Moral Short Stories

किसी को हल्के में न ले – Short Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

किसी को हल्के में न ले – Short Moral Story In Hindi

कई बार जब हमें छोटा सा घाव लगता है तो हम उस पर ध्यान नहीं देते है और उस छोटे से घाव पर ध्यान न देने से वह बढ़कर जान लेवा बन सकता है। इस कहानी ( किसी को हल्के में न ले – Short Moral Story In Hindi ) में भी कुछ ऐसा ही होता है।

एक दिन एक व्यक्ति के पैर के अंगूठे में चोट लग गई और वह डॉक्टर के पास पंहुचा। जब डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने जाँच की ओर कहा की भैया अंगूठा काटना पड़ेगा क्योकि जहर फैल गया है।

मरीज ने कहा डॉक्टर साहब अंगूठा यदि कट जायेगा तो वो मेरे लिए अच्छा नहीं रहेगा, आप मुझे दवाई दे दो और दवाई से ही कैसे भी करके आप मुझे ठीक कर दो। डॉक्टर ने कहा अच्छा ठीक है, हम कोशिश करते है।

सात दिन बाद मरीज फिर से डॉक्टर के पास गया और कहा की अब तो पुरे पंजे में दर्द हो रहा है। डॉक्टर ने जाँच की और कहा की भैया अब तो पूरे पंजे में जहर फैल गया है, अब तो हमें पूरा पंजा काटना पड़ेगा।

मरीज ने कहा नहीं डॉक्टर साहब में मेरा पूरा पंजा कटवाना नहीं चाहता, आप ऐसा कीजिये मेरा सिर्फ अंगूठा काट दीजिये और मुझे दवाई दे दीजिये। डॉक्टर ने उसे बहुत समझाया लेकिन मरीज पूरा पंजा कटवाने के लिए मान ही नहीं रहा था, वो बार बार सिर्फ एक ही बात कर रहा था की आप मेरा सिर्फ अंगूठा काट दो और मुझे दवाई दे दो।

मरीज के न मानने की वजह से डॉक्टर ने सिर्फ उसका अंगूठा काट दिया और उसे कुछ दवाई दे दी। पंद्रह दिन बाद मरीज फिर से डॉक्टर के पास आया और कहा की डॉक्टर साहब अब मुझे घुटने तक दर्द हो गया है, आप कृपया कुछ इलाज करे।

डॉक्टर ने जाँच किया और कहा की भैया अब तो आधा पैर काटना पड़ेगा, इस बार मरीज ने कहा की आप सिर्फ पंजा काट दो। डॉक्टर ने इस बार भी मरीज को समझाया की आधा पैर कटवा लो नहीं तो जहर पूरे शरीर में फैल जायेगा।

मरीज इस बार भी नहीं समझा और जिद करता रहा की आप सिर्फ पंजा काट दीजिये, अंत में डॉक्टर ने सिर्फ पंजा काट दिया और मरीज को कुछ दिनों की दवाई दे दी।

कुछ समय के बाद पता चला की उस मरीज को अपने जीवन से ही हाथ धोना पड़ गया। पूरे शरीर में जहर फैल गया और सब नष्ट हो गया।

एक छोटे से घाव पर ध्यान न देने से वह बढ़कर जान लेवा बन सकता है।

इसी प्रकार मन की कषाय ( लोभ, माया, क्रोध) को कम समझकर उसकी उपेक्षा करना गलत बात है। कषाय जहा उत्पन्न हो उसे वही शांत करने का प्रयास करो। क्योकि मन की कषाय सदैव दुःख का कारण होती है।

Moral : एक छोटे से घाव पर ध्यान न देने से वह बढ़कर जान लेवा बन सकता है।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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