माता-पिता जन्म का एक रिश्ता – Inspirational Short Hindi Story
कुछ रिश्ते हम बनाते है , तो कुछ रिश्ते हमें अपने जन्म के साथ ही मिल जाते है । ये कहानी (माता-पिता जन्म का एक रिश्ता – Inspirational Short Hindi Story) भी ऐसे ही एक जन्म के रिश्ते के बारे में है ।
एक 70 साल की वृद्ध माँ रात को 10:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है , घर में दो बहुएँ हैं, ये दोनों बहुएँ बर्तनों की आवाज से परेशान होकर अपने पतियों को सास के बारे में Complain करने लगती है ।
वो दोनों अपने अपने पतियों से कहती है की माँ को मना करो , इतनी रात को क्यों खट्टर – पट्टर करके बर्तन साफ़ करती है , इससे हमारी नींद ख़राब होती है , इतना ही नहीं माँ सुबह 5 बजे उठकर फिर से अपनी खट्टर – पट्टर शुरू कर देती है और सुबह 6 बजे पूजा आरती करके हमे सोने नही देती है । आप माँ को इसके लिए मना करो ना ।
अपनी पत्नी की बात सुनकर बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाने लगता है । बिच रास्ते में उसे छोटे भाई के कमरे में से भी वो ही बाते सुनाई देती है जो उसके कमरे हो रही थी ।
वो वही बाते सुनकर छोटे भाई का कमरा खटखटा है , छोटा भाई बाहर आता है । अब दोनों भाई मिलकर रसोई में जाते हैं ।
वो दोनों भी माँ को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते है, माँ के बहुत मना करने के बावजूद भी वो दोनों नहीं मानते है और बर्तन साफ़ कर देते है ।
अब बर्तन साफ़ करने के बाद वो दोनों माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते है, वो दोनों देखते है की उनके पिताजी भी जागे हुए हैं ।
दोनों भाई माँ को बिस्तर पर बैठा देते है और माँ से कहते है की माँ कल सुबह हमें भी तुम्हारे साथ जल्दी उठा देना, हमें भी तुम्हारे साथ पूजा करनी है ।
माँ ने कहा ठीक है बच्चो , अगली सुबह से दोनों बेटे जल्दी उठने लगे, अब रात को 9 बजे ही बर्तन मांजने लगे । अपने पति को हररोज माँ के साथ 9 बजे बर्तन मांजते हुए देखकर वो पत्नियां बोलीं माता जी करती तो है , तो फिर आप दोनों को क्यों बर्तन साफ़ करनी की जरुरत है ।
तभी वो दोनों भाई कहते है की अगर तुम दोनों को माँ की सहायता नहीं करनी है तो कोई बात नहीं हम दोनों तो अपनी माँ की सहायता जरूर करेंगे । माँ की सहायता करने में क्या बुराई है ।
अगले दो – तीन दिनों में ही घर में पूरा बदलाव आ जाता है । बहुएँ रात को जल्दी बर्तन इसलिये साफ करने लगी की नही तो उनके पति बर्तन साफ करने लगेंगे । सुबह वो दोनों भी अपने पतियों के साथ ही उठने लगी और पूजा आरती में शामिल होने लगी ।
कुछ ही दिनों में तो घर के वातावरण में पूरा बदलाव आ गया, बहुएँ सास – ससुर को पूरा सम्मान देने लगी और घर के सभी कामो में अपनी सास को मदद करने लगी ।
माता – पिता का सम्मान तब कम नही होता है जब बहुवे उनका सम्मान नही करती, माता – पिता का सम्मान तब कम होता है जब बेटे उन्हें सम्मान नही देते है ।
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