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मूर्ख बगुला – Short Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

मूर्ख बगुला – Short Moral Story In Hindi

कभी भी किसी कि सलाह मानने से पहले उसके दूरगामी परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए। क्योकि ये जरुरी नहीं है कि आप जिसकी बात मान रहे हो वो आपका हितचिंतक ही हो। कई बार हम किसी कि सलाह मान लेते है और बाद मे हमें पता चलता है कि जिसने हमें ये सलाह दी थी वो तो हमारा शत्रु था और उससे हम अपना खुद का ही नुसकान कराते है। इस कहानी (मूर्ख बगुला – Short Moral Story In Hindi) मे भी कुछ ऐसा ही होता है।

किसी वन मे एक बहुत बड़ा वृक्ष था। उस पर बगुलों के अनेक परिवार रहते थे। उसी वृक्ष के कोटर मे एक काला सर्प भी रहता था। अवसर मिलने पर वह बगुलों के उन बच्चो को मारकर खा जाया करता था। जिनके पंख भी नहीं उगे होते थे।

इस प्रकार बड़े आनंद से उसका जीवन व्यतीत हो रहा था। यह देखकर बगुले बड़े खिन्न रहते थे, लेकिन इनके पास कोई उपाय भी नहीं था। दुखी होकर एक दिन एक बगुला नदी किनारे जाकर बैठ गया। रो रोकर उसकी आँखे लाल हो चुकी थी।

बगुले को इस प्रकार रोता देखकर एक केकड़े ने उससे पूछा – ” मामा ! आज आप इस तरह से रो क्यों रहे हो? ” बगुला बोला प्रिय! क्या बताऊ? हमारे वृक्ष के कोटर मे रहने वाले सर्प ने मेरे सारे बच्चे मार खाए है। यही मेरा एकमात्र दुःख है। क्या तुम मुझे इसका उपाय बता सकते हो?

केकड़ा सोचने लगा कि यह बगुला तो उसका जातिगत शत्रु है। अत: इसको कोई ऐसा उपाय सुझाया जाए जिससे इसके सारे साथी भी नष्ट हो जाए।

फिर केकड़े ने कहा, मामा! यदि यही बात है तो तुम मछलियों कि हड्डिया नेवले के बिल से उस सांप के बिल तक बिखेर दो। नेवला उस मछली के मांस को खाता हुआ स्वयं ही सर्प के बिल तक पहुंच जाएगा। वहा पर वह सांप को मार खायेगा।

बगुले को केकड़े कि बात समझ मे आ गई। उसने अपने साथियो को उपाय बताया और सबने मिलकर वह कार्य किया। तदनुसार नेवले ने न केवल मछलियों का मांस खाया, उसने सर्प को भी मारकर खाया।

किन्तु उसके बाद नेवला वहा से नहीं गया। उसने एक एक करके सारे बगुलों को भी समाप्त कर दिया।

Moral : कभी भी किसी कि सलाह मानने से पहले उसके दूरगामी परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए। वह जरुरी नहीं है कि वह आपका हितचिंतक ही हो।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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