मेहनत में सुख – Short Moral Story In Hindi
हमें अपनी खुद की कि हुई मेहनत से कमाए गए धन से ही सच्चा आनंद मिलता है, न कि दान में मिले धन से। इस कहानी (मेहनत में सुख – Short Moral Story In Hindi) में भी उसी के बारे में बात कि गयी है।
एक गांव में एक संत अपनी पत्नी के साथ रहा करते थे। संत के पास हर समस्या का हल था। संत काफी गरीब थे और उनके पास खेती करने के लिए थोड़ी सी ही जमीन थी। वह खेती करके किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे थे।
गांव के लोग उनकी मदद करने के लिए उन्हें कुछ न कुछ दान दिया करते थे लेकिन हर बार वह सामान उन्हें वापस कर देते थे और दान लिए बिना ही उन्हें धर्म का ज्ञान देते थे।
इस राज्य के राजा के पुत्र जुड़वाँ थे। राजा हमेशा उसी सोच में रहता था कि वो दोनों में से किस पुत्र को अपना उत्तराधिकारी बनाए? एक दिन राजा को इस दुविधा में देखकर मंत्री ने कहा – महाराज, राज्य में एक संत रहते है और उनके पास हर समस्या का हल होता है। आप कृपया एक बार उनसे जाकर मिल ले।
मंत्री कि बात मानते हुए राजा संत से मिलने पहुंचे और उन्हें अपनी समस्या बताई। राजा कि बात सुनकर संत ने राजा से कहा कि महाराज उत्तराधिकारी चुनना बेहद ही सरल है। राजा ने कहा वह कैसे? संत ने कहा कि आप अपने उस पुत्र के ऊपर इस राज्य कि जिम्मेदारी सौपे जो मेहनती हो और राज्य कि भलाई को सबसे पहले चुने।
संत कि बात सुनकर राजा कि दुविधा दूर हो गयी। राजमहल जाकर राजा ने मंत्री से कहा कि संत के घर पर सोने और चांदी के सिक्के और अन्य तरह कि वस्तुए भेजी जाए। मंत्री ने सोने – चांदी के सिक्के और कई तरह कि वस्तुए भिजवा दी।
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इतना सारा सामान देखकर जब संत ने मंत्री से पूछा कि ये सब क्या है? तो मंत्री ने जवाब दिया कि ये सामान राजा ने भिजवाया है। संत ने सारा सामान वापस राजा के पास भेज दिया और अगले दिन राजमहल जाकर राजा से कहा कि , में मेहनत करके धन कमाने में विश्वास रखता हु और आपके द्वारा दिया गया ये दान मुझे स्वीकार नहीं है।
अपनी मेहनत से कमाए गए धन में जो सुख मिलता है, वो सुख दान में मिले पैसो से हासिल नहीं किया जा सकता है। राजा को संत कि ये बात काफी अच्छी लगी और राजा ने संत को अपने राज्य का पुरोहित नियुक्त कर लिया।
Moral : मेहनत से कमाए गए धन से ही सच्चा आनंद मिलता है, न कि दान में मिले धन से।
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