ को इसके बारे में पता चलता है तब उन्हें बहुत पछतावा होता है ।
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उन तीनो भाईओ ने कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगाए पर फैसला बिल्डर के हक में जाता है । तीनो भाई अब मुंह लटकाकर बैठ जाते है । तभी उन में से जो सबसे छोटा भाई था वो बोला की अरे … उस दिन अम्मा ने इसलिए कागज पर आम नहीं लिखा था क्योंकि उन्हें आम खाना था बल्कि इसलिए लिखा था ताकि वो हमें इस खजाने का पता बताना चाहते थे ।
तीनो बेटे अब सोचने लगे की हम जीवन भर इस पेड़ के आस – पास रहे , खेले – कूदे और हमारा बचपन भी उसी पेड़ के निचे गुजरा फिर भी हमें कुछ नहीं पता था और अंत में ये खजाना हमारे हाथ से निकल गया । काश अम्मा ने हमें उसके बारे में पहले ही बता दिया होता ।
अम्मा ने आम लिख दिया उसका मतलब आम खाना है । ऐसा सोचकर इन तीनो बेटो ने अपना दिमाग ही नहीं लगाया । अगर उन तीनो ने अपना दिमाग लगाया होता तो वो जरूर इस खजाने के हक्क्दार होते ।
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